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एडूसैट (EDUSAT) क्या है ? एडूसैट की कार्यप्रणाली तथा महत्त्व

एडूसैट (EDUSAT) क्या है ? एडूसैट की कार्यप्रणाली तथा महत्त्व
एडूसैट (EDUSAT) क्या है ? एडूसैट की कार्यप्रणाली तथा महत्त्व

एडूसैट (EDUSAT) क्या है?

एडूसैट, एजूकेशन सैटेलाइट का संक्षिप्त रूप है। इसका हिन्दी रूपान्तर ‘शैक्षिक उपग्रह’ है जिसका मुख्य उद्देश्य दूरदराज क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों के लिए दूरस्थ शिक्षा प्रदान करना है। शैक्षिक उपग्रह द्वारा दी जाने वाली शिक्षा का माध्यम दूरदर्शन है। यह एक प्रकार का दूरदर्शन कार्यक्रम है जिसे अधिगमकर्त्ता एक निश्चित समय पर एक निश्चित कक्ष में बैठ करके एक निश्चित पाठ्य योजना पर अधिगम ग्रहण करता है। इस तरह के कार्यक्रमों को सीडी में भी रिकार्ड कर लिया जाता है जिसे आवश्यकतानुसार पुनः दूरदर्शन पर प्रदर्शित किया जाता है। इस सामग्री को इण्टरनेट पर भी दिखाने की व्यवस्था है। शैक्षिक उपग्रह का एकमात्र उद्देश्य ऐसे छात्रों को शिक्षित करना जो दूरवर्ती क्षेत्रों में रहते हैं और उन्हें औपचारिक शिक्षा की सुविधाएँ नहीं प्राप्त हैं। यह एक प्रकार की दूरस्थ शिक्षा है जो उन लोगों के लिए भी लाभकारी है जो सेवारत हैं और विद्यालय जाने में असमर्थ हैं। इसके माध्यम से निरक्षरता को समाप्त करने में भी सहायता मिलती है। इस तरह का प्रयोग श्रीलंका, बांग्लादेश, अफगानिस्तान आदि देशों में हो रहा है।

शैक्षिक उपग्रह शिक्षा के क्षेत्र में भारत का पहला उपग्रह है जो भारत सरकार द्वारा दूरस्थ और ग्रामीण अंचलों में रहने वाली जनसंख्या को शिक्षित करने की संकल्पना को प्रकट करती है। इस उपग्रह का कुल भार 1950 किलोग्राम है जिसे सतीश धवन अन्तरिक केन्द्र, श्रीहरिकोटा से 2 सितम्बर, 2004 को प्रक्षेपित किया गया था। इस तकनीकी में इनसेट की अपेक्षा अर्थात् सूचना उपग्रह की अपेक्षा अनेक नई तकनीकियाँ जुड़ी हैं। इसमें बहुसंख्यक एण्टिना लगे जो भारत के लक्षित क्षेत्रों में प्रसारण करने में सक्षम हैं। हुए हैं

एडूसैट उपग्रह शिक्षा के लिए पूरी तरह समर्पित है। इसके माध्यम से सभी प्रकार के शैक्षिक पाठ्यक्रमों का प्रसारण किया जाता है। इस उपग्रह से प्रकाशित होने वाले कार्यक्रमों के लिए विज्ञान प्रसार में एक सुसज्जित स्टूडियो की स्थापना की गई है जिसमें 20 राज्यों को लक्ष्य बनाया गया है। चूँकि यह द्विध्रुवी नेटवर्क है अर्थात् इसके अंतर्गत जो शिक्षक पढ़ा रहा होता है, उससे छात्र अन्तःक्रिया कर सकता है। प्रश्न पूछ सकता है। अपने संदेहों का समाधान कर सकता है तथा छात्र एवं शिक्षक एक-दूसरे को देख भी सकते हैं। एक तरह से यह देशव्यापी कक्षा है। जैसे कोई शिक्षक अपने छात्रों को अपने लिखे हुए कोई नोट्स बाँटना चाहता है ऐसा वह इस उपग्रह के माध्यम से करने में सक्षम हो जाता है क्योंकि शिक्षक अपने नोट्स को नेटवर्क में स्थानांतरित कर देता है जिसे छात्र क्षण भर के अन्दर नेटवर्क के माध्यम से उस नोट्स की कापी कर लेता है।

एडूसैट की कार्यप्रणाली (Working System of EDUSAT)

शैक्षिक उपग्रह पर प्रसारित होने वाला कार्यक्रम दूरदर्शन, कम्प्यूटर, डिजिटल कैमरा, डीवीडी प्लेयर, स्विचर, डिश एंटिना के माध्यम से छात्र तक पहुँचते हैं। प्रसारण को नियंत्रित करने के लिए सॉफ्टवेयर का प्रयोग किया जाता है। डिजिटल कैमरा शिक्षण की प्रति छाया को स्क्रीन पर दिखाता है और इसके माध्यम से अन्य फिल्म को भी रिकार्ड किया जा सकता है। ई०सी०, डी०वी०डी० प्लेयर तथा स्विचर का प्रयोग प्रसारण का सिग्नल का चुनाव करने के लिए किया जाता है। ई०सी० के पास एक डिजिटल मॉनीटर होता है जो सफेद बोर्ड के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। इस बोर्ड पर डिजिटल पिन का प्रयोग करते हुए उसे छात्रों तक प्रसारित करते हैं। तत्पश्चात् सर्वर कम्प्यूटर के माध्यम से सम्पूर्ण सामग्री को मॉडम पर भेज देते हैं। मॉडम उच्चस्तरीय केबिल के माध्यम से डिजिटल डिश एण्टिना में बदल देता है। यह डिश एण्टिना उपग्रह पर लक्षित होता है और हजारों किलोमीटर दूर पृथ्वी पर स्थित उपकरणों तक पहुँचता है। एक ही खिड़की (विण्डो) के माध्यम से तस्वीर और आवाज एक-दूसरे के पास अर्थात् शिक्षक की तस्वीर और आवाज छात्र के पास एवं छात्र की तस्वीर एवं आवाज शिक्षक के पास पहुँचती है। एडूसैट के माध्यम से छात्र एवं शिक्षक आपस में बातचीत कर सकते हैं।

इण्टरनेट एवं एडूसैट में अन्तर

इण्टरनेट में संगृहीत शैक्षिक सामग्री तो हम प्राप्त कर सकते हैं किन्तु किसी ज्वलन्त समस्या, प्रश्न या संदेश का समाधान नहीं कर सकते हैं। एडूसैट ही वह माध्यम है जिसके माध्यम से हम विषय विशेषज्ञ से किसी भी ज्वलंत समस्या का समाधान कर सकते हैं। किसी ज्वलंत समस्या का उत्तर प्राप्त कर सकते हैं तथा अपने संदेह का समाधान कर सकते हैं। यह एक आधुनिक शैक्षिक नवाचार है जिसके पदार्पण से शिक्षा जगत में एक नए युग की शुरुआत हुई है।

एडूसैट का महत्त्व (Importance of EDUSAT)

दूरस्थ शिक्षा के क्षेत्र में शैक्षिक उपग्रह का बड़ा महत्त्व है जिन्हें निम्नांकित बिन्दुओं के माध्यम से रेखांकित किया जा सकता है-

(1) एडूसैट द्विध्रुवी व्यवस्था है जिसके द्वारा छात्र केवल मूक श्रोता ही नहीं रहता अपितु वह शिक्षक से अन्तर्क्रिया भी करता है।

(2) एड्सैट एक ऐसी व्यवस्था है जिसके माध्यम से छात्र एवं शिक्षक एक-दूसरे से बहुत होते हुए भी एक-दूसरे को देख सकते हैं, बातें कर सकते हैं और अपनी समस्याओं का दूर समाधान कर सकते हैं।

(3) एडूसेट एक साथ लाखों छात्रों को अधिगम देने में सक्षम है। एक ही शिक्षक इस उपग्रह के माध्यम से पूरे देश के छात्रों को एक साथ पढ़ाया जा सकता है।

(4) यह उपग्रह उन छात्रों के लिए वरदान सिद्ध हुआ है जो दूरदराज के क्षेत्रों जैसे पहाड़ी, जंगली क्षेत्रों में रहते हैं और जहाँ कोई भी शैक्षिक सुविधा प्राप्त नहीं है।

(5) यह विधा छात्रों के समय और धन की बचत करती है।

(6) इस नवाचार के माध्यम से वे लोग भी लाभान्वित होते हैं जो सेवारत हैं।

(7) शैक्षिक उपग्रह के माध्यम से सार्वभौमिक अनिवार्य एवं निःशुल्क शिक्षा की संकल्पना को साकार करने में सहायता मिलती है।

(8) देश की निरक्षरता को मिटाने में एडूसैट एक प्रबल माध्यम है।

(9) प्रौढ़ शिक्षा के क्षेत्र में एडूसैट की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। ऐसे युवक जो 18 वर्ष की आयु को पार कर चुके हैं और विद्यालय नहीं जा सकते हैं, वे भी इसके माध्यम से सजीव शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।

(10) एडूसैट विद्यालयों में बढ़ती हुई भीड़ के दबाव को कम करता है। विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में सभी प्रवेशार्थियों को प्रवेश देना सम्भव नहीं है। अतः ऐसे छात्र एडूसैट के माध्यम से शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।

(11) ऐसी बालिकाएँ जो कतिपय कारणों से विद्यालय नहीं जा सकतीं किन्तु पढ़ने के लिए इच्छुक हैं, उनके लिए भी एडूसैट शिक्षा का अवसर प्रदान करता है।

(12) देश के गरीब, दलित, अल्पसंख्यक जिनके बच्चे सामान्य विद्यालयों में प्रवेश लेने में संकोच करते हैं, वे एडूसैट की सहायता से शिक्षा प्राप्त करने में समर्थ हो जाते हैं।

इस प्रकार देश की निरक्षरता उन्मूलन में, सर्वशिक्षा अभियान, सार्वभौमिक एवं अनिवार्य शिक्षा जैसे क्षेत्र में एडूसैट की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। खुली शिक्षा प्रणाली एडूसैट के माध्यम से संचालित हो रही है। जैसे इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, कोटा विश्वविद्यालय, राजस्थान, राजर्षि टण्डन खुला विश्वविद्यालय इत्यादि। आज इग्नू के लगभग 100 केन्द्र एडूसैट से जुड़े हुए हैं और विद्यार्थियों की सहायता कर रहे हैं। भारत की सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक विकास में इस उपग्रह का महत्त्वपूर्ण योगदान है।

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