अपकृत्य विधि (Law of Tort)

‘दैवीय कृत्य’ अपकृत्य विधि में कहाँ तक बचाव है? इसके आवश्यक तत्व का उल्लेख कीजिए।

दैवीय कृत्य act of god in hindi
दैवीय कृत्य act of god in hindi

‘दैवीय कृत्य’ अपकृत्य विधि में कहाँ तक बचाव है? इसके आवश्यक तत्व का उल्लेख कीजिए।

दैवीय कृत्य (act of god in hindi) एक प्रकार की अपरिहार्य दुर्घटना है, जो प्राकृतिक शक्तियों द्वारा उद्भूत होती है और क्षति करती हैं यथा- तूफान, असाधारण वर्षा, भूस्खलन भूचाल आदि परमं प्राकृतिक शक्तियों की क्रियाशीलता का उदाहरण हैं।

दैवीय कृत्य का बचाव प्राप्त करने के लिए प्रतिवादी को यह सिद्ध करने की आवश्यकता न होगी कि घटना अद्भुत या अभूतपूर्व थी। घटना का असाधारण होना ही पर्याप्त होगा तथा घटना, युक्तियुक्त पूर्वानुमान योग्य न रही हो। यह भी आवश्यक है कि घटना के मूल में मानवीय कृत्य न हो।

दैवीय कृत्य के आवश्यक तत्व-

(1) परम् प्राकृतिक शक्तियों की क्रियाशीलता

(2) घटना का असाधारण होना तथा उसका युक्तियुक्त पूर्वानुमान योग्य न होना।

(1) परम् प्राकृतिक शक्तियों की क्रियाशीलता- दैवीय कृत्य के सफल बचाव हेतु प्रतिवादी को यह साबित करना होगा कि परिवादित कृत्य तथा उससे उद्भूत क्षति परम प्राकृतिक शक्तियों की क्रियाशीलता का परिणाम है। भूकम्प, ज्वालामुखी विस्फोट, तूफान, भारी वर्षा आदि परम प्राकृतिक शक्तियों की क्रियाशीलता के दृष्टान्त हैं।

निकोल्स v. मार्स लैण्ड के वाद में प्रतिवादी ने अपनी भूमि पर कुछ प्राकृतिक जल स्रोतों को बांधकर कृत्रिम झील का निर्माण किया, एक बार ऐसी असाधारण और भारी वर्षा हुई कि उसके परिणामस्वरूप इस झील के बन्ध टूट गये, वर्षा इतनी असाधारण थी कि वह मानव- स्मृति में इसके पहले कभी नहीं हुई थी, पानी के प्रवाह से वादी के चार पुल बह गये, यह धारित किया गया कि यह कार्य दैवकृत था अतः प्रतिवादी इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।

(2) घटना का असाधारण होना तथा उसका युक्तियुक्ततः पूर्वानुमान योग्य न होना-दैवीय कृत्य का सफल बचाव लेने के लिये प्रतिवादी को यह सिद्ध करना होगा कि परम प्राकृतिक शक्तियों की क्रियाशीलता के कारण असाधारण घटना घटित हुई। घटना का असाधारण होना ही पर्याप्त होगा, उसका अद्भुत या अभूतपूर्व होना अपेक्षित नहीं है।

घटना असाधारण थी या नहीं यह तथ्य एवं परिस्थितियों का प्रश्न है। वस्तुपरक दृष्टिकोण अपनाते हुए यह अवधारित किया जाना चाहिये कि घटना असाधारण थी या नहीं।

कल्लूलाल v. हेमचन्द्र के वाद में दैवकृत की प्रतिरक्षा सफल नहीं हुई, क्योंकि बरसात के महीने में 2.66 इंच बरसात असाधारण नहीं है इसका पूर्वानुमान किया जा सकता था। प्रतिवादी को यह भी सिद्ध करना होगा कि घटना के असाधारण होने के कारण वह उसका युक्तियुक्त पूर्वानुमान नहीं लगा सका और इस कारण उसके विरुद्ध रक्षात्मक कार्यवाही, नहीं कर सका।

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