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संचार के साधन तथा इसके महत्व | Means of communication in Hindi

संचार के साधन

संचार के साधन

संचार के साधन

सन्देश या समाचार जिन माध्यमों के द्वारा दूसरों तक पहुँचाये जाते हैं, उन्हें संचार के साधन कहते हैं। संगठित संचार-प्रणाली देश के आर्थिक विकास की कुंजी है। संचार के साधन वाणिज्य एवं व्यापारिक क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आवश्यकता पड़ने पर उत्पादन क्षेत्रों से सूचना भेज कर तुरन्त माल मँगाया जा सकता है और मूल्य वृद्धि को रोका जा सकता है। दूरसंचार के माध्यमों से देश के ही नहीं, संसार के कोने-कोने से समाचारों का मिनटों के अन्दर की आदान-प्रदान किया जा सकता है। इतना ही नहीं, दूरदर्शन पर हम विश्व के किसी भी भाग में घटित होने वाली घटना को तत्क्षण अपनी आँखो से देख सकते हैं। टेलीविजन और रेडियो हमें स्वस्थ मनोरंजन भी प्रदान करते हैं और इससे राष्ट्रीय एकता को भी प्रोत्साहन मिलता है। देश की सुरक्षा और शान्ति व्यवस्था भी संचार के साधनों पर निर्भर है। युद्ध काल में संचार के साधनों की निर्णायक भूमिका होती है।

भारत के सन्देशवाहन के प्रमुख साधन इस प्रकार हैं- 

(1) डाक सेवा,(2) टेलीफोन, (3) टेलीग्राम, (4) बेतार का तार, (5) रेडियो, (6) टेलीविजन या दूरदर्शन, (7) टेलेक्स सेवा, (8) विदेश संचार सेवा, (9) ई-मेल तथा (10) मुद्रण माध्यम।

(1) डाक सेवाएँ-

भारत की डाक-प्रणाली विश्व में सबसे बड़ी सेवाओ मे एक है। सन् 1854 में भारत में केवल 700 डाकघर थे। वर्ष 2004-05 की स्थिति के अनुसार 1,55,669 डाकघर देश भर में फैले हुए हैं। इसमें से 89% डाकघर (लगभग1,39,149) ग्रामीण क्षेत्र में तथा 16,520 डाकघर शहरी क्षेत्रों में थे। भारत में एक डाकघर औसत रूप से 6,600 लोगों को डाक-सेवाएँ उपलब्ध करा रहा है। डाक विभाग द्वारा स्थापित किये गये ‘वेरी स्माल एपरचर टर्मिनल’ (वी-सेट) केन्द्रों से मनीऑर्डर, सम्प्रेषण, स्पीड तथा संख्या में सुधार आया है। ये एक महीने में 11 लाख से अधिक मनीऑर्डर भेजने का कार्य करते हैं। डाकघर बचत बैंक, जो नेटवर्क खातों और वार्षिक जमा राशियों के रूप में भारत में सबसे बड़ा बचत बैंक है, ने प्राइवेट क्षेत्र के सहयोग से कई नयी वित्तीय सेवाएं शुरू की हैं। डाक जीवन बीमा (PLID जिसे वर्ष 1984 में कच्चाकारी आय के रूप में शुरू किया गया था, का निरन्तर विस्तार हुआ है। 31 मार्च, 2000 ई० तक इसने र 10,405 करोड़ की कुल बीमित राशि प्राप्त की थी। ग्रामीण डाक जीवन बीमा (RPLD में भी तेजी आयी है। भारत में संचार मन्त्रालय द्वारा डाक का शीघ्र वितरण करने के लिए पिन कोड संख्या का प्रयोग भी बहुत पहले किया गया था। यह छ: अंकों की एक संख्या होती है, जो सम्पूर्ण देश के नगरों एवं कस्बों को आवंटित की गयी है। इन कोड की सहायता से राज्य, जनपद, तहसील एवं डाकघर का सुगमता से पता चल जाता है।

(2) दूरभाष (दूरसंचार) सेवाएँ-

एक सुविस्तृत दूरसंचार नेटवर्क देश के आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करता है। इसके सहयोग से वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ आत्मसात् होने के अवसर सुलभ होते हैं। सहयोगी व्यवसायों में इस सेवा की सार्थकता, महत्ता एवं प्रासंगिकता सर्वोपरि है। वर्ष 1995 के बाद दूरसंचार के क्षेत्र में हुई प्रगति लगातार जारी है। मई, 2005 ई० को देश में कुल 10 करोड़ बेसिक टेलीफोन उपभोक्ता तथा 4 करोड़ से अधिक मोबाइल फोन उपभोक्ता थे। इस समय तक पूरे देश एवं विश्व में टेलीफोन द्वारा सीधे नम्बर मिलाने की (एस० टी० डी० व आई० एस० डी०) सुविधा प्रारम्भ है, जिसमें उपग्रह की सहायता ली जाती है। रेडियो पेजिंग सेवा भी दूरसंचार की एक आधुनिक तकनीक है, जिसके द्वारा एक निश्चित दूरी में पेजर धारक को कहीं भी सन्देश दिया जा सकता है। मोबाइल फोन सेवा की सुलभता के कारण यह सेवा अब समाप्त हो चुकी है। वर्तमान में देश में फिक्स्ड लाइनें तथा सेल्युलर (मोबाइल) लाइने एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ लगा रही है, जिसमें मोबाइल फोन सेवाएँ फिक्स्ड लाइन सेवाओ से बहुत आगे हैं। मार्च, 2007 ई० की स्थिति के अनुसार देश में मोबाइल फोन उपभोक्ताओं की संख्या 20 करोड़ से भी ऊपर हो चुकी है। आज व्यापारी, कर्मचारी, पेशेवर, कृषक और विभिन्न व्यवसायों में लगे सभी वर्गों के लोग दूरसंचार से लाभान्वित हो रहे हैं।

(3) केबिलग्राम-

समुद्रों में बिछे हुए तारों (केबिलो) की सहायता से विदेशों से समाचार के आदान-प्रदान को केबिलग्राम कहा जाता है।

(4) बेतार का तार-

इसे वायरलेस भी कहते हैं। इसका आविष्कार मारकोनी नामक वैज्ञानिक ने किया था। इसके द्वारा कोई भी आदेश व सन्देश तुरन्त प्रसारित हो जाता है। वायरलेस का अधिकतर प्रयोग अब सेना और पुलिस करती है। शीघ्र समाचार डाकघर द्वारा इसी माध्यम से भेजे जाते हैं। आजकल देश में 62,000 से अधिक तारघर ये सेवाएं प्रदान करती हैं।

 (5) रेडियो-

भारत में रेडियो का आगमन स्वाधीनता के बाद हुआ। शीघ्र ही रेडियो भारतीय जनता के मनोरंजन का सेवाएँ, परिवहन, दूरसंचार, व्यापार 391 प्रमुख साधन बन गया। रेडियो सेवा का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से होता है। स्वतन्त्रता-प्राप्ति के समय देश में केवल छ: आकाशवाणी केन्द्र थे, जिनकी संख्या अप्रैल, 2004 ई० में बढ़कर 213 हो गयी। वर्तमान में देश की 99% जनसंख्या तक इसकी पहुंच हो गई है। रेडियो द्वारा हमें देश-विदेश के समाचार घर बैठे प्राप्त हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के रहन-सहन, संस्कृति और सभ्यता का ज्ञान भी होता है, जो हमारे सामाजिक-सांस्कृतिक विकास में सहायक है। रेडियो मनोरंजन का सस्ता और उत्तम साधन भी है।

(6) टेलीविजन-

टेलीविजन द्वारा हम प्रसारण केन्द्र से बोलने वाले की आवाज ही नहीं सुनते, वरन् उसके चित्र को भी अपनी आँखों से देखते हैं। टेलीविजन भी विचारों के आदान-प्रदान का एक महत्त्वपूर्ण साधन है। भारत में टेलीविजन का आगमन 1959 ई० में हुआ। वर्तमान समय में दूरदर्शन के विभिन्न चैनेल तथा कुछ व्यक्तिगत चैनेल देशभर में फैले अपने नेटवर्क के माध्यम से रात-दिन प्रसारण करते रहते हैं। दूरदर्शन के देश में 900 से अधिक ट्रांसमीटर हैं तथा 90% जनसंख्या तक इसकी पहुँच भी हो चुकी है। ‘प्रसार भारती’ बोर्ड द्वारा देश में रेडियो और दूरदर्शन की सेवाएँ नियन्त्रित की जाती हैं।

(7) टेलेक्स सेवा-

राष्ट्रीय टेलेक्स सेवा सन् 1963 ई० में प्रारम्भ की गयी थी। अब देश में लगभग 332 टेलेक्स एक्सचेन्ज कार्य कर रहे हैं। इनके द्वारा टेलीप्रिण्टर की सहायता से मुद्रित सन्देशों का आदान-प्रदान किया जाता है। इस व्यवस्था द्वारा विदेशों को भी सन्देशों का आदान-प्रदान सम्भव है।

(8) विदेश संचार सेवा–

भारत की अन्य देशों के साथ दूर संचार सेवाएँ ‘समुद्र पार संचार सेवा’ (O.C.S) नामक कार्यालय द्वारा संचालित होती हैं। जिसके मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई तथा नई दिल्ली में चार केन्द्र हैं। इसके अन्तर्गत उपग्रह के माध्यम से विदेशी तार, टेलेक्स, टेलीफोन, रेडियो, फोटो, फैक्स आदि की सुविधाएँ प्राप्त होती हैं। सन् 1971 ई० में पूना के निकट आर्वी तथा सन् 1976 ई० में देहरादून में स्थापित दो उपग्रह भूकेन्द्रों की सहायता से ओ० सी० एस० कार्यालय हिन्द महासागर में स्थित इण्टेलसेट के माध्यम से विदेश संचार सेवाएं प्रदान करता है।

(9) ई-मेल-

इस साधन ने तो मानो संचार-व्यवस्था को उन्नति की चरम सीमा पर पहुंचा दिया है। अब संसार के किसी भी कोने से, किसी भी कोने में सन्देश भेजा जा सकता है। आपकी अनुपस्थिति में भी आपको भेजा गया सन्देश स्वीकृत हो जाता है। उस समाचार को आप पढ़ सकते हैं और आवश्यक कार्यवाही कर सकते हैं।

(10) मुद्रण माध्यम-

समाचार-पत्र तथा अन्य पत्र-पत्रिकाएँ जो दैनिक, साप्ताहिक, वार्षिक एवं मासिक रूप से प्रकाशित की जाती हैं, प्रमुख मुद्रण-संचार माध्यम हैं। प्रेस रजिस्ट्रार द्वारा जारी सन् 2001 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में विभिन्न भाषाओं में 52,000 से भी अधिक समाचार-पत्र एवं पत्रिकाओं का प्रकाशन किया जा रहा था। ये देश की जनता, सरकार, व्यापार व उद्योग के बीच विचारों व सन्देशों के आदान-प्रदान के प्रभावी माध्यम हैं।

डाक-तार एवं टेलीफोन वैयक्तिक सेवाएँ प्रदान करने के साथ-साथ व्यापार एवं उद्योगों को भी प्रोत्साहन देते हैं, परन्तु जनसंचार माध्यम सूचना, ज्ञान, विचारों, भावनाओं तथा शिल्पकलाओं का संकेत चिह्नों, शब्दों, चित्रों, आरेखों आदि द्वारा प्रभावशाली ढंग से प्रसारण करते हैं। रेडियो तथा दूरदर्शन संगीत के साथ-साथ अपने कार्यक्रमों को और प्रभावशाली ढंग से प्रसारित कर रहे हैं, जिससे जनता का झुकाव इस ओर निरन्तर बढ़ता ही जा रहा है।

महत्त्व

संचार के साधनों का महत्त्व निम्नलिखित है-

  1. संचार के साधनों में रेडियो व दूरदर्शन देशवासियों का मनोरंजन करने के साथ-साथ उन्हें शिक्षा भी प्रदान करते है।
  2.  संचार के साधन सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ जनता को जागरूक बनाने के सबसे प्रभावी माध्यम है।
  3.  संचार के साधनों के माध्यम से मौसम सम्बन्धी भविष्यवाणी प्रसारित की जाती है, जिससे कृषि, यातायात व अन्य क्षेत्रों में होने वाली क्षति कम हो गई है।
  4. संचार के साधन व्यापार एवं वाणिज्य के विकास में सहायक तो हैं ही, इनके द्वारा पिछड़े क्षेत्रों के आर्थिक विकास में भी सहायता मिलती है।
  5.  संचार के माध्यमों द्वारा जन-सामान्य को आर्थिक व वैज्ञानिक प्रगति की जानकारी मिलती है तथा देश में वैज्ञानिक एवं तकनीकी ज्ञान का प्रसार होता है।
  6.  संचार के साधन समाज के विभिन्न वर्गों को परस्पर जोड़ने का कार्य भी करते हैं। इससे राष्ट्रीय एकता का वातावरण निर्मित होता है।
  7.  संचार के साधनों द्वारा विचारों का विनिमय होता है। ये धन के स्थानान्तरण में भी सहायक हैं।
  8.  वर्तमान समय में संचार के साधनों द्वारा सर्वेक्षण, विज्ञापन, चेतावनी, परामर्श आदि दी जाने लगी हैं। इससे महामारियों पर नियन्त्रण पाने में भी सहायता मिली है।

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