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बदलते सूचना-संचार के परिप्रेक्ष्य में (ICT) का स्थान | शिक्षा के स्तर को सुधारने में ICT का योगदान 

बदलते सूचना-संचार के परिप्रेक्ष्य में (ICT) का स्थान | शिक्षा के स्तर को सुधारने में ICT का योगदान 
बदलते सूचना-संचार के परिप्रेक्ष्य में (ICT) का स्थान | शिक्षा के स्तर को सुधारने में ICT का योगदान 

बदलते सूचना-संचार के परिप्रेक्ष्य में (ICT) का स्थान (Place of ICT in the Changing Conceptions of Information)

समाज का स्वरूप बहुत तेजी से बदल रहा है। जिस तेजी से समाज का स्वरूप बदल रहा है उसी तेजी से सूचनाओं की गति भी परिवर्तित हो रही है। आज सूचना एक जगह से दूसरी जगह तत्काल पहुँच जाती है। त्वरित सेवाओं हेतु भी सूचना का तेज आवागमनं आवश्यक है। इस समय प्रत्येक व्यक्ति समाज की प्रत्येक गतिविधि से जुड़ा रहना चाहता है और यह ICT के बगैर असम्भव है। तकनीकों के द्वारा ही सूचनायें शीघ्रता से दूसरी जगह पहुँच जाती हैं। एक जगह हो रहे क्रिकेट मैच की जानकारी उस समय विश्व के किसी भी जगह बैठकर देखी जा सकती है। इसी प्रकार ऑनलाइन फार्म द्वारा परीक्षा तुरन्त आयोजित हो सकती है। यही नहीं उनके परिणाम भी अतिशीघ्र घोषित हो जाते हैं। E-mail द्वारा जानकारी सेकण्डों में विश्व के दूसरे कोने में पहुँच जाती है। अतः आज जैसे-जैसे सूचनाओं की आवश्यकता एवं स्वरूप बदल रहे हैं वैसे-वैसे ICT का स्थान अधिक महत्त्वपूर्ण होता जा रहा है। इसके योगदान व स्थान को निम्न प्रकार देख सकते हैं-

शिक्षा के स्तर को सुधारने में ICT का योगदान 

ICT के योगदान को हम निम्न बिन्दुओं के अन्तर्गत देख सकते हैं-

(1) यह कक्षा का माहौल रोचक बनाता है एवं अधिगम की दर भी तेज होती है।

(2) ज्ञान के संग्रहण एवं प्रसार दोनों में ही अधिक लाभ होता है।

(3) अधिक पठनीय सामग्री की उपलब्धता होने के कारण आज का विद्यार्थी अधिक जानकारी प्राप्त कर सकता है।

(4) नवीन अनुसन्धानों के होने में तकनीकों का विशेष योगदान है।

(5) छात्रों में चिन्तन क्षमता एवं नेतृत्व क्षमता का विकास होता है।

(6) छात्रों में आत्मविश्वास की वृद्धि होती है।

शिक्षा में ICT के संयोजन की चुनौतियाँ

शिक्षा के क्षेत्र में अनेक चुनौतियाँ हैं। भारत जैसे देश में शिक्षा व्यवस्था में पर्याप्त सुधार किसी चुनौती से कम नहीं। इसे हम निम्न बिन्दुओं के आधार पर समझ सकते हैं-

(1) प्रशिक्षित लोगों की कमी- जनसंख्या में कम्प्यूटर शिक्षित लोगों की संख्या नगण्य है। अतः यह भी मुख्य चुनौती है।

(2) परम्परागत सोच- कम जागरूक होना अथवा नवीन सोच न अपनाना भी एक मुख्य चुनौती है।

(3) संसाधनों की कमी- यह भी एक बड़ी चुनौती है। संसाधनों के अभाव में अच्छी योजनायें भी बेकार हो जाती हैं।

(4) बजट की कमी- अधिक जनसंख्या होने का कारण प्रति व्यक्ति बजट काफी कम होता है और कम बजट ICT को स्थापित करने की सबसे बड़ी चुनौती है।

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