विद्यालय पुस्तकालय का क्या महत्व है? पुस्तकालय के लिए आवश्यक साज-सज्जा का उल्लेख कीजिए।
विद्यालय पुस्तकालय का क्या महत्व है?
पुस्तकालय विहीन विद्यालय व्यक्ति विहीन समाज है। कहने का तात्पर्य यह है कि जिस प्रकार समाज की संरचना व्यक्तियों से ही सम्भव है, उसी प्रकार से विद्यालय का सुचारु संचालन उसके पुस्तकालय से ही सम्भव है। पाठशाला में विद्यालय की पाठ्यक्रम क्रियाओं को उचित पर्यावरण मिलता है। इस पर्यावरण का स्रोत पुस्तकालय माना जाता है। पुस्तकालय बौद्धिक और सामाजिक क्रियाओं की अभिवृद्धि का स्थान होता है। यही से बालक के अनुभावों का ज्ञान, मानवीय रूप से बदलता है। पुस्ताकालय नवीन ज्ञान का खोज केन्द्र है। वास्तव में पुस्तकालय एक बौद्धिक प्रयोगशाला है, जहाँ हम अपनी बुद्धि के विकास हेतु सत्प्रयास करते हैं। पुस्ताकलय हमारे मस्तिक को स्वच्छ और पोषक भोजन प्रदान करने वाला भोजनालय है।हमारी शैक्षिक दशा में वृद्धि का केन्द्र यही हैं। किसी भी व्यक्ति के लिए यह सम्भव नहीं है कि वह बहुत सारी पुस्तकों को खरीदकर ज्ञानार्जन कर सके, पुस्ताकलय द्वारा वह सभी पुस्ताकों का अध्ययन कर सकता है। जॉन डीवी ने पुस्ताकालय को विद्यालय का हृदय कहा है।
जॉन डीवी के अनुसार- “पुस्तकालय विद्यालय का हृदय होता है और यहाँ पर छात्र विभिन्न अनुभवों, समस्याओं तथा प्रश्नों के साथ आ करके आपस में विचार-विमर्श करते हुए नये ज्ञान के सन्दर्भ में उसका हल खोजते हैं, जिसमें वे दूसरों के अनुभवों तथा संगृहीत विद्वता जो कि पुस्तकालय में सुसज्जित, सुव्यवस्थित तथा प्रदर्शित रहती है, की सहायता लेते हैं।”
पुस्तकालय का महत्त्व
विद्यालय में एक अच्छे पुस्तकालय का होना आवश्यक है। पुस्तकालय के महत्त्व की चर्चा करते हुए मुदालियर आयोग लिखता है कि-“व्यक्तिगत कार्य, समूह प्रयोजन कार्य, शौक्षणिक एवं मनोरंजन कार्य तथा पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाओं के लिए अच्छे तथा दक्ष पुस्तकालयों का होना आवश्यक है। छात्रों की रुचियों का विकास, उनके शब्द भण्डार का वर्द्धन तथा कक्षा में अर्जित ज्ञान की वृद्धि करना, यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि छात्रों को पुस्तकालय में कितने साधन उपलब्ध हैं।”
इस प्रकार पुस्ताकालय के महत्त्व को निम्न रूपों द्वारा जाना जा सकता है-
(1) मौन-वाचन की आदत- पुस्तकालय का महत्त्व यह है कि इसके द्वारा बालकों में मौन वाचन की आदत पड़ती है, क्योंकि पुस्तकालय के वाचनालय में एक साथ बहुत से बच्चे बैठकर पढ़ते हैं, ऐसी स्थिति में वहाँ सस्वर वाचन सम्भव नहीं रहता है।
(2) स्वाध्याय की आदत का विकास- पुस्तकालय एक ऐसा स्थान होता है, जहाँ बालक स्वयं जा करके पुस्तकें आदि लेकर स्वयं अध्ययन करता है। परिणामतः बालकों में स्वाध्याय की आदतों का विकास होता है। इसमें बालकों को विभिन्न प्रकार की पुस्तकों के अध्ययन का अवसर मिलता है।
(3) पुस्तकालयों के द्वारा सामान्य ज्ञान की वृद्धि होती है- पुस्तकालय एक ऐसा स्थान होता है, जहाँ पर छात्र केवल अपने ही विषय की पुस्तकों का भी अध्ययन करता है। इसका परिणाम यह होता है कि इनके माध्यम से छात्रों के सामान्य ज्ञान में भी वृद्धि होती है। छात्र बिना किसी व्यय के ही यहाँ पर पुस्तकों का अध्ययन करते हुए अपने शब्द-भण्डार में वृद्धि करता है।
(4) छात्रों के लिए उपयोगी– पुस्तकालय न केवल शिक्षकों के खाली समय के उपयोग के लिए उपयोगी है, वरन् यह छात्रों के लिए तो और भी उपयोगी होता है। पुस्तकालय छात्रों को अपनी रुचि, योग्यता, कार्यक्षमता और कार्यकुशलता को भी आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है। यहाँ आकर बालक अपने ज्ञान को आगे बढ़ाता है। बालक यहीं अपने मानसिक शक्तियों का विकास करते हुए अपने दृष्टिकोण को आगे बढ़ाता है।
(5) सामूहिक शिक्षण के दोषों को दूर करने में सहायक- कक्षा शिक्षण की एक प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें विभिन्न वर्गों, बुद्धि, रुचि, योग्यता के छात्र एक साथ अध्ययन करते हैं, जिसके कारण सभी को एक प्रकार की शिक्षा लाभप्रद नहीं हो पाती है। इस दोष को दूर करने में पुस्तकालय की अहम् भूमिका होती है। वहाँ जाकर छात्र पाठ्य-पुस्तक को ले करके अध्ययन करता है।
(6) सामूहिक शिक्षण के दोषों को दूर करने में सहायक- पुस्तकालय को सामाजिक क्रियाओं का केन्द्र माना गया है, क्योंकि यह पाठ्य सहगामी क्रियाओं के संगठन में सहायता देता है। बालक विभिन्न प्रकार की क्रियाओं, जैसे-वाद-विवाद, अन्त्याक्षरी, कविता, ड्रामा आदि क्रियाओं में भाग लेने के लिए पुस्तकालय का ही सहारा लेते हैं।
(7) अध्यापकों के लिए उपयोग- पुस्तकालय से अध्यापक विशेष रूप से लाभान्वित होते हैं। शिक्षक का सबसे महत्त्वपूर्ण गुण और विशेषता यह है कि वह हमेशा छात्र रहता है, अर्थात् पुस्तकों से उसका सम्बन्ध लगातार बना रहता है। वह सदैव अपने ज्ञान की वृद्धि में लीन रहता है। इस प्रकार से पुस्तकालय शिक्षकों के लिए बौद्धिक और साहित्यिक (व्यवसाय) पुस्तकें प्रदान करने वाला स्थान ही नहीं है, बल्कि एक शैक्षिक प्रयोगशाला भी है।
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