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बालक के मानसिक विकास से संबंधित ज्ञान एक अध्यापक के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण हैं? स्पष्ट कीजिए।

बालक के मानसिक विकास से संबंधित ज्ञान एक अध्यापक के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण हैं
बालक के मानसिक विकास से संबंधित ज्ञान एक अध्यापक के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण हैं

बालक के मानसिक विकास से संबंधित ज्ञान एक अध्यापक के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण हैं? स्पष्ट कीजिए।

एक प्रभावशाली अध्यापक बनने के लिए बालकों के मानसिक विकास का ज्ञान होना अति आवश्यक होता है, क्योंकि भिन्न-भिन्न अवस्थाओं में बालक का मानसिक विकास भिन्न-भिन्न प्रकार से होता है। अतः बालक को उसके मानसिक विकास में सहायता करने हेतु शिक्षक निम्नलिखित प्रयास कर सकता है-

1. शिक्षा में विभिन्न प्रवृत्तियों का प्रयोग

बच्चे की शिक्षा के दौरान उसकी प्रवृत्तियों क अनदेखा न करके उसे आधार मानना चाहिए। बच्चों में मानसिक विकास के कारण निम्नलिखित प्रवृत्तियों का विकास देखा गया है

(a) संग्रह करने की प्रवृत्ति,

(b) जिज्ञासा की प्रवृत्ति,

(c) रचना की प्रवृत्ति,

(d) सामाजिक प्रवृत्ति या समुदायों में रहने की प्रवृत्ति ।

अतः शिक्षक उनके मानसिक विकास के लिए उन्हें विभिन्न वस्तुओं का संग्रह करने की प्रेरणा प्रदान करने में पहल कर सकता है। बालकों में जिज्ञासा की प्रवृत्ति का विकास करने के लिए वह उनके मध्य वाद विवाद करा सकता है। इस प्रकार बालकों में सामाजिक एवं रचनात्मक प्रवृत्ति का विकास करने हेतु उनमें विभिन्न गुणों तथा सहयोग, सेवा, सहनशीनलता, बड़ों का आदर करना इत्यादि गुणों तथा शिल्पकला का विस्तार कर सकता है। इस प्रकार अध्यापक बालक का विकास करने में अपना महत्त्वपूर्ण सहयोग कर सकता है।

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2. पाठ्यक्रम और सहगामी क्रियाओं के चयन में सहायक –

अलग-अलग स्तरों पर मानसिक विकास जान लेने के पश्चात् अध्यापकों के लिए पाठ्यक्रम और सहगामी क्रियाओं का चयन करना आसान हो जाता है। अध्यापक को इस बात का ज्ञान हो जाता है कि छोटे बच्चों को उनके मानसिक विकास के अनुसार किस प्रकार का पाठ्यक्रम और सहगामी क्रियाएँ निर्धारित की जाए।

3. पाठ्य पुस्तकें तैयार करने में सुविधा-

इसी प्रकार मानसिक विकास की अवस्थाओं को ध्यान ” में रखते हुए विभिन्न स्तरों के अनुसार पाठ्य-पुस्तकों को तैयार करने में सहायता मिलती है।

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4. शिक्षण विधियों के चयन में सहायक –

बालक के मानसिक विकास के स्तर को देखते हुए शिक्षक बड़ी सुविधा के अपने शिक्षण की विधियों का चयन कर सकता है। शिक्षण विधियों के चयन के साथ-साथ शैक्षणिक वातावरण के निर्माण में भी मानसिक विकास के ज्ञान का पर्याप्त योगदान रहता है।

5. वास्तविक पदार्थों द्वारा शिक्षा

शिक्षक मानसिक विकास को देखकर बच्चों के आगामी मानसिक विकास के लिए वास्तविक पदार्थों का प्रयोग करके उन्हें शिक्षण दे सकता है। यह विधि छोटे बच्चों और विज्ञान के विषयों में बहुत सफल रहती है।

6. अप्रत्यक्ष धार्मिक और नैतिक शिक्षा-

मानसिक विकास के लिए अध्यापक बालक को धार्मिक और नैतिक शिक्षा प्रत्यक्ष रूप से न देकर अप्रत्यक्ष रूप से भी देकर बच्चों के मानसिक स्तर को ऊँचा उठा सकने में सफल हो सकते हैं।

इस प्रकार शिक्षक बच्चों के मानसिक विकास में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपना पूर्ण सहयोग दे सकता है। उसके साथ ही बच्चों के मानसिक विकास के स्तर का ज्ञान शिक्षक को अपने कर्त्तव्य निभाने में सहायक सिद्ध हो सकता है।

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