व्यक्तित्व के प्रकार-Types of Personality in Hindi
विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्ति के गुणों के आधार पर उसके व्यक्तित्व का वर्गीकरण किया है, जो निम्नलिखित है-
1. जंग द्वारा व्यक्तित्व का वर्गीकरण
जंग ने लोगों को तीन वर्गों में बांटा है-
(i) बहिर्मुखी- ये लोग सामाजिक, मिलनसार, संतुष्ट, प्रसन्नचित, चिन्तओं से मुक्त होते हैं। वे हमेशा बाहरी विश्व की ओर उन्मुख रहते हैं। ये व्यक्ति सर्वदा दूसरों को प्रसन्न रखने का प्रयत्न करते हैं। ये व्यावहारिक जीवन में अत्यधिक निपुण होते हैं। वे सभाओं और सामाजिक कार्यों में रुचि लेते हैं। बहिर्मुखी व्यक्ति आशावादी तथा अवसरवादी स्वभाव के होते हैं। विचार की अपेक्षा कार्य को अधिक महत्त्व देते हैं। इनमें लचीलापन और समायोजन की योग्यता होती है। ये अपनी चाल-ढाल, योग्यता तथा वेशभूषा दूसरों सेपर अधिकार जमाने का प्रयत्न करते हैं। ऐसे व्यक्ति निपुण खिलाड़ी होते हैं।
(ii) अन्तर्मुखी
यह लोग बहिर्मुखी व्यक्तित्व वाले लोगों से विपरीत होते हैं। ये अपेक्षाशील, आत्मकेन्द्रित तथा असामाजिक होते हैं। ये हंसी-मजाक नहीं पसंद करते हैं। कार्य के प्रति कर्म को अधिक महत्त्व देते हैं। ये केवल अपने आंतरिक संसार में ही व्यस्त रहते हैं। ये दूसरों को खुश रखने का प्रयत्न नहीं करते। ये लोग आध्यात्मिक विषयों को पढ़ने में अधिक रुचि लेते हैं। इन लोगों की जिज्ञासा प्रवृत्ति अत्यधिक प्रबल होती है। ये झक्की तथा हठी स्वभाव के होते हैं। ये अपने पारिवारिक जीवन से सन्तुष्ट नहीं रहते हैं। दिन में सपने देखना इनकी मुख्य विशेषता है। वे चिन्तन और लेखन में रुचि रखते हैं।
(iii) मध्यमुखी
मध्यमुखी वे व्यक्ति होते हैं जो न पूर्ण रूप से अन्तर्मुखी होते हैं और न बहिर्मुखी। ऐसे व्यक्तियों में कुछ गुण अन्तर्मुखी वाले तथा कुछ गुण बहिर्मुखी व्यक्तित्व वाले होते हैं। प्रत्येक व्यक्ति इन दोनों का मिश्रण होता है। युग ने ऊपर वाले दोनों के बीच में आने वाले व्यक्तियों की समाज में अधिकता पाई और उनको मध्यमुखी की संज्ञा दी।
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2. शैल्डन द्वारा व्यक्तित्व का वर्गीकरण
शारीरिक आकार के आधार पर शैल्डन ने व्यक्तियों को तीन भागों में बांटा है, जो निम्न प्रकार से है-
(i) गोलाकार – इन लोगों का शरीर मोटा, भारी तथा गोलाकार होता है। उनका पेट बड़ा होता है और पाचन क्रिया कम विकसित होती है।
(ii) आयताकार – इन श्रेणी के लोगों की हड्डियाँ तथा मांसपेशियां मजबूत तथा काफी शक्तिशाली होती हैं। इन व्यक्तियों का शरीर आयताकार होता है। ये लम्बे-चौड़ें, डील-डौल तथा अच्छे स्वास्थ्य वाले होते हैं।
(iii) लम्बाकार – इनका कद तथा हड्डियां लम्बी होती हैं। ये कोमल, कमजोर शरीर के मालिक होते हैं।
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3. क्रैशमर द्वारा व्यक्तित्व का वर्गीकरण
प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक क्रैशमर ने अपनी पुस्तक ‘Physique and Character’ में शारीरिक रचना के आधार पर लोगों को निम्नलिखित चार भागों में बांटा है-
(i) पिकनिक- ये लोग छोटे-मोटे आराम प्रिय, सामाजिक उन्माद, विषादयुक्त होते हैं। ये स्वभाव से प्रसन्नचित्त एवं मिलनसार होते हैं।
(ii) ऐथेलिटिक- ये लोग सुडौल, तन्दुरुस्त, व्यवहार में कुशल, सामाजिक व सक्रिय होते हैं। ये स्वभाव के व्यवहार कुशल और क्रियाशील होते हैं।
(iii) ऐस्थेलेटिक – इन लोगों का शरीर पतला दुबला और कंधे छोटे होते हैं। इनका स्वभाव आत्मकेन्द्रित, भावुक, स्वप्न होता है। ये एकान्त प्रिय होते हैं।
(iv) डिस्प्लैस्टिक – जो लोग ऊपरी तीनों में से किसी में से भी नहीं आते या जिनमें मिले-जुले गुण होते हैं। उसकी हम डिस्प्लैस्टिक (मिश्रित) में रख सकते हैं।
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4. आइजेंक द्वारा व्यक्तित्व का वर्गीकरण
आइजैंक ने लोगों को चार वर्गों में बांटा जो निम्नलिखित हैं-
(i) बहिर्मुखी – ये लोग सामाजिक, मिलनसार, संतुष्ट, प्रसन्नचित्त व चिन्ताओं से मुक्त होते हैं।
(ii) अन्तर्मुखी- ये व्यक्ति लज्जाशील, एकान्तप्रिय, निराशावादी तथा असामाजिक होते हैं। ये चिन्तन और लेखन में रुचि रखते हैं ।
(iii) साइकोटिसिज्म – इस वर्ग में आने वाले समाज विरोधी होते हैं। वे लोग दूसरों की परवाह नहीं करते।
(iv) न्यूरोटिसिज्म – ये लोग मानसिक रोगी होते हैं। वे अपने चारों ओर के वातावरण में कठिनाइयों का अनुभव करते हैं। इस बीमारी के निम्नलिखित लक्ष्य हैं अथवा इन लोगों की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं
(a) चिन्ता और भय
(b) आत्मकेन्द्रित
(c) अन्तर्दृष्टि का अभाव
(d) असन्तोष और प्रसन्नता
(e) तनाव और चिड़चिड़ापन
(f) असफलता
(g) स्वयं की पहचान का अभाव
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