पूँजी सम्पत्ति से आशय – Meaning of Capital Assets in Hindi
पूँजी सम्पत्ति का आशय (Meaning of Capital Assets)- आयकर अधिनियम की धारा 2(14) के अनुसार करदाता को किसी भी सम्पत्ति जैसे- (स्थाई, अस्थाई, भौतिक, अभौतिक, दृश्य, अदृश्य) आदि को पूँजी सम्पत्ति माना जाता है किन्तु इसमें निम्नलिखित को शामिल नहीं करते हैं। जैसे-
1. व्यक्तिगत सम्पत्तियाँ- ऐसी सम्पत्तियों में पहनने के कपड़े, फर्नीचर, वर्तन, फ्रिज, टी. वी. आदि शामिल होते हैं। इन पर होने वाले लाभ-हानि पर कोई | ध्यान नहीं दिया जाता किन्तु व्यक्तिगत सम्पत्तियों में निम्न को शामिल नहीं किया जाता है। जैसे सोना, चाँदी, आभूषण, ज्वैलरी तथा हीरे, जवाहरात जड़े हुए कपड़े या फर्नीचर, मूल्यवान, धातुओं के बर्तन, चित्रकारी, चित्र, मूर्ति, पुरातत्वीय संग्रहण आदि ।
2. व्यापारिक रहतिया- इसके अन्तर्गत व्यापार अथवा पेशे में प्रयोग होने वाली सामग्री तथा कच्चे माल को शामिल किया जाता है जो व्यवसाय से आय के अन्तर्गत कर योग्य होता है। उस रहतिया को पूँजी सम्पत्ति की परिभाषा में शामिल नहीं करते हैं।
3. स्वर्ण बॉण्ड- इसके अन्तर्गत केन्द्रीय सरकार द्वारा निर्गमित 6.5% गोल्ड बॉण्ड 1977.7% गोल्ड बॉण्ड 1980, या नेशनल डिफेन्स गोल्ड बॉण्ड, 1980 आदि पूँजी सम्पत्ति के अन्तर्गत संग्रहण शामिल नहीं होते हैं।
4. विशेषधारक बॉण्ड- विशेषधारक बॉण्ड, 1991 जो केन्द्रीय सरकार द्वारा निर्गमित किये गये हों पूँजी सम्पत्तियों में शामिल नहीं करते हैं।
5. स्वर्ण जमा बॉण्ड- स्वर्ण जमा बॉण्ड योजना 1999 के अन्तर्गत जारी किये गये स्वर्ण जाम बॉण्ड पूँजी सम्पत्ति में शामिल नहीं किये जायेंगे। ऐस बॉण्ड केन्द्रीय सरकार द्वारा अधिसूचित होने चाहिए जमा प्रमाणपत्र निर्गमन (स्वर्ण मुद्रीकरण योजना, 2015 के तहत ), केन्द्रीय सरकार द्वारा अनुसूचित (Ammendement w.e.f. A.Y 2016-17)
6. भारत में स्थित कृषि भूमि- यदि करदाता के पास कोई ऐसी कृषि भूमि है जो शहरी क्षेत्र में स्थित नहीं हैं या 10,000 से कम जनसंख्या वाले क्षेत्र में या नगरपालिकाओं की सीमाओं से 8 किलोमीटर से अधिक दूर स्थित है तो इसे पूँजी सम्पत्ति नहीं माना जायेगा।
निम्न दशाओं में कृषि भूमि पूँजी सम्पत्ति मानी जायेगी-
(A) यदि कृषि भूमि 10,000 से अधिक की जनसंख्या वाले क्षेत्र में स्थित हो या नगर पालिका अथवा कैन्टोनमेण्ट को सीमा से 8 किमी. दायरे के अन्दर स्थित हो ।
(B) यदि कृषि भूमि आकाशीय मार्ग (Aerially) से नापी जाती है तो नगरपालिका या कैण्टोनमेण्ट बोर्ड की सीमा से 2 किमी. दायरे के अन्दर स्थित हो तथा वहाँ की जनसंख्या 10,000 से अधिक हो किन्तु 1 लाख से अधिक न हो।
(C) यदि कृषि भूमि आकाशीय मार्ग से नापी जाती है तो नगर पालिका या कैण्टोनमैण्ट बोर्ड की सीमा से 6 किमी. दायरे के अन्दर स्थित हो तथा वहाँ की जनसंख्या 1 लाख से अधिक हो किन्तु 10 लाख से अधिक नहीं हो।
(D) यदि कृषि भूमि आकाशीय मार्ग से नापी जाती है तो नगर पालिका या कैण्टोनमैण्ट बोर्ड की सीमा से 8 किमी. दायरे के अन्दर स्थित हो तथा वहाँ की जनसंख्या 10 लाख अधिक हो।
स्वयं कमाई गई या अर्जित की गई सम्पत्तियाँ (Self Generated Assets)
किरायेदारी के अधिकार ख्याति, किसी वस्तु के निर्माण या उत्पादन अधिकार, मार्ग (रूट) परमिट आदि को स्वयं कमाई गई सम्पत्ति कहते हैं।
कर निर्धारण वर्ष 1987-88 से इन सम्पत्तियों पर पूँजी लाभ का होना नहीं माना जाता अर्थात् यदि ऐसी सम्पत्तियों पर पूँजी लाभ भी होता हैं तो वह कर योग्य नहीं होगा। परन्तु आयकर अधिनियम में हुए संशोधन के आधार पर अब कर-निर्धारण वर्ष 2003-04 से स्वयं सम्पत्तियों की प्राप्ति की लागत शून्य होगी तथा सम्पूर्ण विक्रय की रकम पूँजी लाभ मानी जाएगी।
स्वयं अर्जित सम्पत्तियों निम्नलिखित तिथियों से कर योग्य हैं-
1. व्यापार की ख्याति की बिक्री | 1988-89 से प्रभावी |
2. किरायेदारी के अधिकार | 1995-96 से प्रभावी |
3. मार्ग परमिट | 1995-96 से प्रभावी |
4. करघे के घण्टे | 1995-96 से प्रभावी |
5. किसी वस्तु के निर्माण के अधिकार | 1998-99 से प्रभावी |
पूँजी सम्पत्तियों के प्रकार (Types of Capital Assets)
पूंजी सम्पत्तियों आय कर के दृष्टिकोण से दो प्रकार की होती हैं- (1) अल्पकालीन पूंजी सम्पत्ति, (2) दीर्घकालीन पूँजी सम्पत्ति
(1) अल्पकालीन पूँजी सम्पत्ति एवं अल्पकालीन पूँजी लाभ
धारा 2 (42-4) के अनुसार अल्पकालीन पूँजी सम्पत्ति वह सम्पत्ति है जो करदाता द्वारा उसके हस्तान्तरण की तिथि से तत्काल 24 महीनों से अधिक दिनों तक धारित नहीं की हो। निम्नलिखित पूँजीगत सम्पत्तियों को यदि 12 माह अथवा उससे कम की अवधि के लिए धारित किया जाता है तो ऐसी सम्पत्ति पर होने वाला लाभ अल्पकालीन पूँजी लाभ माना जाएगा। जैसे-अंश एवं प्रतिभूतियाँ, यू.टी.आई. की यूनिट्स म्युचुअल फण्ड के यूनिट्स, हीरो कूपन बॉण्ड आदि अल्पकालीन पूँजी सम्पत्तियों में शामिल हैं।
- कम्पनी के अंश (समता व पूर्वाधिकार शेयर) सूचीबद्ध हो।
- ऐसी प्रतिभूतियाँ जो मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हों।
- UTI की यूनिट (चाहे सूचीबद्ध हो या नहीं)
- जीरो कूपन बॉण्ड
महत्वपूर्ण नोट- अगर कम्पनी के अंश सूचीबद्ध नहीं हैं किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सजेंच में, तो वहाँ अल्पकालीन पूँजी सम्पत्ति का समय 24 महीने होगा। (Finance Act, 2016)
2. दीर्घकालीन पूँजी सम्पत्ति एवं दीर्घकालीन पूँजी लाभ
जब किसी सम्पत्ति को (जैस-अंश प्रतिभूति, यू.टी.आई की यूनिट, जीरो कूपन बॉण्ड को छोड़कर शेष सभी पूँजी सम्पत्तियाँ जो करदाता के पास हस्तान्तरण करने से पहले 24 माह से अधिक रही हों) अंश प्रतिभूति, यू. टी. आई. के यूनिट जीरो कूपन बॉण्ड आदि 12 माह से अधिक अवधि के लिए धारित हो तो ऐसी सम्पत्ति को दीर्घकालीन पूँजी सम्पत्ति कहा जाता है। ऐसी सम्पत्तियों पर होने वाला लाभ दीर्घकालीन पूंजी लाभ कहलाता है।
स्पष्टीकरण- 1. करदाता के पास जो अंश प्रतिभूतियाँ हैं, वे मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज में सूचीकृत होनी चाहिये।
2. यदि करदाता को बोनस अंश प्राप्त हैं तो ऐसे बोनस अंशों की गणन आवण्टन की तारीख से विक्रय या हस्तान्तरण की तिथि तक मानी जाएगी।
3. हासिल होने वाली सम्पत्तियों पर सदैव अल्पकालीन पूँजी लाभ होता है।
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