जीव विज्ञान / Biology

कोशिकांग (Cell Organelles) क्या होते हैं? कोशिकांग के प्रकार (Types of Cell Organelles)

कोशिकांग (CELL ORGANELLES)

कोशिकांग (Cell Organelles)

कोशिकांग (Cell Organelles)

कोशिकांग (Cell Organelles) क्या होते हैं?

कोशिकांग (Cell Organelles) – कोशिका द्रव्य के साइटोसोल में अनेक कोशिकांग पाए जाते हैं। कुछ कोशिकांग प्लाज्मा झिल्ली के सदृश्य फॉस्फोलिपिड झिल्ली से आवृत्त होते हैं।

इन सभी कोशिकांगों का आवरण एक समान होता है। जैसे- अन्तर्द्रव्यी जालिका, गॉल्जीकॉय परॉक्सीसोम, ग्लाइऑक्सीसोम आदि। परन्तु कुछ दूसरे कोशिकांगों का आवृत्त फॉस्फोलिपिड का नहीं बना होता है। जैसे- राइबोसोम ।

कोशिकांग के प्रकार (Types of Cell Organelles)

कोशिकांग निम्न प्रकार के होते हैं-

1) अन्तर्द्रव्यी जालिका या एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम (Endoplasmic Reticulum) – सन् 1945 में पोर्टर तथा उनके सहयोगियों ने इसकी खोज की थी। यह कोशिका का कंकाल तन्त्र कहलाता है। अर्थात् इसका मुख्य कार्य है कोशिका को ढाँचा तथा मजबूती प्रदान करना। इस पर राइबोसोम लगे होते हैं, जो प्रोटीन संश्लेषण का कार्य करते हैं।

2) गॉल्जीकाय (Golgi Body or Dictyosomes) – इसकी खोज सन् 1898 में केमिलो गॉल्जी नामक वैज्ञानिक ने की थी। यह नली के समान सूक्ष्म संरचनाएँ हैं। ये केन्द्रक के पास स्थित रहती हैं। पादप कोशिकाओं में गॉल्जीकाय छोटे-छोटे समूहों में होते हैं जिन्हें डिक्टोसोम कहते हैं। इसका कार्य गॉल्जीकाय में एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम (ER) में बने प्रोटीन व एन्जाइम का सान्द्रण, रूपान्तरण व संग्रहण करना होता है। कोशिका भित्ति के लिए हेमी सेल्युलोस का निर्माण तथा स्राव गॉल्जीकाय से होता है।

3) माइटोकॉण्ड्रिया (Mitochondria) – इसकी खोज सन् 1900 में अल्टमान नामक वैज्ञानिक ने की थी। इसे कोशिका का ऊर्जा गृह (Power House) कहते हैं। ये कोशिकाद्रव्य में छोटे-छोटे कणों, गोलों या छड़ों के रूप में पाए जाते हैं। माइटोकॉण्ड्रिया दोहरी झिल्ली वाला कोशिकांग है। इसकी बाहरी झिल्ली छिद्रित होती है तथा भीतरी झिल्ली बहुत अधिक वलित होती है। इसकी संरचना अधिकतर बेलनाकार होती है। इनका व्यास lum से कम होता है। इसमें दो झिल्लियाँ पाई जाती हैं। बाह्य कला चिकनी होती है एवं अन्दर वाली कला में अंगुलियों के समान उभार होते हैं। इसमें DNA एवं राइबोसोम पाए जाते हैं। ये DNA एवं राइबोसोम बैक्टीरिया के समान होते हैं। माइटोकॉण्ड्रिया कार्बोहाइड्रेट एवं वसा के ऑक्सीकरण से ऊर्जा उत्पत्ति का केन्द्र है। यह ATP के रूप में ऊर्जा प्रदान करता है। कोशिका को जैविक कार्यों के लिए आवश्यक ऊर्जा माइटोकॉण्ड्रिया से प्राप्त होती है। राइबोसोम (Ribosome) राइबोसोम की खोज सन् 1955 में पैलाडे नामक वैज्ञानिक ने की थी। राइबोसोम राइबोन्यूक्लिक अम्ल (R.N.A.) तथा प्रोटीन के बने होते हैं। राइबोसोम गोलाकार, 140-160 A व्यास वाले सघन सूक्ष्म कण होते हैं। यह सभी प्रकार के जीवों में पाए जाते है। राइबोसोम प्रोटीन संश्लेषण का केन्द्र होते हैं। यह एमीनो अम्ल का निर्माण करता है।

5) लाइसोसोम (Lysosome) – सन् 1955 में लाइसोसोम की खोज डी दुवे (De Duve) ने की थी। इसमें विभिन्न हाइड्रोलिटिक एन्जाइम्स भरे होते हैं। इनका मुख्य कार्य भोजन का पाचन करना होता है। यह मुख्यतयाः जन्तु कोशिका में पाई जाती है। यह कोशिका के अवशिष्ट पदार्थों का अवशोषण कर लेता है। लाइसोसोम कोशिका के अपशिष्टों को पाचित कर कोशिका को साफ रखता है। इसके एन्जाइम्स कोशिकांगों के अलावा जीवाणु तथा भोजन का पाचन भी करते हैं।

6) रिक्तिका (Vacuoles) – परिपक्व (Mature) पादप कोशिका के लगभग 90% भाग में एक या अधिक दीर्घ धानियाँ होती हैं। ये धानियाँ केवल एक झिल्ली के द्वारा घिरी रहती हैं। इनमें शर्करा एवं रंजकों आदि का तनु घोल भरा रहता है। फूलों के रंग भी इन धानियों में भरें रंजकों के कारण होते हैं। रिक्तिका कोशिकाओं को स्फीति एवं कठोरता प्रदान करती है। इसमें घुले रंगीन पदार्थ पुष्पों को आकर्षक रंग प्रदान करते हैं।

7) तारककाय (Centrosome) – तारककाय कोशिका के मध्य में केन्द्रक के निकट पाए जाते हैं। ये सूक्ष्म नलिकाओं के निर्माण में सहायक होते हैं। इसलिए इन्हें कोशिका केन्द्र या सूक्ष्मनलिका निर्माण केन्द्र कहा जाता है। प्रत्येक जन्तु कोशिका में दो तारककाय पाए जाते हैं। तारककाय प्रायः पौधों में अनुपस्थित होते हैं। तारककाय की खोज वॉन बेन्डेन ने की थी। तारक केन्द्र जन्तु कोशिकाओं के विभाजन के समय तर्कु के दोनों ध्रुव तथा ऐस्टर बनाते हैं। कोशिका कंकाल बनाने में तारककाय की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।

8) लवक (Plastids) – सन् 1865 में लवक (Plastid) की खोज हैकेल ने की। लवक कोशिकाओं में स्थित होते हैं। इनकी भीतरी रचना में बहुत-सी झिल्ली वाली परतें होती हैं जो स्ट्रोमा में स्थित होती हैं। ये गोलकार या चपटे आकार के रंगीन अथवा रंगहीन होते हैं। लवक पुष्पों तथा फलों को आकर्षक रंग देते हैं। पुष्पों का आकर्षक रंग कीटों को आकर्षित करता है, जिससे फूलों में परागण होता है।

Important Links

1917 की रूसी क्रान्ति – के कारण, परिणाम, उद्देश्य तथा खूनी क्रान्ति व खूनी रविवार

फ्रांस की क्रान्ति के  कारण- राजनीतिक, सामाजिक, तथा आर्थिक

अमेरिकी क्रान्ति क्या है? तथा उसके कारण ,परिणाम अथवा उपलब्धियाँ

औद्योगिक क्रांति का अर्थ, कारण एवं आविष्कार तथा उसके लाभ

धर्म-सुधार आन्दोलन का अर्थ- तथा इसके प्रमुख कारण एवं परिणाम :

Disclaimer

Disclaimer:Sarkariguider does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com

About the author

Sarkari Guider Team

Leave a Comment