William Collins Biography
Life and Works –
William Collins, son of a Chichester hatter, was born in 1721. He was educated at Winchester (where he first met his friend J. Warton) and Oxford. While at university, he showed his poetic talent and published his ‘Persian Eclogues’ in 1742. In 1740s he went to London where he came across James Thomson, Armstrong, and Dr. Johnson. As a writer he shared his friend Warton’s Love of Spenser, Shakespeare, and Milton and also had deep regard for Greek tragedians. Though his ‘Odes on several Descriptive and Allegorical Subjects (1746) met with little success, it had considerable influence. The volume includes his famous ‘Ode to Evening’. ‘How sleep the Brave’, and ‘Odes to Pity, Fear, Simplicity’, and other abstractions, David Diaches writes : “Collins’ odes often show a contrived extravagance of utterance that seems to represent an attempt to be vatic in some grand old way; yet he can also be restrained and delicate.”
His “Ode on the Poetical Character” is the most complex of his odes in imagery and thought. His Ode on the death of Thomson (1749) was the last work published in his life-time. In 1750 he presented an unfinished draft of his ‘Ode on the Popular superstitions of the Highlands to J. Home’ which was published posthumously in 1788. He met with the same fate that overtook some other eighteenth century writers like Swift, Cowper and Christopher Smart. He suffered from melancholia and eventually died in Chichester.
Dr. Johnson, in his “Lives of the English Poets”, commented on his wildness and extravagence which produced harshness and obscurity as well as “sublimity and splendour”, but later poets responded more eagerly to his lyrical intensity and to his conception of poetry as visionary and sacred. He, like Gray, influenced the writers of the later 18th century.
At the age of 25 he came to London with the sole aim of pursuing a literary career there. He could not do it independently and incurred heavy debt. He was arrested for non-payment of his debts. His publishers came to his help and so he was released from jail. Later on, he received a fortunate legacy which freed him from his financial difficulties. He was prove to fits of insanity. When he recovered from them he lapsed into mental depression. He died in his native city at the young age of 38.
Collins could not write much. His total work consists of barely 1500 lines, but he won a name for himself in the history of English poetry for writing beautiful Odes. In fact he is remembered for his Odes which he wrote on abstract subjects such as Pity, Fear, Simplicity etc. The poems of Collins are replete with sweet tenderness, shadowy pathos and delicate melancholy. ‘Ode to Evening’ occupies a special position among the Odes of Collins. Here he is seen at his best. The poems of clearly demonstrate him as a precursor of the Romantic Movement in English poetry.
William Collins Biography in Hindi
हिन्दी साराँश –
विलियम कॉलिन्स का जन्म 1721 में हुआ था। उसके पिता चिचेस्टर के हैट निर्माता एवं विक्रेता थे। उसकी प्रारम्भिक शिक्षा विन्चेस्टर में हुई थी। यहाँ वह सर्वप्रथम अपने मित्र जे. वार्टन से मिला था। बाद में उसकी शिक्षा आक्सफोर्ड में भी हुई। विश्वविद्यालय में अध्ययनरत रहते हुए उसने अपनी काव्य-प्रतिभा का प्रदर्शन किया और सन् 1742 में अपनी कविता “पर्सियन इक्लॉग’ (पर्सियन गोपगीत) का प्रकाशन कराया। सन् 1740 के दशक में वह लन्दन गया जहाँ उसका सम्पर्क जेम्स टामसन, आर्सस्ट्रांग तथा डा. जानसन से हुआ। लेखक के रूप में वह अपने मित्र वार्टन की तरह स्पेन्सर, शेक्सपियर तथा मिल्टन का प्रशंसक बन गया तथा साथ ही ग्रीक ट्रैजेडी लेखकों के प्रति भी उसका आदर-भाव जगा| यद्यपि वर्ष 1746 में रचित उसके विविध वर्णनात्मक तथा रूपकात्मक विषयों के गीतों (Odes) को वांछित सफलता नहीं मिली तथापि इनके माध्यम से उसने साहित्यिक जगत में अपना प्रभाव छोड़ा। उसके काव्य संग्रह में जो प्रसिद्ध गीत हैं उनमें प्रमुख हैं – ओड टु ईवनिंग (सान्ध्य गीत) हाउ स्लीप दि ब्रेव (बीर पुरुष का शयन) तथा करुणा, भय, सादगी तथा ऐसी ही अन्य भावनात्मक विषयों के प्रति गीत।
पोयेटिकल कैरेक्टर (काव्यात्मक चरित्र) विषय पर उसका गीत (ode) वस्तुतः बिम्ब और विचार को लेकर एक अत्यन्त जटिल गीत है। टॉमसन की मृत्यु पर लिखा गया गीत (ode) (1749) उसकी अन्तिम रचना है। सन् 1750 में उसने अपनी एक अपूर्ण रचना ‘हाइलैण्ड के लोकप्रिय अन्धविश्वासों का गीत प्रस्तुत की जिसका प्रकाशन उसकी मृत्यु के पश्चात सन् 1788 में हुआ। अठ्ठारहवीं शताब्दी के अन्य लेखक जैसे स्विफ्ट, कूपर और क्रिस्टोफर स्मार्ट की तरह उसका भी अन्त हुआ- घोर नैराश्य से पीड़ित होकर चिचेस्टर में सन् 1759 में अड़तीस वर्ष की अल्पायु में उसकी मृत्यु हो गयी।
डॉ. जॉनसन ने अपने ग्रन्थ “अंग्रेज कवियों की जीवनियाँ” में कॉलिन्स के स्वच्छन्दतावाद पर टिप्पणी की है तथा उसकी उदात्तता की प्रशंसा भी की है। बाद के कवियों ने कालिन्स के नीति तत्व से प्रेरणा ग्रहण की है तथा उसके काव्य के युगदृष्टा एवं पावित्र्य स्वरूप को आत्मसात करने की कोशिश की है। कवि ग्रे के समान कालिन्स ने भी आठारहवीं शताब्दी के अपने परवर्ती कवियों को प्रभावित किया है।
पच्चीस वर्ष की अवस्था में वह साहित्य साधना के उद्देश्य से लन्दन आया परन्तु यहाँ कर्ज में डूब गया। उसे जेल हो गई। परन्तु उसके प्रकाशकों ने उसे इस मुसीबत से राहत दिलाई। उसे पागलपन के दौरे पड़ते थे। परन्तु जब वह ठीक भी हुआ तो अवसाद की चपेट में आ गया। परिणामतः अन्त में 38 वर्ष की अल्पायु में ही उसका प्राणान्त हो गया।
कवि के रूप में उसका साहित्य सृजन अल्प मात्रा में है। उसकी कुल रचनाएँ केवल 1500 पंक्तियों में ही आ जाती हैं। परन्तु वह अपनी “ओड” शैली की कविताओं के कारण काफी प्रसिद्ध हुआ और अंग्रेजी साहित्य में उसका नाम है। अमूर्त विषयों पर उसने अच्छे ओड लिखे हैं जैसे करुणा, भय, सरलता आदि। सायंकाल के प्रति लिखा गया उसका ‘ओड’ काफी प्रसिद्ध है। उसकी कविताएँ मधुर कोमल भावनाओं से भरी हुई होती हैं।
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