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शिक्षा तथा अनुदेशन में अंतर | Differences between Education and Instruction in Hindi

शिक्षा तथा अनुदेशन में अंतर (Differences between Education and Instruction)

शिक्षा (Education ) अनुदेशन (Instruction)
1. यह ज्ञानात्मक, क्रियात्मक तथा भावात्मक तीनों पक्षों पर बल देता है। 1. इसमें प्रायः ज्ञानात्मक पक्ष पर ही बल दिया जाता है।
2. इसका क्षेत्र विस्तृत है । 2. इसका क्षेत्र संकुचित है।
3. इसमें अनुदेशन के साथ-साथ अन्य क्रियाएँ, जैसे—प्रशिक्षण, प्रतिपादन, शिक्षण आदि भी सम्मिलित होते हैं। 3. इसमें अध्यापक के द्वारा प्रदान की जाने वाली सूचना तथा ज्ञान का आलोचनात्मक विश्लेषण सम्मिलित होता है।
4. शिक्षा का उद्देश्य व्यक्तित्व का सर्वांगोण विकास तथा व्यवहार प्रवृत्ति में सुधार है। 4. अनुदेशन का उद्देश्य केवल बौद्धिक विकास है । यह केवल सीमित समय तथा स्थान पर ही बच्चे के व्यवहार में परिवर्तन करता है ।
5. शिक्षा प्रक्रिया में अध्यापक का कार्य कम तथा बालक महत्त्वपूर्ण भाग अदा करता है। 5. अनुदेशन प्रक्रिया में अध्यापक का स्थान प्रमुख होता है।
6. औपचारिक शिक्षा में अवधि तथा समय निश्चित होते हैं; परन्तु अन-औपचारिक शिक्षा में नहीं। 6. इसमें समय तथा अवधि पूर्व निश्चित होती है।
7. औपचारिक शिक्षा में पाठ्यक्रम भी निश्चित होता है; परन्तु अनौपचारिक शिक्षा में नहीं। 7. इसमें पाठ्यक्रम पूर्व निश्चित होता है।
8. औपचारिक तथा अनौपचारिक दोनों प्रकार के अभिकरण शिक्षा प्रदान करते हैं। 8. अनुदेशन शिक्षा संस्थाओं तथा औपचारिक अभिकरणों द्वारा ही प्रदान किया जाता है।
9. अनौपचारिक शिक्षा में समाज का प्रत्येक सदस्य अध्यापक का भाग अदा करता है; परन्तु औपचारिक शिक्षा में विशिष्ट अध्यापकों की आवश्यकता होती है । 9. विभिन्न विषयों में अनुदेशन के लिए विशिष्ट अध्यापकों का चयन किया जाता है।
10. शिक्षा में औपचारिक शिक्षा के अंतगत भाषण, वाद-विवाद, योजना, समस्या समाधान विधि आदि का प्रयोग किया जाता है; परन्तु अनौपचारिक शिक्षा में विधियों का विस्तार क्षेत्र बहुत लम्बा होता है। 10. अनुदेशन में सीमित विधियों का प्रयोग किया जाता है।
11. औपचारिक शिक्षा में मूल्यांकन विधियाँ निश्चित होती है; परन्तु अनौपचारिक शिक्षा में नहीं। 11. अनुदेशन में मूल्यांकन विधि निश्चित होनी चाहिए, जिससे बालक ने कितना ज्ञान ग्रहण किया है, इसकी जाँच की जा सके।
12. शिक्षा प्रक्रिया में प्राप्त किया गया ज्ञान स्थायी होता है. क्योंकि यह बालक , अपनी रुचि तथा अनुभवों के आधार पर प्राप्त करता है। 12. अनुदेशन में परीक्षा के उद्देश्य से ही ज्ञान प्राप्त करने पर जोर दिया जाता है।
13. मूल्यांकन के पश्चात् औपचारिक शिक्षा में प्रमाण-पत्र दिए जाते हैं जबकि अनौपचारिक में नहीं। 13. अनुदेशन में परीक्षा पास/फेल करने के पश्चात् प्रमाण-पत्र आवश्यक रूप से प्रदान किए जाते हैं।
14. यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। 14. यह एक कृत्रिम प्रक्रिया है।
15. शिक्षा बालक को जीवन की परिस्थितियों का मुकाबला करने तथा समस्याओं को सुलझाने के योग्य बनाती है। 15. अनुदेशन बालक को विशेष परीक्षा के लिए तैयार करती है।
16. शिक्षा का अन्त मृत्यु पर ही होता है। 16. अनुदेशन का अन्त कक्ष में ही हो जाता है।

अतः अनुदेशन शिक्षा का एक अंश है, सम्पूर्ण शिक्षा नहीं। इसमें रटकर अधिगम प्राप्त करना, यान्त्रिक अभ्यास तथा तथ्यों को निगलने को ही सम्मिलित किया जाता है। इसमें सूझ-बूझ को कोई स्थान नहीं दिया जाता।

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