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ब्रिटेन के खनिज संसाधन और औद्योगिक | Britain’s Mineral Resources and Industrial in Hindi

ब्रिटेन के खनिज संसाधन और औद्योगिक |  Britain's Mineral Resources and Industrial in Hindi
ब्रिटेन के खनिज संसाधन और औद्योगिक | Britain’s Mineral Resources and Industrial in Hindi

ब्रिटेन के खनिज संसाधन और औद्योगिक का विश्लेषण कीजिये। 

यूरोप एक भाग्यशाली महाद्वीप है, जिसमें विभिन्न प्रकार के खनिज पदार्थ मिलते हैं। यूरोप के औद्योगिक विकास का आधार खनिज पदार्थ हैं।

लौह-अयस्क- आधुनिक औद्योगिक विकास तथा सभ्यता का आधार लौह खनिज हैं यह विभिन्न प्रकार के उत्पादों के लिए, जैसे- जलयान, मोटरवाहन, रेलों का सामान, कृषि यन्त्र, सुरंग निर्माण तथा गगनचुम्बी इमारतें बनाने में किया जाता है। वास्तव में आधुनिक युग इस्पात युग है।

लौह धातु कई प्रकार की है। धातु अंश के अनुसार यह मैग्नेराइट, हैमेटाइट, लिमोनाठट तथा साइड्राइट प्रकार का लोहा मिलता है। लगभग सभी देशों में लौह धातु पायी जाती है। यूरोप में विश्व के लौह भण्डार का 5 प्रतिशत मिलता है। यह महाद्वीप विश्व उत्पादन का । प्रतिशत लोहा प्रदान करता है। घरेलू खपत के कारण विदेशों से लोहा आयात किया जाता है। फ्रांस, जर्मनी, स्पेन, इंग्लैण्ड, स्वीडन लोहे के प्रमुख उत्पादक देश है।

जर्मनी- जर्मनी में अधिकतर खाने गहरी हैं। हैनोवर के दक्षिण-पूर्व में लोहा निकाला जाता है। कम धातु अंश के कारण पिछले कुछ वर्षों में कई खानें बन्द हो गयी हैं। इसलिए जर्मनी का इस्पात उद्योग आयात किये गये लोहे पर निर्भर है। जर्मनी में वाल्जैल्सबर्ग साइलीशिया, संडरलैण्ड, बैस्टफेलिया तथा सैक्सनी प्रदेशों में भी लोहा मिलता हैं।

फ्रांस – फ्रांस यूरोप में दूसरा बड़ा लोहा उत्पादक देश है। उत्तर-पूर्वी फ्रांस में स्थित लोरेन क्षेत्र से हैमेटाइट निकाला जाता है। अधिकतर खानें गहरी हैं। नहरों तथा नदियों द्वारा परिवहन उपलब्ध हैं। खनन विधियाँ वैज्ञानिक, आधुनिक तथा उन्नत है। नार्मण्डी तथा पाइरिनीज में भी लोहा मिलता है। कुछ लोहा बैल्जियम, लकजम्बर्ग तथा जर्मनी को निर्यात किया जाता है।

स्वीडन- स्वीडन यूरोप में सबसे अधिक लोहा उत्पन्न करता है जोकि विश्व उत्पादन का 1 प्रतिशत है। इसमें 60-65 प्रतिशत धातु अंश होता है। किरूना में 1899 में लोहे का खनन आरम्भ हुआ। यहाँ गहरी खानें है। यहाँ रेल परिवहन द्वारा लोहा नार्वे के पत्तन नार्विक तक भेजा जाता है।

स्पेन- स्पेन के उत्तर-पश्चिमी भाग में लोहा मिलता है। खाड़ी के निकट मुख्य क्षेत्र है। यहाँ लौह धातु अंश 50 प्रतिशत है। यहाँ लोहा एक महत्वपूर्ण निर्यात है।

युनाइटेड किंगडम- इस देश में प्राचीन काल से लोहे का खनन हो रहा है। इसीलिए अधिकतर भण्डार समाप्त हो गये हैं, फिर भी दो प्रमुख क्षेत्र हैं- (i) लिंकन के उत्तरी भाग में हम्बर्ग नदी के दक्षिण के क्षेत्र में (ii) दक्षिणी लिंकन से नार्थम्मटम तक के क्षेत्र मुख्य खानें मिडलैण्ड, क्लीवलैण्ड तथा स्काटलैण्ड में हैं अधिकतर खानें गहरी हैं।

कोयला

यूरोप के उद्योगों का आधार कोयला हैं। इंग्लैण्ड, जर्मनी, बैल्जियम, पौलैण्ड तथा फ्रांस में कोयला मिलता है।

युनाइटेड किंगडम में कोयला- गत समय में यह देश कोयले का प्रमुख उत्पादन था, परन्तु अब यहाँ विश्व का केवल 2 प्रतिशत कोयला मिलता है। अधिकतर खानें समाप्त हो गये हैं। अब घटिया खानों से कोयला निकाला जाता है। उत्तम परिवहन तथा उद्योगों से निकट निम्नलिखित क्षेत्रों में कोयला उत्पादन में सहायक है-

1. उत्तरी-पश्चिमी तटीय कोयला क्षेत्र – इसके प्रमुख केन्द्र नार्थ थम्बरलैप तथा डरहम हैं। न्यू-कासिल कोयला उत्पादन का प्रसिद्ध केन्द्र है।

2. उत्तर-पूर्वी तटीय कोयला क्षेत्र – इसके मुख्य देश यार्कशायर, नाटिघम डर्बी है। यह अब कोयला उत्पादन का बड़ा क्षेत्र माना जाता हैं।

3. लकाशायर- यह क्षेत्र बढ़िया कोयला उत्पादन करता है। यह कोयला सूती कपड़ा. उद्योग तथा मशीनों उद्योगों में प्रयोग किया जाता है।

4. दक्षिणी वेल्स कोयला क्षेत्र- यह बिटुमिनस कोयला उत्पन्न करता है। कोयले का प्रयोग भाप की नावों तथा उद्योगों में किया जाता है।

5. स्काटलैण्ड कोयला क्षेत्र- यहाँ क्लाइड घाटी में कोयले पर कई उद्योग आधारित कुल उत्पादन 1090 लाख टन है।

पोलैण्ड में कोयला- इस देश में साइलशिया प्रमुख कोयला क्षेत्र है। यहाँ कोक कोयला मिलती है। ओड्रा घाटी में कोयला मिलता है। पोजान के निकट कोनिन में भी कोयला मिलता है। पोलैंड में 12,00,000 लाख टन कोयले के भण्डार है। कोयले का उत्पादन 1320 लाख टन है, जबकि घटिया कोयले का उत्पादन 669 लाख टन है।

जर्मनी में कोयला- जर्मनी विश्व में लिग्नाइट कोयले का सबसे प्रमुख उत्पादक पश्चिमी भाग में बिटुमिनस कोयला मिलता है, जबकि पूर्वी भाग में लिग्नाइट कोयला मिला है। रूहर तथा लिपे घाटी जर्मनी का 75 प्रतिशत कोयला उत्पादन करते हैं।

पेट्रोलियम- पेट्रोलियम प्रायः तलछटी चट्टानों में मिलता है। यूरोप पेट्रोलियम के उत्पादन में भाग्यशाली नहीं है। रूस के अतिरिक्त इंग्लैण्ड सबसे बड़ा खनिज तेल उत्पादक है। इंग्लैंड में 15 तेल क्षेत्र हैं, जिनसे प्रति वर्ष 10 करोड़ टन तेल मिलता है।

रोमानिया- रोमानिया में लगभग तेल भण्डार समाप्त हो चुका है। यूरोप में यह खनिज तेल का अग्रणी देश था यहाँ तेल क्षेत्र कारपेथियन पर्वतों की बाहरी ढलानों पर मिलता है। पोलैस्टी सबसे बड़ा तेल क्षेत्र है।

नार्वे- नार्वे के तेल क्षेत्र महाद्वीपीय शैल्फ पर मिलते हैं खपत की तुलना में यहाँ उत्पादन अधिक है। कुल उत्पादन, 15 करोड़ टन है।

जर्मनी- जर्मनी में तीन क्षेत्रों में तेल मिलता है। शैल्सविग, हैनुवर तथा सैक्सनी प्रदेश। तेल का कुल उत्पादन 30 लाख टन है। नीदरलैण्ड, युगोस्लाविया तथा इटली भी तेल उत्पन्न करते हैं। यूरोप में अधिक औद्योगिक विकास के कारण पश्चिमी एशिया से तेल आयात किया जाता है।

विद्युत

विद्युत दो प्रकार से उत्पन्न की जाती है जल विद्युत तथा ताप विद्युत (कोयला, डीजल, पेट्रोलियम, अणु शक्ति द्वारा)! यूरोप में जल विद्युत शक्ति का प्रमुख साधन है। दक्षिणी भाग की लना में उत्तरी यूरोप में शीत ऋतु लम्बी होती है। अधिक शीत के कारण पानी जम जाता है, जिससे जल विद्युत उत्पादन नहीं होता। इसलिए उत्तरी यूरोप में ताप विद्युत का प्रयोग अधिक है। यूरोप संयुक्त राज्य के समान विद्युत का प्रमुख उत्पादक है।

फ्रांस में जल विद्युत- फ्रांस में सम्भावित विद्युत क्षमता का लगभग आधा भाग उत्पन्न किया जाता है। जल-विद्युत उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र हैं। (i) आल्पस पर्वत, (ii) पाइरेनीज पर्वत 1 (iii) मध्यवर्ती पठार, (iv) रोम-राइन घाटियाँ इन घाटियों में जल प्रपात बनाने के लिए आदर्श धरातल है। इसलिए यहाँ उत्पादन अधिक है। रोम नदी पर मध्य घाटी में जैनी सियात नामक बांध बनाया गया है, जिसकी उत्पादन क्षमता 6 लाख किलोवाट है। बेसल से स्ट्रासबर्ग तक बनायी गयी नहर पर कई विद्युत प्लांट बनाये गये हैं।

इटली- इटली का धरातल पर्वतीय है। हिम से ढके पर्वतों से कई नदियाँ मिलती हैं, जिनमें अधिक पानी होता है। ऊपरी ढलानों में अधिक वर्षा होती है। इसलिए जल विद्युत के लिए जल का निरन्तर प्रवाह रहता है। विद्युत उत्पादन की उन्नत तकनीकियाँ है। औद्योगिक विकास के कारण मांग अधिक है। जल-विद्युत कोयले तथा खनिज तेल की कमी को पूरा करती है।

नार्वे- नार्वे का धरातल जल-विद्युत उत्पादन के लिए अनुकूल है। यहाँ वर्ष भर वर्षा तथा कई जल प्रपात हैं तथा ईंधन की कमी है। हिम से ढके शिखरों से कई नदियों में पानी मिलता है। नदियाँ वर्ष भर बहती है। सस्ती जल विद्युत लकड़ी काटने के उद्योग के लिए लाभदायक है।

स्वीडन- स्वीडन में विद्युत उत्पादन की अपार क्षमता है। झीलों से निकलने वाली नदियाँ जल प्रवाह को नियन्त्रित करती है। लोहा गलाने तथा कृषि आधारित उद्योगों के लिए जल विद्युत महत्वपूर्ण है।

स्विट्जरलैण्ड- इस छोटे पर्वतीय प्रदेश में कोयला तथा खनिज तेल नहीं है, परन्तु आल्पस पर्वतों में विद्युत उत्पादन के लिए अनुकूल धरातलीय दशाएँ पायी जाती है।

यूरोप के खनिज प्रदेश

1. स्कैण्डिनेवियन प्रदेश- यह प्रदेश उत्तरी यूरोप में स्थित है। इसमें नार्वे, स्वीडन, फिनलैंड, डेनमार्क के देश शामिल है। यहाँ खनिज कम मात्रा में मिलते हैं। मुख्य खनिज लोहा तथा चाँदी है। लोहा स्वीडन के उत्तरी तथा दक्षिणी भागों में मिलता है।

2. मध्यवर्ती देश- यह प्रदेश आयरलैंड, इंग्लैण्ड, बैल्जियम, नीदरलैण्ड, उत्तरी फ्रांस, जर्मनी, पोलैंड तथा रूस तक फैला हुआ है। यह प्रदेश खनिज पदार्थों में सम्पन्न है। यहाँ कोयला, लोहा, प्राकृतिक गैस, लिग्नाइट, जिस्त, ग्रेफाइट, पोटाश आदि खनिज मिलते हैं।

3. दक्षिणी प्रदेश- इस प्रदेश में भू-मध्यसागरीय देश शामिल है। यहाँ लोहा, कोयला, ताँबा, गंधक, जिस्त, पेट्रोलियम मैग्नीज आदि खनिज मिलते हैं।

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