शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
शारीरिक, स्वास्थ्य को प्रमुख रूप से निम्नलिखित बातें प्रभावित करती हैं-
1. पौष्टिक एवं सन्तुलित भोजन- मनुष्य का स्वास्थ्य ठीक रहे इसके लिए पौष्टिक एवं सन्तुलित भोजन करना चाहिए जिसमें आवश्यक मात्रा में वे सभी पोषक तत्त्व हों जो स्वास्थ्य को उत्तम बना सके। सन्तुलित भोजन से तात्पर्य है वह सभी पदार्थ जिसमें पोषक तत्त्व उचित मात्रा में हों तथा साथ ही साथ उन पदार्थों में शुद्धता भी हो। प्रमुख पोषक तत्त्व हैं कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, खनिज लवण, विटामिन तथा जल ऊर्जा प्राप्ति के लिए वसा तथा कार्बोहाइड्रेट की आवश्यकता होती है। शरीर वृद्धि तथा निर्माण के लिए प्रोटीन एवं स्वास्थ्य को आरोग्य बनाये रखने के लिए विटामिन और खनिज लवण की आवश्यकता होती है।
2. व्यक्ति का रहन-सहन- स्वास्थ्य पर व्यक्ति के रहन-सहन का बहुत प्रभाव पड़ता है। प्रकृति से दूर रहने वाले व्यक्तियों का स्वास्थ्य खराब बना रहता है। जब कि प्रातः समय से उठना तथा रात्रि पर समय से सोना, नियमित शौच जाना, दांत साफ करना, स्नान करना, स्वच्छ वस्त्र पहनना, व्यायाम करना, समय से भोजन करना, बुरी आदतों तथा नशे से दूर रहना आदि क्रियाओं से व्यक्ति का स्वास्थ्य ठीक रहता है। इसके अतिरिक्त उत्तम स्वास्थ्य हेतु व्यक्ति को जल, भोजन व वातावरण की शुद्धि की ओर ध्यान देना चाहिए।
3. जनसंख्या का प्रभाव – खराब स्वास्थ्य का एक महत्त्वपूर्ण कारक जनसंख्या वृद्धि भी है। अधिक सन्तानें होने से माता-पिता प्रत्येक सन्तान के लिए सन्तुलित एवं पौष्टिक भोजन की व्यवस्था नहीं कर पाते हैं।
4. रोगों से दूर करना- व्यक्ति को रोगों से दूर रहने का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए उसे हर संभव उपाय करना चाहिए तथा प्राकृतिक नियमों का पालन करना चाहिए।
5. व्यायाम- आज विज्ञान के द्वारा यह सिद्ध हो गया है कि जो भी व्यक्ति नियमित व्यायाम करते हैं रोग उनसे दूर भागते हैं। व्यायाम करने से शरीर के सभी तंत्र अपना कार्य आसानी से करने लगते हैं। हमारी कार्यक्षमता तथा पाचन शक्ति में वृद्धि होती है। हमारी मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं। रक्त शुद्ध होता है तथा विभिन्न प्रकार के भयंकर रोग भी दूर हो जाते हैं। व्यायाम करना शुरू करते समय व्यायाम के नियमों को अवश्य जान लेना और उनका पालन करना चाहिए।
6. फैशन तथा सामाजिक परम्पराएँ- आज फैशन तथा सामाजिक कुप्रथाओं के कारण लोगों का स्वास्थ्य खराब हो रहा है। फास्ट फूड, देर से सोना, मांस-मदिरा का प्रयोग आज के फैशन का एक अंग बन गया है जो स्वास्थ्य पर खराब प्रभाव डालता है।
7. विश्राम तथा निद्रा- विश्राम तथा निद्रा का स्वास्थ्य से अटूट सम्बन्ध है। कार्य करते-करते व्यक्ति थक जाता है। उसकी मांसपेशियाँ थक जाती हैं। अतः उसे विश्राम एवं निन्द्रा की आवश्यकता पड़ती है। आयु, कार्य तथा शारीरिक श्रम के अनुसार निद्रा की भिन्न-भिन्न मात्रा की आवश्यकता होती है। शिशुओं को वयस्कों की अपेक्षा अधिक निद्रा की आवश्यकता होती है। नवजात शिशु को 18 से 21 घण्टे निद्रा लेने की आवश्यकता होती है। आयु बढ़ने के साथ नींद की आवश्यकता घटती जाती है। एक स्वस्थ एवं वयस्क व्यक्ति को सामान्यतया 7 घण्टे सोना चाहिये।
ठीक नींद लेने से शरीर की थकान मिट जाती है, शरीर में बने विषैले पदार्थ बाहर ‘निकल जाते हैं। उठते ही शरीर में स्फूर्ति अनुभव होती है।
निन्द्रा लेते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिये। यथा समय से सोना और उठना चाहिये, सोने का स्थान हवायुक्त व साफ सुथरा होना चाहिये। निद्रा से दो घण्टे पूर्व भोजन कर लेना चाहिए। मुँह ढाक कर नहीं सोना चाहिए तथा स्वस्थ व ढीले वस्त्र पहन कर सोना चाहिये आदि ।
आदतें— व्यक्ति की आदतें भी उसके स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं। उदाहरण के लिये कुछ लोग जब-तब मुँह से अपने हाथ के नाखून कुतरते रहते हैं, कुछ बच्चे पर्याप्त बड़ी तक अँगूठा पीना नहीं छोड़ते हैं। कुछ लोग रात में बहुत देर से सोने और सुबह बहुत देर से उठने की आदत डाल लेते हैं, आदि इसी प्रकार की आदतों का स्वास्थ्य पर बहुत हानिकारक प्रभाव पड़ता है।
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