समाजशास्‍त्र / Sociology

झूम खेती क्या है ? | slash and burn farming in hindi

झूम खेती क्या है ?
झूम खेती क्या है ?

अनुक्रम (Contents)

झूम खेती(slash and burn farming in hindi)

झूम खेती- यह एक आदिम प्रकार की कृषि है जिसमें पहले वृक्षों तथा वनस्पतियों को काटकर उन्हें जला दिया जाता है और साफ की गई भूमि को पुराने उपकरणों (लकड़ी के हलों आदि) से जुताई करके बीज बो दिये जाते हैं। फलतः कृषि पूर्णतः प्रकृति पर निर्भर होती है और उत्पादन बहुत कम हो पाता है जिस पर पुनः पेड़-पौधे उग आते हैं। अब अन्यत्र जंगली भूमि को साफ करके कृषि के लिये नई भूमि प्राप्त की जाती है और उस पर भी कुछ ही वर्ष तक खेती की जाती है। इस प्रकार यह एक स्थानान्तरणशील कृषि (shifting cultivation) है जिसमें थोड़े-थोडे समय के अन्तर पर खेत बदलते रहते हैं। भारत की पूर्वोत्तर पहाडियों में आदिम जातियों द्वारा की जाने वाली इस प्रकार की कृषि को झूम कृषि कहते हैं। इस प्रकार की स्थानान्तरणशील कृषि को श्रीलंका में चेना, हिन्देसिया में लदांग और रोडेशिया में मिल्पा कहते हैं। यह खेती मुख्यतया उष्ठकटिबंधीय वन प्रदेशों में की जाती है। इस खेती का इतिहास नवपाषाण काल तक जाता है अर्थात 8000 से 10,000 वर्ष पुराना है। इसके प्रादुर्भाव को लेकर कई विचारधारायें हैं। प्लाइस्टोसीन युग के फौरन बाद बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण अधिक खाद्यों की आवश्यकता पड़ी, अधिक खाद्य उपलब्ध कराने के लिये तब के मानव को खेती का विचार आया होगा। विस्तृत भूमि उपलब्ध थी जिन पर अनाज बाजरा, जौ तथा दाल के बीज फैला दिये जाते थे तथा वर्षा ऋतु के बाद उपज काट ली जाती थी। दो या तीन वर्षों के बाद जब उस भूमि पर उपज कम हो जाती थी तब भूमि के दूसरे टुकड़े पर यही कार्य किये जाते थे। इस प्रकार अस्थायी कृषि/स्थानान्तरित कृषि/झूम खेती का चलन प्रारम्भ हुआ।

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  2. भारत की जनजातियों का वर्गीकरण | Classification of Indian Tribes in Hindi
  3. भारत में जनजातियों की प्रमुख समस्याएं | Major Problems of Indian Tribes in Hindi
  4. भारतीय जनजातियों की सामाजिक प्रगति में सामाजिक और सांस्कृतिक बाधाओं पर प्रकाश डालिये।
  5. भारत में जनजातियों की प्रमुख समस्याएं | Major Problems of Indian Tribes in Hindi

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