गृहविज्ञान

प्रसार शिक्षा के साधन में चार्ट की भूमिका | चार्ट की उपयोगिता | चार्ट के लिए सावधानियाँ | चार्ट के प्रमुख प्रकार

प्रसार शिक्षा के साधन में चार्ट की भूमिका
प्रसार शिक्षा के साधन में चार्ट की भूमिका

प्रसार शिक्षा के साधन में चार्ट की भूमिका का उल्लेख कीजिए।

प्रसार शिक्षा के साधन में चार्ट की भूमिका (Chart)- पोस्टर के विपरीत चार्ट समझने के लिए बुद्धि की आवश्यकता होती है। चार्ट साक्षर लोगों के लिये होते हैं। पोस्टर यदि अभिरुचि तथा जागृति उत्पन्न करते हैं तो चार्ट द्वारा किसी भी विषय की विस्तृत जानकारी प्रदान की जाती है। चार्ट में चित्र तो होते हैं पर उनके साथ-साथ विस्तृत जानकारी हेतु शब्दों का भी प्रयोग किया जाता है।

चार्ट की उपयोगिता

(1) चार्ट विषय की विस्तृत जानकारी प्रदान करता है।

(2) एक समय में एक से अधिक विचार एक साथ लेकर चलता

(3) चार्ट्स जानकारी को रुचिकर तथा ग्रहण योग्य बनाते हैं।

(4) चार्ट की मदद से जहाँ विस्तृत जानकारी मिलती है वहीं तुलनात्मक आंकड़े भी प्रस्तुत किये जाते हैं जिससे इनका महत्व बढ़ जाता है।

(5) चार्ट जनसम्पर्क का उत्तम साधन होते हैं।

(6) चार्ट तैयार करने में खर्च भी अधिक नहीं आता है।

(7) चार्ट तथा क्रियाविधि का प्रयोग किया जाता है।

(8) चार्ट दिये जाने वाले ज्ञान को व्यावहारिक तथा सम्पूर्ण बनाते हैं। चार्ट बनाने हेतु आवश्यक सामग्री कागज, पेन, पेन्सिल, स्केल, चित्र, आंकड़े, सन्देश सम्बन्धी विस्तृत जानकारी।

चार्ट के लिए सावधानियाँ

(1) चार्ट का माप कम से कम 2′ x 3′ (24″ x 36″ ) होना चाहिये।

(2) चार्ट बहुत ऊँचाई पर न लगायें अन्यथा पढ़ने में मुश्किल होती है।

(3) चित्र सुन्दर तथा प्रभावपूर्ण होने चाहिए।

(4) चित्र, आंकड़े, लिखित सामग्री, स्पष्ट हो।

चार्ट के प्रमुख प्रकार

चार्ट के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं-

(i) चित्रमय चार्ट

इस प्रकार के चार्ट में एक से अधिक रंगीन चित्रों तथा उन चित्रों के साथ विस्तृत जानकारी हेतु लिखित सामग्री का भी प्रयोग किया जाता है।

(ii) संगठनात्मक चार्ट

जहाँ किसी चीज के संगठन, भागों तथा उपविभागों को दर्शाना होता है वहाँ इसका प्रयोग करते हैं।

(iii) स्ट्रिप चार्ट या ससपेन्स चार्ट

 इस चार्ट में बताई जाने वाली कार्य विधि या कहानी को चित्र तथा शब्दों की मदद से चार्ट बनाया जाता है। इस चार्ट में क्रमबद्ध रूप से सारी विधि बताई जाती है तथा इन्हें पट्टियों (स्ट्रिप) से ढंक दिया जाता है। जैसे-जैसे चार्ट का प्रयोग किया जाता है चार्ट की पट्टियाँ हटाई जाती हैं तथा पूरी बात दर्शकों के सामने रखी जाती है। केवल वही पट्टी हटाई जाती है जिस बिन्दु पर बात की जाती है आगे के बिन्दु पट्टी (स्ट्रिप) द्वारा ढँके रहते हैं अतः दर्शकों तथा जानने वालों में विषय की उत्सुकता बनी रहती है। इसलिये इसे ससपेन्स चार्ट भी कहते हैं।

(iv) फ्लोचार्ट 

इस चार्ट में चित्र तथा शब्द दोनों या केवल शब्दों का प्रयोग करते हैं। इस चित्र द्वारा क्रिया विधि का प्रदर्शन किया जाता है। एक के बाद दूसरी अवस्था फिर तीसरी का प्रदर्शन किया जाता है जहाँ चित्र शब्द का प्रयोग आवश्यकतानुसार किया जाता है।

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