गृहविज्ञान

छपाई क्या है? | छपाई की विधियाँ | छपाई के चरण

छपाई क्या है
छपाई क्या है

छपाई क्या है?

छपाई क्या है?- छपाई वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा बुने हुए वस्त्रों पर निश्चित डिजाइन में रंग लगाया जाता है। भारत में वस्त्रों पर छपाई का कार्य ईसा से भी हजारों वर्ष पूर्व से चला आ रहा है। आरम्भ में वस्त्रों पर डिजाइन या तो ब्रुशों की सहायता से बनाये जाते थे या फिर इस कार्य के लिए लकड़ी के ठप्पों का प्रयोग किया जाता था। प्रारम्भिक समय में छपाई के कार्य के लिए सरल विधि यह थी कि जिस प्रकार का डिजाइन वस्त्र पर उतारना होता था, उसको पहले लकड़ी पर खोद लिया जाता था, फिर लकड़ी के इस ठप्पे को रंग के घोल में भिगोकर वस्त्र पर, क्रमबद्ध रूप से अंकित कर दिया जाता था। इस विधि का प्रयोग आज बड़े पैमाने पर किया जाता है। मशीन की छपाई में डिजाइन खुदे हुए ताँबे के रालर्स या बेलनों का प्रयोग किया जाता है, जिनका प्रयोग वस्त्रों की रँगाई में किया जाता है जबकि वस्त्र की रँगाई के लिए वह पतला होता है। यदि क्षार की आवश्यकता होती है, तो छपाई के वस्त्र पर क्षारीय प्रक्रिया की जाती है।

छपाई में भी उन्हीं रेगों का प्रयोग किया जाता है। किन्तु दोनों में केवल इतना अन्तर होता है कि छपाई के लिए रंग लेई के रूप में घोला जाता है।

हाथ से छपाई करने में अधिक श्रम, शक्ति एवं समय होता है। परन्तु हाथ से की गई छपाई की अपनी अलग सुन्दरता होती है। हाथ से छपाई करते समय हाथों के हिल जाने से नमूने में टेड़ा-मेढ़ापन आ जाता है। इससे नमूने में एक लहर-सी पैदा हो जाती है। जिससे वस्त्र और भी आकर्षक, सुन्दर, मनभावन एवं मनोहारी बन जाता है। इसे उपभोक्ता बहुत अधिक पसन्द करते हैं। इसी का अनुकरण मशीन की छपाई में भी किया जाता है।

छपाई की विधियाँ

हाथ से छपाई की प्रक्रिया (Process of Hand Printing)

(1) ब्लॉक छपाई (Block Printing)- भारत में छपाई की यह विधि आज भी बहुत प्रचलित है। छपाई के लिए ठप्पे (Block), लकड़ी, लिनोलियम (Linolium), के बनाये जाते हैं। पहले डिजाइन को लकड़ी की सतह पर एक-चौथाई इंच की गहराई में अंकित कर लिया जाता है। इसके उपरान्त अंकित की हुई सतह को समान लम्बाई-चौड़ाई वाली लकड़ी पर लगा दिया जाता है। रंग लेई के रूप में तैयार करके एक चौड़े मुँह के बर्तन में रख देते हैं। फिर जिस वस्त्र पर छपाई करनी है, उसको एक बड़ी गद्देदार मेज पर फैला लेते हैं। वस्त्र फैलाने के उपरान्त ठप्पे को रंग में भिगोकर वस्त्र पर लगा देते हैं तथा उसे सूखने देते हैं। यदि विभिन्न रंगों में छपाई करनी है, तो पहला रंग सूख जाने पर ही दूसरे रंग का प्रयोग किया जाना चाहिए। जिस वस्त्र पर छपाई करनी है, होती है, उसके समस्त भाग पर उसी प्रकार से प्रक्रिया की जाती है। सुन्दर एवं आकर्षक छपाई के लिए आवश्यक है कि वस्त्र पर ठप्पे को एक से दबाव से दबाया जाये।

इस विधि से साड़ियों, दुपट्टे, टेबल क्लॉथ, पर्दे, चादरें आदि छापी जाती हैं। यह छपाई की सबसे सरल, सस्ती एवं प्राचीन विधि है।

आवश्यक सामग्री- ब्लॉक प्रिंटिंग के लिए निम्नलिखित सामानों की आवश्यकता पड़ती है-

1. रंग सामग्री (Colour Ingredients)

2. मिनी पैड (Mini Pad)

3. प्रिंटिंग टेबल (Printing Table)

4. ब्लॉक (Block)

5. वस्त्र छपाई करने के लिए (Cloth for Printing)।

(2) स्टेन्सिल प्रिंटिंग (Stencil Printing)- स्टेन्सिल छपाई जापान की प्राचीनतम कला है। वहाँ से यह कला यूरोप एवं अन्य देशों में पहुँची। इस विधि में मोटे मजबूत कागज, एक्स-रे फिल्म, पतले प्लास्टिक शीट, प्लाईवुड, टीन अथवा नरम धातु के पतरे पर स्टेन्सिल बना लिए जाते हैं। नमूने के अनुसार डिजाइन के मध्य भाग कटे होते हुए भी पतली रेखाओं द्वारा परस्पर जुड़े रहते हैं। स्टेन्सिल को समतल सतह पर बिछे वस्त्र पर रखकर, नमूने के खाली स्थानों को ब्रुश द्वारा रंग के पेस्ट से भर दिया जाता है। स्टेन्सिल उठा लेने पर वस्त्र पर रंगीन नमूना छपा हुआ दिखाई देता है। स्टेन्सिल छपाई प्रायः एकरंगी होती है।

आजकल स्टेन्सिल छपाई विद्युत चालित मशीनों से भी होने लगी है। इसमें रोलर का उपयोग किया जाता है। रोलर एक खोखला बेलनाकार सिलिन्डर होता है, जिस पर डिजाइन खुदे रहते हैं। इसी सिलिन्डर में रंग छिद्र वाले भाग से निकलकर वस्त्र पर लगता जाता है, फलतः छपाई होती जाती है। पूरी छपाई हो जाने के उपरान्त वस्त्र को सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है। भाप द्वारा रंग को पक्का एवं चमकदार बनाया जाता है।

(3) स्प्रे छपाई या एयर बुश छपाई (Spray Printing or Air Brush Printing)- इस विधि द्वारा भी अत्यन्त सुन्दर, मनोहारी, आकर्षक एवं मनभावन छपाई से तैयार किये जाते हैं। परन्तु इस विधि में समस, श्रम एवं शक्ति अधिक व्यय होती है। साधारण ब्रुश अथवा मशीनी एयर ब्रुश से वस्त्र पर रंगों का स्प्रे (Spray) करके प्रिंटिंग की जाती है। इस विधि द्वारा जेकार्ड एवं डीबी बुनाई से निर्मित वस्त्र, सिल्क ब्रोकेड, पाइल बुनाई से आदि की छपाई की जाती है। युक्त वस्त्र युक्त तौलिये

(4) द्विपक्षी छपाई (Duplex Printing)- इस विधि द्वारा वस्त्र के दोनों ओर छपाई क्रिया एक ही साथ, एक ही समय में सम्पन्न की जाती है। ऐसी छपाई से युक्त वस्त्र देखने में अत्यन्त सुन्दर, मनोहारी एवं आकर्षक लगते हैं। इस छपाई से निर्मित वस्त्र का उल्टा एवं सीधा पक्ष पहचाना मुश्किल हो जाता है। पर इस छपाई विधि में अत्यधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता पड़ी है। मशीनी रोलरों के जरा-से हिल जाने से नमूने बिगड़ सकते हैं।

(5) ब्लॉच छपाई (Blotch Printing)- इस छपाई विधि में नमूने एवं पृष्ठभूमि को एक साथ ही छापे जाते हैं। यह छपाई भी मशीन द्वारा की जाती है। इस छपाई में पहले नमूने (Design) छापे जाते हैं, साथ ही वस्त्र के शेष स्थानों को भी पृष्ठभूमि के रूप में रंग से छपाई विधि द्वारा रंग भरे जाते हैं।

(6) रोलर छपाई (Roller Printing)- इस विधि में एक बड़े लोहे के बेलन (Cylinder) के चारों ओर पहले एक कम्बल, फिर एक मोटा चादर लपेट देते हैं तत्पश्चात् वस्त्र जिस पर छपाई कार्य करना होता है, उसे लपेट देते हैं। दूसरा बेलन (Cylinder) ताँबे (Copper) का बना होता है। बेलनों की संख्या रँगों की संख्या पर निर्भर करती है। बहुरंगी नमूने बनाने के लिए मशीन में एक साथ 16 रोलर लगाये जा सकते हैं। ताँबे वाले बेलन पर नमूने अंकित रहते हैं। तीन नम्बर वाले रोलर रंग में डूबे रहते हैं तीन नम्बर के रोलर के घूमने से रंग दो नम्बर के रोलर के नमूने में चला जाता है। जैसे ही वस्त्र इन रोलरों से होकर गुजरता है, उस पर उभरे हुए भाग से नमूने अंकित होते चले जाते हैं। इस प्रकार रोलर के घूमने से डिजाइन वस्त्र पर अंकित हो जाता है। अतिरिक्त रंग पहले लोहे के रोलर में लिपटे चादर तथा कम्बल में चला जाता है। इस प्रकार वस्त्र पर छपाई हो जाती है। छपाई के पश्चात् वस्त्र को भाप विधि से सुखाकर पक्का एवं चमकदार बनाया जाता है।

(7) स्क्रीन छपाई (Screen Printing) – इस विधि द्वारा वस्त्र की छपाई के लिए स्क्रीन (Screen) तैयार किया जाता है। स्क्रीन बनाने के लिए एक विशेष प्रकार का लकड़ी का फ्रेम (Wooden Frame) तैयार किया जाता है। उसी लकड़ी के फ्रेम पर नायलॉन (Nylon ) के कपड़े को खींचकर तान दिया जाता है तथा खड़िया से नमूने अंकित कर लिये जाते हैं। स्क्रीन के उस भाग पर जहाँ रंग नहीं लगाना हो वहाँ अवरोधक पदार्थ (मोम, रेजीन) लगा दिये जाते हैं।

यह साधारणतः पाँच सौ मीटर से पाँच हजार मीटर तक के कपड़ों पर की जाती है। कपड़े के जितने भी भाग को छपाई के रंग से बचाना होता है, उसमें जल-अवरोधक वार्निश लगा देते हैं या किसी अघुलनशील पदार्थ से भर देते हैं। इसके उपरान्त वस्त्र को एक लम्बी तथा चपटी टेबिल पर फैला देते पहले टेबिल को ऊन की मोटी गद्दी से ढक देना चाहिए तथा इसके ऊपर मोमजामा फैलाना चाहिए। इसके उपरान्त इस पर सूती चादर फैलानी चाहिए, जिसे छपाई की प्रक्रिया के बीच में बदलते रहना चाहिए, क्योंकि वह बहुधा छपाई करते समय रंग से खराब होती जाती है। इसके उपरान्त छपाई किये जाने वाले वस्त्र पर लकड़ी के फ्रेम को स्क्रीन सहित रख देना चाहिए तथा इसकी सतह पर लेई के रूप में घुले हुए रंग को ब्रुश द्वारा लगाकर हल्के हाथ से दाब देना चाहिए। रंग को कुछ समय तक सूखने देना चाहिए। इसके उपरान्त दूसरे फ्रेम का, जिस पर दूसरी तरह का डिजाइन अंकित होता है, प्रयोग भिन्न रंग के साथ करना चाहिए। यह प्रक्रिया क्रमशः उस समय तक दोहरानी चाहिए, जब तक कि डिजाइन पूर्ण नहीं हो पाती। विभिन्न प्रकार के रंग के लिए पृथक्-पृथक् स्क्रीनों का प्रयोग करना चाहिए।

यन्त्र द्वारा छपाई (Machine Printing Processes)- जिस यंत्र द्वारा छपाई का कार्य सम्पन्न किया जाता है, उसमें कई ताँबे के बेलन लगे होते हैं, जिन पर डिजाइन अंकित होते हैं। इस प्रक्रिया द्वारा वस्त्र पर छपाई का कार्य तो बहुत शीघ्र हो जाता है, किन्तु बेलनों पर डिजाइनों को अंकित करने कार्य अत्यन्त कठिन एवं समय लेने वाला होता है तथा इसमें विशेष सावधानी की भी आवश्यकता होती है। बेलन कपड़े की चौड़ाई के बराबर चौड़ा होता है। छपाई में जितने रंगों का प्रयोग करना होता है, उतने ही रोलरों की आवश्यकता होती है, क्योंकि एक रंग के लिए एक ही रोलर का प्रयोग किया जा सकता है।

अवरोधक छपाई (Resist Prinitng)- इस विधि द्वारा छपाई अधिकांशतः सफेद वस्त्र पर की जाती है। इसमें वस्त्र के उस भाग को जहाँ छपाई नहीं करनी होती है (जहाँ रंग नहीं लगाना होता है) उसे किसी अवरोधक पदार्थ (जैसे मोम, पैराफिन, रेजीन आदि) से ढक दिया जाता है। छपाई को शीघ्रता से सम्पन्न करने हेतु अवरोधक पदार्थ लगाने का कार्य मशीन से किया जाता है। रोलर्स पर नमूने के अनुसार अवरोधक पदार्थ लगा दिया जाता है। जब कपड़े को रोलर्स के बीच से होकर गुजारा जाता है, तो अवरोधक पदार्थ वस्त्र पर लग जाता है तत्पश्चात् इसे रंगा जाता है। वस्त्र पर अवरोधक पदार्थों के लगे होने के कारण रंग उस भाग में प्रवेश नहीं कर पाता है। सम्पूर्ण वस्त्र की छपाई हो जाने के पश्चात् वस्त्र पर से अवरोधक पदार्थ से साबुन, गर्म पानी से धोकर हटा दिया जाता है।

छपाई के चरण

वस्त्रों को छपाई द्वारा आकर्षक स्वरूप देने के लिए निम्न चरणों को सम्पादित करना पड़ता है-

1. सर्वप्रथम छपाई के जानकार व्यक्तियों द्वारा छपाई हेतु नमूनें तैयार किये जाते हैं। अनेक तैयार नमूनों में से कुछ अनुपयोगी या अवांछित नमूनों को पृथक कर लिया जाता है। चुने हुए नमूनों का सैम्पल तैयार किया जाता है, जिन्हें रफ छपाई के माध्यम से छापे के लिए अन्तिम रूप से स्वीकार किया जाता है।

2. डिजाइन के सैम्पल या नमूनों में रंग संयोजन किया जाता है। रंग संयोजन के अनुसार नमूनों को उपयुक्त पाये जाने पर डिजाइन को बड़ा रूप दिया जाता है।

3. बड़े किये गये नमूनों की जिंक प्लेट पर खुदाई की जाती है।

4. तत्पश्चात् जिंक प्लेट से डिजाइन को रोलर पर पेन्टाग्राफ से उतारा जाता है।

5. विभिन्न रंगों के लिए अलग-अलग रोलर लिए जाते हैं। उदाहरणार्थ यदि डिजाइन में चार रंग लिए गये हैं तो चार रोलर काम लिए जायेंगे । रोलर की खुदाई हाथ से की जाती है रोलर की सफाई के लिए नाइट्रिक अम्ल उपयोग में लाया जाता है जिससे डिजाइन के किनारे स्पष्ट दिखाई दे।

6. रंग का अर्द्ध तरल पेस्ट तैयार किया जाता है। वस्त्र की छपाई के लिए कोई विशेष रंगों का चयन नहीं किया जाता। वस्त्रों की रंगाई के लिए उपयोगी रंग ही छपाई के लिए उपयुक्त रहते हैं। छपाई से पूर्व स्टार्च डालकर गाढ़ा किया जाता है जिससे वस्त्र पर डिजाइन नहीं फैलती।

7. अतिरिक्त रंग को धोकर अथवा अन्य विधि से बाहर निकाल लिया जाता है।

8. छपाई के पश्चात् सूख जाने पर वस्त्र को, गर्म रोलर के बीच से गुजारा जाता है, फिर भाप द्वारा रंग को पक्का किया जाता है।

Important Links

Disclaimer

Disclaimer: Sarkariguider does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com

About the author

Sarkari Guider Team

Leave a Comment