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साक्षरता कार्यदल | साक्षरता कार्य दल का सामाजिक प्रभाव | विद्यालय शिक्षा एवं साक्षरता का विभाग

साक्षरता कार्यदल
साक्षरता कार्यदल

साक्षरता कार्यदल (Literacy Brigades)

साक्षरता ब्रिग्रेड को साक्षरता कार्यदल के नाम से सम्बोधित किया जाता है। साक्षरता कार्यदल साक्षरता के प्रसार के लिए मूल संकेतक या विकास के स्तर के रूप में समाज से जुड़ा है। यह आधुनिक सभ्यता, आधुनिकीकरण, नगरीकरण, औद्योगीकरण के निर्दोष लक्षणों के साथ संलग्न है। साक्षरता व्यक्तियों के समग्र विकास के लिए सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक पर्यावरण एवं अवसरों को बेहतर बनाने के लिए अवसर प्रदान करता है एवं अधिक जागरुकता के लिए प्रेरित करता है। साक्षरता कार्यदल सामाजिक स्थितियों में सामाजिक उत्थान के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है जो कि विकास में किये गये निवेश पर उसके रिटर्न को बढ़ाने में योगदान देता है।

साक्षरता कार्यदल विकास के प्रयास, जनसंख्या का नियंत्रित करना, स्वास्थ्य रक्षा, स्वास्थ्य विज्ञान, पर्यावरण अवनयन नियंत्रण, रोजगार तथा कमजोर वर्गों के समाज के उन्नयन के लिए अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका एवं क्रिया-कलाप अपनाता है।

भारत में साक्षरता दर, सामाजिक आर्थिक स्थिति में वृद्धि हुई। 2011 की जनगणना के अनुसार 2001-2011 के बीच साक्षरता में 9.2% की दशकीय साक्षरता में वृद्धि हुई है। भारत में साक्षरता दर में व्यापक लिंग असमानता है जो पुरुषों के लिए 82.14% एवं महिलाओं के लिए 65.46% है। पुरुषों की साक्षरता दर में काफी तेजी से वृद्धि हुई है। अध्ययनों से यह पता चलता है कि महिलाओं के गर्भ निरोधन में साक्षरता काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। लिंगानुपात में काफी सुधार हो रहा है। सामाजिक जुड़ाव बहुत तेजी से बढ़ा है। साक्षरता अभियान के प्रति सशक्तिकरण से पूरे समुदाय पर व्यापक प्रभाव पड़ा है।

साक्षरता कार्य दल का सामाजिक प्रभाव (Social Impacts of Literacy Brigades)

साक्षरता कार्यदल से समाज पर अत्यधिक व्यापक प्रभाव देखने को मिल रहा है समाज को सांस्कृतिक रूपों में गतिशीलता द्वारा शिक्षा की योजना हेतु अनुकूल वातावरण प्रदान किया जा रहा है। इसका सामाजिक प्रभाव निम्नवत् है-

1. समुदाय एवं सामाजिक गतिशीलता- साक्षरता कार्य दल के माध्यम से साक्षरता अभियान एवं सशक्तिकरण में व्यापक क्षमता का विकास हुआ है। अपनी सांस्कृतिक परम्पराओं को कार्य दल के माध्यम से समुदाय तक पहुँचाने का प्रयास किया गया है। सीखने के लिए अनुकूल वातावरण बनाने की कार्य प्रणाली का निर्माण किया गया। इस कार्य हेतु सांस्कृतिक जुलूस सड़क के नुक्कड़ नाटक, स्थानीय थियेटर, कठपुतली, लोकगीत आदि सभी के माध्यम से समुदाय एवं सामाजिक गतिशीलता पर साक्षरता कार्यदल का काफी प्रभाव पड़ता है।

2. स्कूल नामांकन में वृद्धि- साक्षरता कार्यदल के प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम ने स्कूलों में बच्चों के नामांकन में बहुत अच्छा योगदान दिया है। भारत में अध्ययनों से पता चलता है कि पढ़े-लिखे या साक्षर घरों की तुलना में 5 से 15 वर्ष के लड़के एवं लड़कियों का नवसाक्षरता के रूप में संख्या में नामांकन में काफी वृद्धि हुई है। नवसाक्षर परिवारों में 3 बच्चों में 2 बच्चों का तो नामांकन अवश्य हुआ है। इस प्रकार साक्षरता ब्रिगेड कार्यदल ने स्कूलों में नामांकन की संख्या बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाई है।

3. शिक्षा के महत्त्व की सामाजिक जागरुकता- भारत ने अपने उच्चतम सामाजिक जागरुकता के माध्यम से अपने एवं बच्चों हेतु शिक्षा के महत्त्व को व्यापक रूप से दर्ज किया है। प्रौढ़ शिक्षा आन्दोलन का सबसे बड़ी उपलब्धि बालिका शिक्षा पर प्रभाव है। लड़कियों के आत्मविश्वास और अतिरिक्त पाठ्यक्रम की भूमिका नवसाक्षार माता-पिता के बीच जागरुकता का परिणाम है। समान अवसर की आवश्यकता बालक एवं बालिकाओं दोनों के लिए प्राथमिक शिक्षा की मात्रा एवं गुणवत्ता को प्रभावित किया है।

4. लैंगिक समानता एवं महिला सशक्तिकरण- प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम की एक बड़ी ताकत के रूप में महिलाओं की भागीदारी का बहुत अधिक प्रभाव पड़ा है। भारत में लगभग 60% से अधिक प्रतिभागी महिलाएँ हैं। इस कार्यक्रम ने वयस्क महिलाओं को जिन्होंने पढ़ने-लिखने एवं कौशल प्रशिक्षण प्राप्त करने की औपचारिक शिक्षा की पहुँच से इन्कार करदिया है। उनको मुख्य धारा से जोड़ने का कार्य साक्षरता कार्यदल ने किया है। साक्षरता और प्रौढ़ शिक्षा अभियान ने लैंगिक समानता को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया है। अपने आपको तथा उनके परिवारों और समुदायों के बारे में निर्णय लेने के लिए सशक्त बनाया है।

5. परिवार में स्थिति- साक्षरता कार्यदल के कार्यक्रमों के माध्यम से परिवार में चल रहे तनावों को एवं परिवार के अन्दर महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी गयी है, जबकि यदि परम्परागत रूप से भारत के छोटे परिवार की महिलाएँ किसी कार्य में सहभागिता हेतु निर्णय लेने में बहुत कमजोर होती हैं। लेकिन इस कार्यदल के माध्यम से उनके निर्णय क्षमता में काफी वृद्धि हुई है।”

6. स्वास्थ्य एवं स्वच्छता- स्वास्थ्य एवं स्वच्छता पर प्रौढ़ शिक्षा के प्रभाव वास्तव में सबसे महत्त्वपूर्ण हैं। एक समुदाय की कार्यात्मक साक्षरता स्तर बढ़ने से प्रजनन क्षमता में एवं काल्पनिक मृत्यु दर में गिरावट दर्ज की गयी है। पोषण एवं स्वास्थ्य के बारे में प्रसारित ज्ञान के माध्यम से माताएँ अपने परिवार को स्वस्थ एवं अपने बच्चों के बेहतर देखभाल में काफी सक्षम हुई है। पंचायती राज के प्रतिनिधियों को संवेदनशील बनाने के लिए साक्षरता कार्यक्रमों में जन भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए 73वें संवैधानिक संशोधन में प्रौढ़ शिक्षा की जिम्मेदारी अब जिला परिषद एवं जिला पंचायत के साथ है। साक्षरता कार्यक्रमों को एकीकृत करने के लिए जिला समिति को अर्थपूर्ण ढंग से जोड़ा गया है।

इस सन्दर्भ में पंचायती राज संस्थाओं में विशिष्ट स्तर पर जिला साक्षरता समिति (ZSS) को संलग्न किया गया है। इस कार्य क्षेत्र में राज्य संसाधन केन्द्र एवं राष्ट्रीय साक्षरता संसाधन केन्द्र, मसूरी द्वारा सहभागिता हेतु अनेक कार्यशालाएँ आयोजित की जाती है।

विद्यालय शिक्षा एवं साक्षरता का विभाग (School Education and Literacy Deportment)

निम्न साक्षरता वाले राज्यों में जनजातीय क्षेत्रों में उत्तर-पूर्वी राज्यों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के महिलाओं में तथा वंचित समूहों में शिक्षा एवं साक्षरता हेतु डिपार्टमेंट ऑफ स्कूल एजूकेशन एण्ड लिटरेसी (स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग) द्वारा चालू वर्ष में प्रमुख योजनाएँ शुरू की गयी हैं।

अगस्त, 2014 में प्रारम्भ किया गया अभियान ‘सर्व शिक्षा अभियान’ इस दिशा में एक उप कार्यक्रम था इसमें ‘पढ़े भारत, बढ़े भारत’ का नारा देकर शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने का प्रयास किया गया है। वर्तमान में पूरे देश में कार्यान्वित होने वाले अनेक शैक्षिक कार्यक्रम हैं। सर्व शिक्षा अभियान द्वारा बच्चों का विशेष शिक्षा हेतु 25 लाख से बच्चों को प्राथमिक शिक्षा में नामांकित किया गया है। प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्तर पर शिक्षकों की व्यवस्था की गयी है। बच्चों की आवश्यकताओं को देखते हुए उनके लिए समावेशी कक्षा-कक्ष की व्यवस्था, लिखने-पढ़ने की सामग्री की व्यवस्था NCERT द्वारा विकसित की गयी है।

इस दिशा में राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA) की भी भूमिका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। माध्यमिक विद्यालयों में अतिरिक्त कक्षाएँ, प्रयोगशालाएँ, प्रशासन, पेयजल, पुस्तकालय आदि की उत्कृष्ट व्यवस्था RMSA अभियान की प्रमुख देन है।

इस प्रकार साक्षरता कार्यदल ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को जन साधारण के माध्यम से महत्त्वपूर्ण ढंग से विस्तारित करने का सार्थक प्रयास किया है।

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