औद्योगिक क्रांति का अर्थ
औद्योगिक क्रान्ति का अर्थ 18वीं शताब्दी तक सारे यूरोप में घरेलू उद्योग-धन्धों की प्रधानता थी । सभी लोग अपने हाथ से बनाये गये सामान का प्रयोग करते थे । इसके बाद स्थिति में परिवर्तन हुआ । उत्पादन के लिए नई-नई मशीनों का आविष्कार हुआ । नये नये-कारखाने स्थापित किये गए । इससे लोगों का समय बचा तथा शक्ति बनी रही । जो काम कई वर्षों में होता था, वह काम अब थोड़े समय में होने लगा । इससे उत्पादन बढ़ गया । उपभोग में बहुत सी सामग्रियाँ मिलने लगी ।
इसका परिणाम यह हुआ कि मनुष्य के आर्थिक तथा सामाजिक जीवन में एक बड़ा परिवर्तन हुआ । यह परिवर्तन उद्योग के विकास के कारण हुआ । इसीलिए इसे औद्योगिक क्रान्ति कहते हैं । सन् 1770 ई. से 1830 ई. तक कुछ विशेष बातों में औद्योगिक क्रान्ति स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगी थी ।
औद्योगिक क्रान्ति के कारण
औद्योगिक क्रान्ति यूरोप के अन्य देशों की अपेक्षा इंग्लैण्ड में ही सबसे पहले हुई । जिस प्रकार 18वीं शताब्दी में राजनीतिक क्रान्ति के सभी साधन फ्रांस में मौजूद थे उसी प्रकार इंग्लैण्ड में भी औद्योगिक क्रान्ति के सभी साधन उपलब्ध थे ।
इस प्रकार इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रान्ति के निम्नलिखित कारण-
(1) प्राकृतिक संसाधन – औद्योगिक क्रान्ति के होने का एक मुख्य कारण यह था कि इंग्लैण्ड में लोहा, कोयला आदि खनिज पदार्थ काफी मात्रा में पाये जाते थे । इनसे वहाँ बड़ी-बड़ी मिलें तथा कारखाने खोलने में सहायता मिली।
(2) भौगोलिक स्थिति – इंग्लैण्ड की भौगोलिक स्थिति भी सुविधाजनक थी । वह बाहरी आक्रमणों से सुरक्षित था । इंग्लैण्ड का कोर्ट भी प्रधान नगर सामुद्रिक बंदरगाहों से बहुत अधिक दूरी पर स्थित नहीं था । कटे-फटे समुद्री किनारों के कारण इंग्लैण्ड के अपने बंदरगाह थे तथा अन्य देशों को अपेक्षा इसकी सामुद्रिक शक्ति भी समृद्ध थी ।
(3) वैज्ञानिक आविष्कार – इस युग में अधिकांश वैज्ञानिक आविष्कार इंग्लैण्ड में हुए । सूत कातने तथा कपड़ा बुनने की मशीनें सर्वप्रथम इंग्लैण्ड में ही बनी । यूरोप के किसी अन्य क्षेत्र में विज्ञान की इतनी प्रगति नहीं हुई।
(4) व्यापारियों का सहयोग – इंग्लैण्ड के व्यापारी राज्य के हस्तक्षेप से मुक्त थे । इंग्लैण्ड की सरकार व्यापारियों के कार्यों में बाधा डालने के स्थान के बदले इनको यथाशक्ति सहायता देती थी । इसलिए क्रान्ति के समय व्यापारियों ने बढ़-चढ़कर साथ दिया ।
(5) राजनैतिक चेतना की जागृति – इंग्लैण्ड में राजनैतिक चेतना व्यापक रूप से जागृत हो चुकी थी । राष्ट्र के रूप में इंग्लैण्ड बहुत ज्यादा संगठित हो चुका था । जर्मनी उस समय तक छोटे-छोटे राज्यों में बँट चुका था । फ्रांस में राजनैतिक अशान्ति थी लेकिन इंग्लैण्ड में राजनैतिक दृष्टि से अधिक सुरक्षा तथा स्थायित्व था ।
(6) उपनिवेशों से व्यापार में वृद्धि – औद्योगिक क्रान्ति को उपनिवेशों बहुत शक्ति मिली । उस समय इंग्लैण्ड के उपनिवेश भारत तथा अमेरिका में थे । इन उपनिवेशों से इंग्लैण्ड को काफी मात्रा में कच्चा माल मिल जाता था । उसका उपयोग वहाँ के कल-कारखानों में किया जाता था । इससे इंग्लैण्ड के व्यापारियों को काफी लाभ होता था । वे इस कच्चे माल से तरह- तरह की वस्तुएँ तैयार करके ,फिर उन्हीं उपनिवेशों में बिक्री के लिए भेज देते थे । इसलिए तैयार माल की खपत के लिए आसानी से बाजार मिल जाते थे ।
(7) सस्ते मजदूरों का मिलना – खेती की बेगारी खत्म हो गई थी। इसलिए अब मजदूर पहले की तरह भूमि से बँधे नहीं थे । वे अब कहीं भी . जाकर व्यवसाय कर सकते थे। अतः कारखानों में काम करने के लिए आसानी से मजदूर मिलने लगे। ये मजदूर काफी सस्ते होते थे ।
(8) पूँजी की प्राप्ति – इंग्लैण्ड का विदेशी व्यापार उन्नत अवस्था में था, इसलिए औद्योगिक विकास के लिए पूँजी की कमी नहीं थी।
(9) जनसंख्या में वृद्धि – जनसंख्या में वृद्धि भी औद्योगिक क्रान्ति का एक कारण थी । चिकित्सा सुविधा तथा निर्धनों की सहायता होने के कारण लोग भुखमरी तथा रोग का शिकार आसानी से नहीं हो पाते थे । फलतः जनसंख्या तेजी से बढ़ी । बढ़ती हुई जनसंख्या की वृद्धि ने सस्ते मजदूरों की संख्या बढ़ा ।
(10) कुशल कारीगर – 17वीं शताब्दी में यूरोप के अन्य देशों के कुशल कारीगर बड़ी संख्या में इंग्लैण्ड पहुँचे । इसका मुख्य कारण यह था कि यूरोप के अन्य देशों में धार्मिक युद्धों के कारण अशान्ति बनी रहती थी। कुशल कारीगरों के सम्पर्क में आने से इंग्लैण्ड के मजदूरों का कौशल ज्ञान बढ़ा। साथ ही खेती-बाड़ी तथा उद्योग-धन्धों का विकास हुआ । इस प्रकार कुशल कारीगरों ने इंग्लैण्ड के उद्योग-धन्धों के विकास में सहायता पहुँचाई ।
(11) राजकीय संरक्षण की प्राप्ति – बड़े-बड़े उद्योगों तथा व्यवसायों को चलाने के लिए राजकीय मदद की जरूरत होती है । उस समय इंग्लैण्ड की सरकार ने बड़े-बड़े उद्योगों तथा व्यवसायों को पूरी सहायता दी । सरकार ने स्वतंत्र व्यापार नीति अपनाई । इसके अनुसार व्यापारियों को किसी भी देश से व्यापार करने की छूट दी गई ।
औद्योगिक क्रान्ति के आविष्कार
(1) फ्लाइंग शटल– 1733 ई० में एक अंग्रेज आविष्कारक ‘जॉन के’ ने फ्लाइंग शटल नामक मशीन का आविष्कार किया। इस मशीन के द्वारा एक व्यक्ति कम समय में अधिक कपड़ा बुन सकता था। इस मशीन से जुलाहे सर्वाधिक लाभान्वित हुए।
(2) स्पिनिंग जैनी- 1765-66 ई० में जेम्स हारग्रीब्ज ने सूत कातने वाली मशीन (स्पिनिंग जैनी) बनायी। इस मशीन में आठ तकुवे लगे होते थे। इस मशीन से एक व्यक्ति आठ व्यक्तियों के बराबर सूत कातने में सक्षम हो गया।
(3) वाटरफ्रेम– 1769 ई० में रिचर्ड आर्क राइट ने वाटरफ्रेम नामक मशीन बनाने में सफलता प्राप्त की। स्पिनिंग जैनी मशीन द्वारा काता हुआ सूत कच्चा होता था और बुनाई करते समय बार-बार टूट जाता था, किन्तु वाटरफ्रेम में बेलन लगे होते थे और इससे पक्का सूत काता जाता था। यह मशीन पानी की शक्ति से चलती थी, इसलिए इस यन्त्र को वाटरफ्रेम की संज्ञा दी गयी।
(4) म्यूल- 1776 ई० में क्रॉम्पटन महोदय ने म्यूल (मसलिन ह्वील) नामक मशीन बनायी। यह मशीन बारीक और पक्का धागा तैयार करती थी। इस मशीन के निर्माण में अच्छा तथा महीन कपड़ा बनाने में सुविधा हो गयी।
(5) पावरलूम– 1785 ई० में एडमण्ड कार्टराइट ने भाप की शक्ति से चलने वाली पावरलूम नामक मशीन का आविष्कार किया। इस मशीन से कपड़ा बुनाई के कार्य में पर्याप्त तेजी आ गयी।
(6) रेल इंजन- 1814 ई० में जॉर्ज स्टीफेन्सन ने रेल इंजन का निर्माण किया।
(7) भाप- शक्ति-न्यू कॉमन व जेम्स वाट ने भाप-शक्ति का आविष्कार किया।
(8) जिन- यह कपास साफ करने वाली मशीन थी। 1792 ई० में एली ह्विटने नामक वैज्ञानिक ने इस मशीन को बनाया। यह मशीन प्रतिदिन 1,000 पौण्ड कपास साफ कर सकती थी।
(9) स्टीमर- 1812 ई० में हेनरी बेल ने एक स्टीमर बनाया।
(10) सिलाई मशीन– 1846 ई० में एलिहास हो ने सिलाई की मशीन का आविष्कार किया।
इसी प्रकार परिवहन के साधन, पक्की सड़क के निर्माण की विधि, विद्युत तार, टेलीफोन आदि के आविष्कार हुए। वास्तव में औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप ये महत्त्वपूर्ण आविष्कार हुए।
औद्योगिक क्रान्ति के लाभ
यूरोप की औद्योगिक क्रान्ति का लाभ न केवल यूरोप, वरन् सम्पूर्ण विश्व को प्राप्त हुआ। क्रान्ति के लाभों को स्पष्टकरते हुए वुडवर्ड’ ने लिखा है कि-
“इस क्रान्ति से मनुष्य को चमत्कारिक लाभ हुए। जिन कार्यों को करने में असीमित श्रम और पर्याप्त समय लगता था, अब वे अल्पकाल में मामूली श्रम से ही पूरे हो जाते थे।”
औद्योगिक क्रान्ति के निम्नलिखित लाभ हुए-
(1) नवीन आविष्कारों के फलस्वरूप नवीन तकनीकी का विकास हुआ, जिससे उत्पादन-क्षमता बढ़ गयी।
(2) यातायात के साधनों का तेजी से विकास हुआ तथा मानव के लिए अब यातायात सरल और सुविधाजनक हो गया।
(3) नागरिक जीवन निरन्तर सुख-सुविधापूर्ण होता चला गया।
(4) कृषि में नवीन उपकरणों के प्रयोग से एक तरफ श्रम की बचत हुई तो दूसरी तरफ खाद्यान्नों का उत्पादन बहुत
अधिक बढ़ गया।
(5) औद्योगिक क्रान्ति से अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि हुई। लोगों के लिए विदेशी व्यापार सुविधाजनक हो गया।
(6) औद्योगिक साधनों के लिए विज्ञान के क्षेत्र में निरन्तर खोजें जारी रहीं, जिससे कई नयी प्रौद्योगिकी की खोजें हुईं।
इस प्रकार औद्योगिक क्रान्ति सम्पूर्ण संसार के लिए लाभकारी सिद्ध हुई।
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