भारत को अल्पविकसित देश क्यों कहा जाता है ?
भारत का अल्पविकसित स्वरूप (India as an Under Developed Country )
भारत की अर्थव्यवस्था के अल्पविकसित स्वरूप को स्पष्ट करने वाले प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
- नीची प्रतिव्यक्ति आय
- कृषि उत्पादकता की प्रधानता
- जनसंख्या की अधिकता
- बेरोजगारी
- पूंजी की कमी
- अल्प प्रयुक्त प्राकृतिक साधन
- सामाजिक विशेषतायें
1. नीची प्रति व्यक्ति आय (Low per capita Income) –
प्रत्येक अल्पविकसित अर्थव्यवस्था में प्रति व्यक्ति आय का स्तर नीचा होता है। भारतीय अर्थव्यवस्था में भी अन्य सभी अल्पविकसित अर्थव्यवस्थाओं के समान प्रति व्यक्ति आय का स्तर बहुत नीचा है। एक अनुमान के अनुसार प्रति व्यक्ति आय का स्तर 340 डालर है। इस नीचे आय स्तर के कारण देश की जनसंख्या का एक बड़ा भाग गरीबी और दरिद्रता की स्थिति में जीवन व्यतीत करता है। एक अनुमान के अनुसार पूरी जनसंख्या का लगभग 37 प्रतिशत भाग गरीबी रेखा के नीचे जीवन स्तर व्यतीत करता है। इस जनसंख्या का जीवन स्तर नीचा है और इनमें से अधिकांश व्यक्ति बिना किसी उत्पादक रोजगार के अपना जीवन यापन करने के लिए मजबूर होते हैं।
2. कृषि उत्पादन की प्रधानता (Predominance of Agriculture)-
अल्पविकसित अर्थव्यवस्था में राष्ट्रीय आय में कृषि उत्पादन का अंश बहुत अधिक होता है जबकि विकसित अर्थव्यवस्था में राष्ट्रीय आय में कृषि क्षेत्र का योगदान अत्यन्त कम होता है। भारतीय अर्थव्यवस्था में भी राष्ट्रीय उत्पादन में कृषि और सम्बन्धित क्रियाओं का योगदान अधिक है। देश की सम्पूर्ण जनसंख्या में खाद्यान की आपूर्ति और सभी उद्योगों के लिए कञ्चा माल कृषि क्षेत्र से ही प्राप्त होता है। इसकी एक अन्य विशेषता यह है कि देश की लगभग 65 प्रतिशत जनसंख्या कृषि क्षेत्र से अपनी आजीविका कमाती है और कुल राष्ट्रीय आय का लगभग 36 प्रतिशत भाग कृषि क्षेत्र से ही प्राप्त होता है।
3. जनसंख्या की अधिकता (Overpopulation)-
प्रत्येक अल्पविकसित अर्थव्यवस्था के समान भारतीय अर्थव्यवस्था में भी जनाधिक्य की समस्या विद्यमान है। स्वतंत्रता के बाद से देश में जनसंख्या की वृद्धि दर अत्यन्त तीव्र रही है। इसी का परिणाम यह है कि आज भारत विश्व में चीन के बाद सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। यह विशाल जनसंख्या देश के विकास के मार्ग में अनेक प्रकार की समस्यायें उत्पन्न करता है।
4. बेरोजगारी (Unemployment ) –
भारतीय अर्थव्यवस्था की एक प्रमुख विशेषता व्यापक बेरोजगारी की है। यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि भारत में बेरोजगारी के अनेक रूप विद्यमान हैं। इनमें से शिक्षित बेरोजगारी, अशिक्षित बेरोजगारी, अल्प रोजगारी, छिपी हुई बेरोजगारी आदि उल्लेखनीय हैं। देश के असंगठित क्षेत्र में गम्भीर अल्परोजगार, छिपी हुई बेरोजगारी आदि की समस्यायें विद्यमान हैं। यह भी महत्वपूर्ण है कि नियोजन काल में बेरोजगारी में वृद्धि की प्रवृत्ति बनी रही है।
5. पूंजी की कमी (Scarcity of capital) –
अल्पविकसित अर्थव्यवस्थाओं में पूंजी की कमी विद्यमान होती है और पूंजी निर्माण की दर अत्यन्त नीची होती है। भारत में पूंजी की कमी है और उसके साथ-साथ पूंजी निर्माण की दर भी अत्यन्त नीची है। इन देशों के समान भारत में भी पूंजी की कमी का मुख्य कारण प्रति व्यक्ति आय के स्तर का नीचा होना है। प्रति व्यक्ति आय के स्तर के नीचे होने के कारण भारत में बचत का स्तर तेजी से बढ़ नहीं पा रहा है। इसके प्रभाव के कारण पूंजी की कमी है और पूंजी निर्माण की दर अत्यन्त नीची है।
6. अल्प प्रयुक्त प्राकृतिक साधन (Under utilised natural resources ) –
भारतीय अर्थव्यवस्था में पर्याप्त मात्रा में प्राकृतिक साधन उपलब्ध हैं। परन्तु इन साधनों का उचित प्रयोग नहीं हो रहा है। मानवीय संसाधन, जल शक्ति, ऊर्जा स्रोत, खनिज, वनोपज आदि संसाधनों का समुचित प्रयोग नहीं हो पा रहा है। यह भी पाया गया है कि अभी तक अनेक क्षेत्रों विद्यमान संसाधनों का पता भी नहीं लगाया जा सका है। भारतीय अर्थव्यवस्था के – समान विभिन्न अल्पविकसित अर्थव्यवस्थाओं में प्राकृतिक साधनों का अल्प प्रयुक्त और अप्रयुक्त अवस्था में पाया जाना एक सामान्य तथ्य हैं।
7. सामाजिक विशेषतायें (Social characteristics)-
भारतीय अर्थव्यवस्था में अनेक प्रकार की सामाजिक विशेषतायें भी पायी जाती हैं। इन सामाजिक विशेषताओं से भारतीय अर्थव्यवस्था का अल्पविकसित स्वरूप भी स्पष्ट होता है। इन विशेषताओं में नीची साक्षरता दर, कुल जनसंख्या में ग्रामीण जनसंख्या का अधिक अंश, ऊंजी जन्म दर अन्धविश्वास, कुरीतियां, रुढ़िया, भाग्यवादिता, धार्मिक प्रवृत्ति, जाति प्रथा आदि सम्मिलित हैं। इन सब सामाजिक विशेषताओं के कारण भारत का आर्थिक विकास सुचारू रूप से नहीं हो पा रहा है और अनेक प्रकार के सामाजिक तनावों व अशान्ति का जन्म हो रहा है।
ऊपर दी हुई भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताओं से यह स्पष्ट हो जाता है कि अभी भी देश की अर्थव्यवस्था का स्वरूप एक अल्पविकसित अर्थव्यवस्था का ही है।
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