बाल्यावस्था के विकासात्मक कार्य
बाल्यावस्था के विकासात्मक कार्य-बाल्यावस्था को मुख्य रूप से दो भागों में बाँटा जा सकता है, उसी के अनुसार उसके विकासात्मक कार्यों की चर्चा की जा रही है-
(A) पूर्व बाल्यावस्था के विकासात्मक कार्य
1. गामक विकास जैसे दौड़ना, चलना, कूदना-फाँदना, चढ़ना-उतरना, तीन पहियों की साइकिल चलाना आदि में प्रवीणता प्राप्त करना।
2. भले-बुरे, उचित-अनुचित व्यवहार में अन्तर समझना तथा आत्म चेतना का उदय।
3. सुनने, बोलने, पढ़ने-लिखने तथा भाषायी कौशल से सम्बन्धित आधारभूत समझ रखना।
4. लिंग भेद तथा यौन आचरण सम्बन्धी साधारण बातों की जानकारी रखना।
5. अपने संवेगों की बाह्य अभिव्यक्ति पर उचित नियंत्रण करना सीखना।
6. वस्तुओं में समानता, असमानता की खोज करने की योग्यता में वृद्धि तथा उसी के अनुरूप तुलना करने की योग्यता का विकास।
7. माता-पिता के साये से बाहर निकलकर साथी बालिकाओं की संगत को पसन्द करना।
8. प्राकृतिक एवं सामाजिक परिवेश सम्बन्धी उचित सम्प्रत्ययों का निर्माण करना।
9. मैं की भावना के स्थान पर हम की भावना को महत्त्व देना तथा सामूहिक खेलों और कार्यों को महत्त्व देना।
10. भोजन में ठोस आहार ग्रहण करना सीखना।
11. मल-मूत्र पर नियन्त्रण करना सीखना।
12. शरीर क्रियात्मक स्थायित्व प्राप्त करना।
13. संवेगात्मक सम्बन्धों का निर्माण करना सीखना।
(B) उत्तर- बाल्यावस्था के विकासात्मक कार्य
1. स्वयं के प्रति उचित दृष्टिकोण तथा मान्यता का निर्माण करना।
2. अपने हम उम्र साथियों के साथ समायोजित होना।
3. तर्क, चिन्तन और समस्या समाधान सम्बन्धी क्षमताओं का विकास होना।
4. व्यक्तियों, वस्तुओं, विचारों तथा प्रक्रियाओं के विकास में स्थूल एवं सूक्ष्म आधारों को विकसित करना।
5. आत्मा-चेतना, नैतिकता तथा मूल्यों का विकास होना ।
6. शारीरिक तथा गामक कौशलों को अर्जित करना।
7. उचित यौन व्यवहार एवं भूमिका निर्वाह की शिक्षा प्राप्त करना ।
8. समूह के प्रति भक्ति भाव तथा लगाव उत्पन्न होना।
9. सम्प्रेषण एवं भाषा कौशलों में प्रवीणता प्राप्त करने एवं गणना, आलेख तथा रचना कार्य में सहायक आवश्यक दक्षता का विकास करना।
10. विभिन्न प्रकार के इनडोर तथा आउटडोर खेलों को खेलने के लिए आवश्यक शारीरिक तथा गामक कौशलों को अर्जित करना।
Important Links
- बाल विकास की विभिन्न अवस्थाएँ | Bal Vikas ki Vibhinn Avastha
- बाल विकास की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- विकास के प्रमुख सिद्धांत-Principles of Development in Hindi
- वृद्धि तथा विकास के नियमों का शिक्षा में महत्त्व
- अभिवृद्धि और विकास का अर्थ
- वृद्धि का अर्थ एवं प्रकृति
- बाल विकास के अध्ययन का महत्त्व
- श्रवण बाधित बालक का अर्थ तथा परिभाषा
- श्रवण बाधित बालकों की विशेषताएँ Characteristics at Hearing Impairment Children in Hindi
- श्रवण बाधित बच्चों की पहचान, समस्या, लक्षण तथा दूर करने के उपाय
- दृष्टि बाधित बच्चों की पहचान कैसे होती है। उनकी समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
- दृष्टि बाधित बालक किसे कहते हैं? परिभाषा Visually Impaired Children in Hindi
- दृष्टि बाधितों की विशेषताएँ (Characteristics of Visually Handicap Children)
- विकलांग बालक किसे कहते हैं? विकलांगता के प्रकार, विशेषताएँ एवं कारण बताइए।
- समस्यात्मक बालक का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, कारण एवं शिक्षा व्यवस्था
- विशिष्ट बालक किसे कहते हैं? यह कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रतिभाशाली बालकों का अर्थ व परिभाषा, विशेषताएँ, शारीरिक विशेषता
- मानसिक रूप से मन्द बालक का अर्थ एवं परिभाषा
- अधिगम असमर्थ बच्चों की पहचान
- बाल-अपराध का अर्थ, परिभाषा और समाधान
- वंचित बालकों की विशेषताएँ एवं प्रकार
- अपवंचित बालक का अर्थ एवं परिभाषा
- समावेशी शिक्षा का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएँ और महत्व
- एकीकृत व समावेशी शिक्षा में अन्तर
- समावेशी शिक्षा के कार्यक्षेत्र
- संचयी अभिलेख (cumulative record)- अर्थ, परिभाषा, आवश्यकता और महत्व,
- समावेशी शिक्षा (Inclusive Education in Hindi)
- समुदाय Community in hindi, समुदाय की परिभाषा,
- राष्ट्रीय दिव्यांग विकलांग नीति 2006
- एकीकृत व समावेशी शिक्षा में अन्तर