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प्रतिभाशाली बच्चों की विशेषताएँ | characteristics of gifted children

प्रतिभाशाली बच्चों की विशेषताएँ | characteristics of gifted children
प्रतिभाशाली बच्चों की विशेषताएँ | characteristics of gifted children

प्रतिभाशाली बच्चों की विशेषताओं का विवेचन कीजिए।

प्रतिभाशाली बालकों में आपस में कई प्रकार की विभिन्नताएँ होती हैं। प्रतिभाशाली बालकों के समूह में समरूपता होना आवश्यक नही। इन प्रतिभाशाली बालकों की मुख्य विशेषताएँ अग्रलिखित है-

(1) शारीरिक विशेषताएँ-

  1. प्रतिभाशाली बालक शारीरिक विशेषताओं में सामान्य बालकों से भिन्न होते है। यह विभिन्नताएँ कद, भार और सामान्य शारीरिक विकास के रूप में होती है।
  2. विशिष्ट बुद्धि वाले बच्चों में शारीरिक दोष भी बहुत कम होते हैं।
  3. टरमन और विटी ने प्रतिभाशाली बालकों और उनके माता-पिता के स्वास्थ के इतिहास का अध्ययन करने के पश्चात् यह पाया कि प्रतिभाशाली बालक व उनके माता-पिता सामान्य बालकों और उनके माता-पिता से अधिक स्वस्थ होते हैं तथा यह बालक सामान्य बच्चों से भारी होते हैं।
  4. प्रतिभाशाली बालक के सामान्य बालकों की अपेक्षा दो माह पूर्व दाँत निकल आते हैं। इसी प्रकार वे सामान्य बालाकें से दो माह पहले चलना-फिरना और बोलना शुरू कर देता है।
  5. इनकी ज्ञान इन्द्रियाँ प्रखर होती हैं।
  6. प्रतिभाशाली बालकों में किशोरावस्था के लक्षण शीघ्र दिखायी देते हैं।

(2) संवेगात्मक विशेषताएँ-

  1. संवेगात्मक रूप से प्रतिभाशाली बालक स्थिर और समायोजित होते हैं।
  2. ये प्रायः प्रसन्न रहते हैं और समस्याओं तथा कठिनाइयों का स्वतन्त्रा से सामना करने को महत्व देते हैं। यह अधिक धैर्यवान होते हैं।
  3. नये लोगों के साथ नये स्थानों पर नई स्थितियों में ये बालक शीघ्र ही समायोजन कर लेते हैं।
  4. इनका चरित्र और व्यक्तित्व साधारणतः पर दूसरे बालकों से श्रेष्ठ होता है।
  5. इस प्रकार के बालक सामाजिक दृष्टि से भी सुदृढ होते हैं।

(3) सामाजिक विशेषताएँ-

  1. प्रतिभाशाली बालक, क्योंकि हँसमुख व प्रसन्नचित रहते हैं, अतः वे सामाजिक तौर पर अधिक परिपक्व तथा सर्वप्रिय होते है।
  2. ऐसे बालक अपनी आयु स्तर से अधिक आयु के स्तर वाले बालकों को मित्र बनाना पसन्द करते हैं, लेकिन खेलना वे अपने आयु स्तर के बालकों के साथ ही पसन्द करगें।
  3. ऐसे बालक घर, स्कूल तथा समुदाय के अन्य कार्यों की जिम्मेदारी लेना बहुत पसन्द करते हैं।
  4. इनमें नेतृत्व की विशेषताएँ बहुत होती है।
  5. सामाजिक समायोजन के दो पक्ष होते है, मिलने-जुलने की योग्यता और सामाजिक रूप से लाभकारी बनने की योग्यता। कई बार प्रतिभाशाली बालकों में मिलने-जुलने की योग्यता में कमी पायी गयी है। उसकी सृजनात्मक गतिविधियाँ उसके सामाजिक तौर पर लाभकारी होने का संकेत होता है। इन लाभाकारी कार्यों में साहित्यिक रचना, शोध, कार्य, खोज आदि सम्मलित हैं।
  6. टरमन (1925) ने 500 प्रतिभाशाली बालकों के अध्ययन के पश्चात् यह निष्कर्ष निकाला कि वे अधिक ईमानदार, विषय परिस्थितियों में विश्वसनीय होते हैं। इनके विचारों तथा निर्णयों में दृढता होती है।

(4) लिंगीय विशेषताएँ-

लड़के और लड़कियों में कौन अधिक प्रतिभाशाली होते हैं, इसका अभी तक सन्तोषजनक उत्तर प्राप्त नहीं हुआ। कई अध्ययनों में अधिक लड़कों की बुद्धि-लब्धि (I.Q.) लड़िकियों से अधिक पायी गयी। टरमन (1925) 643 विद्यालय के बच्चों में से 121 प्रतिभाशाली लड़के और केवल 100 प्रतिभाशाली लड़कियों को पहचान पाया, लेकिन जैनकिन्स (1930) को नीग्रो जनसंख्या के अध्ययन में अधिक प्रतिभाशाली लड़कियाँ मिली।

(5) शैक्षणिक उपलब्धि-

  1. बौद्धिक रूप से सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति शैक्षिक उपलब्धि को बहुत महत्व देते हैं।
  2. ऐसे बालक शिक्षा के प्रत्येक क्षेत्र में अधिक उपलब्धियाँ प्राप्त करते हैं।
  3. प्रतिभाशाली बालक साहित्य, विज्ञान, व्याकरण, गणित, इतिहास, भूगोल, आदि विषयों में अध्यापक द्वारा श्रेष्ठ घोषित होते हैं।
  4. ये बालक उन विषयों में अधिक श्रेष्ठता प्रदर्शित नहीं करते, जिनका सम्बन्ध बुद्धि से न हो। उदाहरणार्थ, दुकान का कार्य, सिलाई, कला आदि।
  5. उपलब्धि और बुद्धि का सह-सम्बन्ध ऐसे बालकों में अत्यधिक मिलेगा।
  6. पुरस्कार और छात्रवृत्तियाँ जीतने में भी प्रतिभाशाली बालक सबसे आगे रहते हैं। उदाहारणार्थ, निबन्ध लेखन प्रतियोगिता, कक्षा का सम्मान आदि।
  7. पढाई-लिखाई में अधिकतर साधारण बालकों से श्रेष्ठ होते हैं, क्योंकि इनमें उनकी वास्तविक रूचि होती है। ज्ञान प्राप्त करने में अधिक रूचि लेते है।
  8. अधिक पाठ्यक्रम को कम समय में समझने की क्षमता होती है।

6. सहगामी क्रियाए:

  1. प्रतिभाशाली बालक खेलों में बहुत रूचि लेते है। वे अपने से अधिक आयु के बच्चों में खेलना अधिक पसन्द करते हैं। कम आयु के बच्चों के साथ वे कम समय व्यतीत करते हैं।
  2. प्रतिभाशाली बालक उन खेलो और क्रियाओं में अधिक रूचि लेते हैं, जिनमें मानसिक परिपक्वता की आवश्यकता होती है।
  3. लेहमन और विटी के अनुसार, प्रतिभाशाली लड़कियाँ अधिक खेल गतिविधियों मे व्यस्त रहती है। लड़कों के बारे में यह बात विपरीत होती है। इनके अनुसार प्रतिभाशाली बालक शारीरिक खेलो मे कम रूचि लेते है, यह पढ़ाई-लिखाई के कार्यों में अधिक रूचि लेते है।
  4. प्रतिभाशाली बालक स्कूलों में जाने से अधिक रूचि को प्रदर्शित करते है।

(7). व्यक्तिगत विशेषताए:

  1. प्रतिभाशाली बालक सहयोगी होते हैं।
  2. यह सुझावों को मानने के लिए तैयार रहते है।
  3. इनमें हास्य विनोद का स्वाभाव अधिक होता है।
  4. इनका सामाजिक समायोजन सामान्य बालको की अपेक्षा अधिक होता है।
  5. ऐसे प्रतिभावान बालकों को कक्षाओं में उनके सहपाठी अधिक पसन्द करते हैं।
  6. प्रतिभाशाली बालकों की संवेगात्मक स्थिरता उनकी प्रौढ़ावस्था में भी निरन्तर बनी रहती है।

(8) सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमिः

  1. सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि प्रतिभाशाली बालको की उत्तम होती है।
  2. प्रतिभाशाली बालकों के परिवारों का सामाजिक-आर्थिक सामान्य से ऊपर होता है।
  3. कोल (1956) के अध्ययनों से ज्ञात हुआ है कि प्रतिभाशाली बालको के माता-पिता व्यावसायिक स्तर मे धनात्मक सह सम्बन्ध पाया गया है, लेकिन यह सह सम्बन्ध पूर्व बाल्यकाल तक ही पाया गया है।
  4. सामाजिक, शैक्षक और व्यावसायिक पृष्ठभूमि प्रौढावस्था या युवावस्था की उपलब्धि में योगदान करती है, लेकिन अभी तक इनका अनुपात मालूम नहीं हो सका।
  5. प्रतिभाशाली बालको के माता पिता सामान्य जनसंख्या से अधिक शिक्षित होते हैं ।
  6. ऐसे बालको के घर, मुहल्ले या पड़ोसियों के घरो से श्रेष्ठ होते हैं।
  7. शहरी क्षेत्रों से अधिक प्रतिभाशाली व्यक्ति पाये जाते हैं।
  8. प्रतिभाशाली बालकों के परिवार अधिक और उत्तम पुस्तके, उपन्यास पत्रिकाएँ पढ़ते हैं। और कम प्रभुत्ववादी होता है।
  9. विद्वानो को उत्पन्न करने में सांस्कृतिक कारको की भूमिका का बहुत महत्व होता है। ऐसा अध्ययन इंग्लैण्ड और न्यूजीलैण्ड में (1962) में बर्ट द्वारा किया गया था।

(9). बैद्धिक विशेषताए:

  1. प्रतिभाशाली बालक मानसिक रूप से सामान्य बालक से श्रेष्ठ होता है।
  2. ऐसे बालको मे ज्ञान की जिज्ञासा मौलिकता, दृढ़ इच्छा, हास्य-विनोद का स्वभाव तथा सामान्य बुद्धी सामन्य बालको से अधिक होती है।
  3. इनमे तर्क करने की योग्यता अधिक होती है।
  4. ऐसे बालको की अवधान का विस्तार भी अधिक होता है।
  5. प्रतिभाशाली बालको की रूचियाँ, सामान्यीकरण की योग्यता भी सामान्य बालक से अधिक होती है।

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