आस्ट्रेलिया महाद्वीप का एक भौगोलिक विवरण प्रस्तुत कीजिए।
आस्ट्रेलिया दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित है। यह उत्तर (10° 20’S ) में कोयला प्रायद्वीप से तस्मानिया के दक्षिण (43°20’S) तक तथा पश्चिम (112°30E’ में हार्टोगस से पश्चिम (153°20’E) में सिडनी, तक फैला हुआ है। उत्तर-दक्षिण लम्बा 3,940 किलोमीटर तथा पूर्व-पश्चिम लम्बाई 4,350 किलोमीटर है।
उत्तर-पश्चिम में आस्ट्रेलिया तिमोर ती ऐराफ्यूरा समुद्र द्वारा इण्डोनेशिया से अलग होता है तथा उत्तर-पूर्व में टारस जलडमरू पध्य द्वारा पापुआ न्यू गिनी से अलग होता है। कोरल द्वीप कोरल सागर द्वारा आस्ट्रेलिया से अलग होता है। दक्षिण-पूर्व में आस्ट्रेलिया तस्मान सागर द्वारा न्यूजीलैंड से अलग होता है। दक्षिण में अंटार्कटिका आस्ट्रेलिया से हिन्द महासागर द्वारा अलग होता है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि आस्ट्रेलिया महाद्वीप हिन्द महासागर तथा दक्षिणी प्रशान्त महासागर के मध्य स्थित है।
आस्ट्रेलिया का कुल क्षेत्रफल दक्षिणी द्वीप तस्मानिया सहित 1,75,62,000 वर्ग किलोमीटर है। यह भारत से दुगुना तथा क्षेत्रफल के आधार पर एशिया, अफ्रीका उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका अंटार्कटिका तथा यूरोप बाद सातवें स्थान पर आता है। इसीलिए आस्ट्रेलिया को सबसे छोटा महाद्वीप के नाम से जाना जाता है। यूनाइटेड किंगडम अधिकतम दूरी के कारण आस्ट्रेलिया ‘धरती का अंत’ भी माना जाता है जिसकी खोज 788 ई. में कैपटन कुक ने की थी। इसे अन्तिम सीमा कहना उपयुक्त नहीं, क्योंकि इसके पश्चात नाविकों ने कई नयी बस्तियों की खोज की।
विशाल आस्ट्रेलिया विश्व का सबसे छोटा, समतल तथा शुष्क महाद्वीप है। इसका विशाल आकृति निम्नलिखित कारकों द्वारा निर्मित हुई है-
- भूगर्भिक हलचलें,
- नदी द्वारा अपरदन,
- जलवायु में बार-बार परिवर्तन,
- समुद्र सतह में परिवर्तन।
आस्ट्रेलिया ‘महान् समतल मैदानों की धरती’ कहा जाता है। इसका मुख्य कारण यह है कि आस्ट्रेलिया का केवल 6 प्रतिशत भाग 600 मीटर से अधिक ऊँचा है। 94 प्रतिशत भाग 600 मीटर से कम ऊँचा है। इसकी उच्चतम चोटी माउंट कोरिक्यूस्को है जिसकी ऊँचाई 2,228 मीटर है। आस्ट्रेलिया एक शुष्क महाद्वीप है। इसका 1/3 भाग स्टेपीय तथा 1/3 भाग साधारण रूप स `नम है। यह तथ्य धरातल को भी प्रभावित करता है।
धरातलीय विभाग
धरातल की दृष्टि से आस्ट्रेलिया को चार प्रदेशों में बाँटा जा सकता है-
- पश्चिमी शील्ड प्रदेश
- फ्लिडर्स-माउंट लॉफ्टी पहाड़ियों का प्रदेश
- महान् आर्टिजियन बेसिन
- पूर्वी पर्वतीय प्रदेश।
- आस्ट्रेलिया के पूर्वी तट तथा पश्चिमी भाग के मध्य ग्रेट डिवाइडिंग रेंज वास्तव में एक विभाजक है। आस्ट्रेलिया के भीतरी भाग का अध्ययन धरातल को स्पष्ट करता है।
पश्चिमी शील्ड प्रदेश
यह प्रदेश आस्ट्रेलिया के पश्चिमी भाग में स्थित है। यदि हम पश्चिमी किनारे से रेखा खींचते हुए कारपेन्ट्रिया से उच्च प्रदेश की पूर्वी सीमा तथा फिर पूर्वी सीमा की तरफ मुड़कर मैक्डोतल पहाड़ियाँ, पश्चिमी तट की तरफ आयर झील तथा आयर प्रायद्वीप तक ले जाये तो पश्चिमी शील्ड की पूर्वी सीमा या क्रॉटोन बनाते हैं। उत्तर, पश्चिम तथा पूर्व के समुद्र हैं एराफुआ, तिमोर, हिन्दमहासागर। ग्रेट आस्टेलियन बाइट पूर्वी सीमा हैं आस्ट्रेलिया के तटों पर उत्तर-पश्चिम में छोटे-छोटे जलाशय, जोजेफ बोलापार्ट खाड़ी, कोलियर खाड़ी किंग साउण्ड स्थित है। पश्चिमी तट पर एक्समाऊथ खाड़ी, शार्क खाड़ी तथा दक्षिण में ग्रेट आस्ट्रेलियन बाइट, फोलर खाड़ी और स्पेंसर खाड़ी मुख्य जलाशय हैं।
धरातल- इसका क्षेत्रफल 4.5 मिलियन वर्ग किलोमीटर है तथा आधा क्षेत्रफल 300 600 मीटर के बीच है। यहाँ कुछ लम्बी तथा छोटी छोटी सीधी कटी-फटी दरार रेखाएँ हैं जो शील्ड क्षेत्र को छोटे-छोटे भागों में बांटती हैं। ये भू-आकार भूगर्भिक हलचलों द्वारा बने हैं। इन -दरारों की दिशा उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व है।
1. उच्च प्रदेश- उच्च प्रदेश धरातल में महत्वपूर्ण है। किम्बरले पठार में तथा म्यूलर पठार पर रेत के पत्थर से बने कई पठार, मेसा तथा बुटे हैं। उत्तर में अर्नहमलैंड तथा पश्चिमी तट में फ्लिबारा ब्लॉक स्थित है, जहां कार्स्ट भू-रचना है। घटियां तथा कटकों का निर्माण किम्बरले के दक्षिण में तथा ड्यूरेक पहाड़ी मैक्डोनल पहाड़ी तथा जेम्स पहाड़ी स्थित हैं यहीं भू आकार उच्च प्रदेश के दक्षिण-पश्चिम में तथा स्टरलिंग पहाड़ी के रूप में मिलते हैं डालिंग पहाड़ी ग्रेनाइट की बनी है, परन्तु लैटेराइट से ढकी हुई है। आयर प्रायद्वीप के दक्षिण-पूर्व में गालर श्रेणी है जिसका निर्माण पूर्व कैम्ब्रियन युग की ज्वालामुखी चट्टानों से हुआ है। यहाँ पर कई इनसेलवर्ग समतल मैदानों में ग्रेनीटिक चट्टानों से निर्मित है। ऐसे ही भू-आकार दक्षिणी आस्ट्रेलिया के उत्तर-पश्चिम में पीटरमैन श्रेणी, टॉमकिन्सन श्रेणी तथा मसग्रेव श्रेणी में स्थित हैं।
2. निम्न प्रदेश
(अ) युक्ला बेसिन- इस क्षेत्र की रचना तब हुई जब अंटार्कटिका, इयोसीन युग आस्ट्रेलिया से अलग हुआ। यह एक कार्स्ट क्षेत्र है, परन्तु समतल होने से इसमें ट्रांस आस्ट्रेलियन रेलवे लाइन लगभग 460 किलोमीटर का निर्माण किया गया है जो इस बेसिन से गुजरती है।
(ब) बार्कले- टेबललैण्ड- यह क्षेत्र ईसा उच्च प्रदेश तथा अरान्ता स्टुर्ट ब्लॉक के मध्य स्थित है। यह भी सम्पूर्णतः समतल है।
(स) सैलीनालैण्ड- यह क्षेत्र पश्चिम में स्थित है। यह क्षेत्र भी समतल तथा चौड़ा है। यहां पुरानी नदियाँ नमकीन परतों से ढकी होने के कारण पट्टियों की तरह दिखाई देती है।
(द) गिबसन मरूस्थल- यह क्षेत्र लैटेराइट मिट्टी से ढका हुआ समतल मैदान है।
3. मरूस्थल- आस्ट्रेलियन शील्ड मुख्यतः मरूस्थलीय क्षेत्र है। इनमें कुछ मुख्य मरूस्थल महान सैडी मरूस्थल, महान् विक्टोरिया मरूस्थल जिसके उत्तर में कैनिंग बेसिन के साथ-साथ गिबसन, अमेड्स गर्त स्थित है। आरन्ता स्टुर्ट ब्लॉक का मरूस्थलीय क्षेत्र है। इस मरूस्थल का विस्तार ग्रेट आर्टिजियन बेसिन तक है जहाँ पश्चिम में सिम्पसन मरूस्थल स्थित है।
मरूस्थल में मिट्टी का साधन नदियाँ हैं जो यहाँ वर्षा से दूसरे क्षेत्रों से मिट्टी बहाकर लाती है। अपक्षरण से उत्पन्न चट्टानों के ऐर तथा मिट्टी को नदियां प्रवाहित करके उच्च प्रदेशों से मैदानों में लाती हैं। यह मिट्टी के ढेर रेत के टीलों में जम जाते है। वर्षा कम है, परन्तु दक्षिण-पश्चिम में पर्याप्त है जिससे मौसमी नदियाँ बहती हैं। कई नदियों तथा जल विभाजकों की रचना होती है।
लैटेराइट मिट्टी इस विशाल क्षेत्र में फैली हुई है। इस क्षेत्र में कभी उष्ण तथा कभी आर्द्र मौसम होने के कारण तापमान ऊँचा नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि यहाँ यह मिट्टी टर्शियरी युग की हलचलों के कारण आयी है। यहाँ कई नदियों का निर्माण हुआ जिनके बचे-खुचे भाग नूरालबोर मैदान, ग्रेट विक्टोरिया मरूस्थल तथा अमेड्स मरूस्थल में देखे जा सकते हैं। अन्य स्थानों पर अस्त-व्यस्त जल निकास प्रणाली का प्रबन्ध है।
जलवायु विभिन्नताएँ भू-आकारों की प्रकृति द्वारा स्पष्ट दिखाई पड़ती है। वनस्पति के जड़त्व के कारण रेत के स्तूप स्थायी ही रह गये हैं। यहाँ यह स्पष्ट होता है कि जलवायु शीघ्र ही आर्द्र हुई है; परन्तु उत्तर में इसके विपरीत अवस्था पायी जाती है। जब जलवायु नमी वाली होती. है तो कुडस झील, बार्कली टेबललैण्ड कभी दलदली क्षेत्र के भाग थे। दूसरी तरफ जब जलवायु शुष्क होती है तो झील जिसका क्षेत्रफल 2,849 वर्ग किलोमीटर है, कम होकर लगभग 180 वर्ग किलोमीटर रह जाती है।
4. प्राचीन भू-आकार- दरार क्रिया तथा अन्य धरातलीय परिवर्तन अपरदित सतह से स्पष्ट दिखाई देते है। स्थानीय स्तरों से ऊँचे ये अवशिष्ट प्रदेश दिखाई देते हैं। ऐसे भू-आकारों की रचना कई बार कई क्षेत्रों में हुई हैं जैसे पूर्व में आर्टिजियन बेसिन में हुई है। ऐसे भू-आकार दक्षिण में, मध्य आस्ट्रेलिया में तथा क्वीन्सलैण्ड के उत्तर-पश्चिमी भाग में मिलते हैं यह प्राचीन शील्ड भारत के प्रायद्वीप से मिलती-जुलती है जो किसी भू-गर्भिक युग में इकट्ठे थें ये प्रमाण खनिज पदार्थो तथा प्राचीन जलवायु से मिलते हैं जो आस्ट्रेलिया के पश्चिमी तथा पूर्वी तट पर पाये जाते हैं।
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