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नयी आयात-निर्यात नीति की प्रमुख विशेषताएं | Characteristics of New Import-Export Policy in Hindi

नयी आयात-निर्यात नीति की प्रमुख विशेषताएं
नयी आयात-निर्यात नीति की प्रमुख विशेषताएं

नयी आयात-निर्यात नीति की प्रमुख विशेषताएं-Characteristics of New Import-Export Policy in Hindi

नयी आयात-निर्यात नीति की प्रमुख विशेषताएं (Characteristics of New Import-Export Policy) – नयी आयात-निर्यात नीति की घोषणा 31 मार्च, 2009 को की गयी है। उस नीति की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

(1) निर्यात संवर्द्धन योजनाएं- नयी आयात् निर्यात नीति में विशेष रूप से संवर्द्धन पूँजी समान प्रणाली को उदार बनाने की घोषणा की बयी, जिसमें निर्यात दायित्व के नियमित मानीटरिंग की प्रणाली समाप्त की गयी। साथ ही दस साल पुराने मशीनरी के आयात की छूट भी दी गयी। अब निर्यात दायित्व भी प्रत्यक्ष उपलब्ध शुल्क छूट का आठ गुना होगा अर्थात् कोई निर्यातक मशीनरी के आयात पर आयात शुल्क में जितनी छूट लेता है, दस साल में उसका आठ गुना निर्यात करना होगा। निर्यातक को निर्यात दायित्व में और लचीलापन दिया गया है अर्थात् जिस उत्पाद के निर्यात के लिए उन्हें ई०पी०सी०जी० लाइसेंस मिला है वे दायित्व पूरा करने के लिए दूसरे उत्पाद का भी निर्यात कर सकते हैं। निर्यात के ई०पी०सी०जी० के तहत उत्पादन से पूर्व व उत्पादन से बाद स्थापित होने वाली सुविधाओं के लिए भी मशीनरी आयात कर सकते हैं। साफ्टवेयर निर्यातकों को भी अनेक नयी सुविधाएँ प्रदान की गयी है।

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2. कृषि निर्यात क्षेत्र में निगमित निवेश पर बल- नयी निर्यात-आयात नीति में कृषि निर्यात क्षेत्र में निगमित निवेश पर बल दिया गया है, जिसके लिए अनेक कर रियायतों पर विचार किया जा रहा है। कृषि निर्यात जोन में कृषि से जुड़े बुनियादी ढाँचे, विस्तार सेवाएँ, प्रसंस्करण, संवेष्ठन, भण्डारण आदि में निजी कम्पनियों के निवेश पर रियायतें दी जा सकती हैं, जिसके लिए वित्त मन्त्रालय से चर्चा चल रही है। कृषि उत्पादों का भारतीय निर्यातों में प्रमुख हिस्सा हो सकता है क्योंकि कई कृषि उत्पादों में भारत विश्व में प्रथम स्थान पर है। देश में 45 कृषि निर्यात जोन अधिसूचित भी किये जा चुके हैं। अब निजी क्षेत्रों को भी कृषि निर्यात क्षेत्रों से जोड़ा जा रहा है, ताकि निजी निवेश द्वारा बुनियादी ढाँचा निर्मित हो सके। अब कृषि उत्पाद के निर्यातकों को भी शुल्काधिकार पास-बुक प्रणाली के अन्तर्गत शुल्क की वापसी होगी। डी०ई०पी०जी० दरें तय करने में उर्वरक, कीटनाशी, बीजों आदि के आयात को शामिल किया जायेगा, परन्तु इसमें कृषि उपकरण सम्मिलित नहीं होंगे, क्योंकि वे पूँजी समान वर्ग में आते हैं।

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3. पेट्रोलियम उत्पादों के आयात का उदारीकरण- नयी निर्यात-आयात नीति के अन्तर्गत पेट्रोलियम उत्पादों के आयात को उदार बनाते हुए निजी क्षेत्र की कंपनियों को भी पेट्रोलियम उत्पादों के आयात की अनुमति दे दी गयी है। विशेषतः उन कंपनियों को आयात की स्वीकृति होगी जिन्हें देश में पेट्रोलियम उत्पादों के विपणन की स्वीकृति प्राप्त है। इस प्रकार यह माना जा सकता है कि अब आई० ओ० सी० के अतिरिक्त चारों निजी कम्पनियों को भी पेट्रोलियम उत्पादों के आयात करने की अनुमति मिल जायेगी।

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