प्रतिचक्रवात क्या होता है?
चक्रवात के विपरीत प्रति चक्रवात के केन्द्र में उच्च वायुदाब एवं बाहर की ओर निम्न वायुदाब का क्षेत्र होता है। इसमें हवाएँ केन्द्र से परिधि की ओर चलती हैं। प्रति चक्रवाती हवाएँ उत्तरी गोलार्द्ध में घड़ी की सुई के अनुकूल तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में घड़ी की सुई के विपरीत दिशा में चलती हैं। भूमध्यरेखीय भागों में प्रतिचक्रवात का सर्वथा अभाव पाया जाता है किन्तु उपोष्ण कटिबन्धीय उच्च वायुदाब क्षेत्रों में प्रतिचक्रवातों का सर्वाधिक निर्माण होता है। प्रतिचक्रवात का मार्ग और दिशा निश्चित नहीं होती ये एक ही स्थान में कई दिनों तक स्थिर रह सकते हैं। प्रतिचक्रवातों के आने पर आकाश बादलों से रहित हो जाता है तथा वर्षा की सम्भावना समाप्त हो जाती है। तापमान में स्थिरता और हवा की गति मन्द होने से मौसम शुष्क साफ और सुहाना होने लगता है। प्रतिचक्रवात जलवायु को अधिक प्रभावित नहीं करते।
प्रतिचक्रवात के प्रकार
प्रतिचक्रवात तीन प्रकार के हैं-
(1) शीतल प्रतिचक्रवात
ये आर्कटिक क्षेत्र में उत्पन्न होकर दक्षिण पूर्व एवं पूर्व दिशा की ओर चलते हैं।
(2) गर्म प्रतिचक्रवात
ये शीतोष्ण उच्च वायुदाब पेटी में उत्पन्न होते हैं और पश्चिमी यूरोपीय देशों एवं दक्षिण पूर्व संयुक्त राज्य अमेरिका को प्रभावित करते हैं।
(3) अवरोधी चक्रवात
क्षोभमण्डल के ऊपरी भाग में वायु के प्रवाह में अवरोध के कारण इनकी उत्पत्ति होती है। चक्रवातों से वर्षा होती है, जबकि इन प्रतिचक्रवातों से मौसम साफ और सुहाना होता है।
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