An Apology For Idlers Summary of the Essay In English And Hindi
An Apology For Idlers Summary of the Essay: Modern age is the age of busy life. Now-a-days everyone is busy in earning and spending money. Under this situation a busy person does not like the company of an idle person. It is very hard to say a word in favour of an idle person, but before speaking anything either in his favour or against, it is comparative to have a bird’s eye view on different aspects of idleness. If a person spends his total energy in gaining some reward in a particular field; he will find in the later stage of his life that he is left far behind in other aspects of life. Therefore, it becomes necessary to develop the virtue of idleness.
The best time in the life of a student is not that when he is attending his class but that when he is out of the class in the company of his close friends. If a worldly wise person advises a student to spend his whole time in study only that person cannot come in the category of a good adviser. Certainly he carries a narrow view regarding knowledge and education. Knowledge cannot be attained without hard labour. It is a foolishness on the part of those that think books to be the only medium to attain knowledge.
The chief virtue of idleness is that it makes a person tolerant and patient. One who always remains busy feels lack of energy, stamina and knowledge but it is not so with a lazy person. A busy person can never be a good speaker, no one wants the company of such a person. Only a busy person can never be the most suitable person for a good society, idleness has its own role and importance in society. The person who pleases us with his smiling face can be a benefactor of ours.
It is better to have a good person than to have money. When such a person enters in our room it seems as if a burning candle has entered into the room. There is always a kind of balance between life and nature. They never think for a single person. One person who has spent his energy only in earning money cannot understand this simple fact.
Modern age is the age of busyness and a busy person is considered good in the society whereas an idle person is always neglected. A busy person does not wish for the company of an idle man because an idle man never praises his achievements. He becomes very sad to think that in the opinion of an idle person his hard labour has no value.
निबन्ध का सारांश
आधुनिक समय व्यस्तता का समय है तथा प्रत्येक व्यक्ति जोर-शोर से धन कमाने के साधनों को एकत्र करने में व्यस्त रहना चाहता है। ऐसे में यदि उसे किसी आलसी का साथ मिल जाये तो यह उसके लिए अत्यधिक दुखदाई होता है। इसीलिए आलसी के पक्ष में कुछ कहना बहुत ही मुश्किल है। फिर भी आलस्य के पक्ष या विपक्ष में बोलने से पहले आलस्य के सभी पहलुओं पर विचार करना श्रेष्ठ है। यदि कोई व्यक्ति अपनी पूरी ऊर्जा केवल पुरस्कार पाने में ही लगा दे या किसी विशेष क्षेत्र में ऊपर उठने में लगा दे तो कार्य के अन्त में उसे पता चलेगा कि जिन्दगी के अन्य पक्षों में वह पिछड़ गया है। अत: व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने अन्दर आलस्य का गुण विकसित करे।
किसी विद्यार्थी के जीवन का वह समय श्रेष्ठ नहीं होता जिसे वह कक्षा में बिताता है बल्कि वह होता है जिसे वह कक्षा के बाहर अपने मित्रों तथा अन्य साथियों के साथ बिताता है। इस समय कक्षा से बाहर रहना भी एक गुण है। एक व्यावहारिक व्यक्ति यदि किसी विद्यार्थी का केवल पुस्तकें पढ़ने की ही सलाह देता है तो वह व्यक्ति एक अच्छे सलाहकार की श्रेणी में नहीं आ सकता है। निश्चित रूप से शिक्षा के बारे में वह संकीर्ण विचारधारा रखता है। ज्ञान कठोर परिश्रम के बिना प्राप्त नहीं किया जा सकता है। यह सोचना मूर्खता है कि केवल पुस्तकें ही ज्ञान प्राप्ति का माध्यम हैं।
आलस्य का सर्वाधिक विशिष्ट गुण यह है कि वह व्यक्ति को सहिष्णु व धैर्यवान बनाता है। एक व्यक्ति जो लगातार कार्य करता रहता है उसमें शक्ति तथा विद्वता की कमी हो जाती है लेकिन आलसी के साथ ऐसा नहीं होता है। एक अत्यन्त व्यस्त व्यक्ति एक अच्छा वक्ता कदापि नहीं हो सकता है। इस प्रकार के व्यक्ति का साथ कोई नहीं पसन्द करता है। केवल व्यस्त व्यक्ति ही समाज के लिए उपयुक्त प्राणी नहीं होते हैं। आलसी का भी बहुत महत्व होता है। वह व्यक्ति जो अपनी रोचक बातों तथा मुस्कराते चेहरे से हमें प्रसन्न करता है, हमारा शुभचिन्तक होता है, उस व्यक्ति की अपेक्षा जो अपनी किसी प्रिय चीज का नुकसान उठाकर हमारी सहायता करता है।
धन की अपेक्षा एक आनन्द देने वाले व्यक्ति का मिलना ज्यादा अच्छा है। जब ऐसा व्यक्ति कमरे में प्रवेश करता है तो ऐसा लगता है, मानो एक जलती हुई मोमबत्ती अपना प्रकाश फैला रही है। जिन्दगी व प्रकृति एक-दूसरे से हमेशा सामंजस्य बनाये रखती हैं। वे किसी अकेले व्यक्ति की परवाह कभी नहीं करती। एक व्यक्ति जिसने सदा धन कमाने में अपनी शक्ति को व्यय किया है, इस बात को ढंग से नहीं समझ सकता है।
आज का युग व्यस्तता का युग है तथा व्यस्त रहने वाले को ही अच्छा माना जाता है। आलसी को नकारा जाता है तथा आलस्य में बेबस अवगुणों को ही देखा जाता है। व्यस्त व्यक्ति आलसी का साथ कभी नहीं चाहता है क्योंकि आलसी उसके द्वारा प्राप्त उपलब्धियों को महत्त्व नहीं देता है। मुझे यह जानकर बहुत दुःख होता है कि उसके परिश्रम का एक आलसी व्यक्ति की दृष्टि में कोई महत्व नहीं है।
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