आई०क्यू० से क्या तात्पर्य है? यह कैसे मापा जाता है? क्या आई०क्यू० स्थायी होता है? बुद्धि कहाँ तक पितृगत होती है? अपने उत्तर में प्रयोगात्मक प्रमाणों का उल्लेख कीजिए।
बुद्धि लब्धि या इंटेलिजेंस कोशेंट (Intelligence quotient / IQ)
बुद्धि लब्धि एवं बुद्धि का मापन- बालक की केवल वास्तविक और मानसिक आयु ज्ञात कर लेने से उसके मन्द बुद्धि, सामान्य अथवा तीव्र बुद्धि होने का संकेत मिलता है, किन्तु उसकी बुद्धि का मापन नहीं किया जा सकता है अत: बुद्धि का यथासंभव शुद्ध मापन करने के लिए सन् 1911 में स्टर्न ने बुद्धि लब्धि (IQ.) की संकल्पना का प्रतिपादन किया जिसके बाद टरमैन ने सन् 1916 में बुद्धि-लब्धि के निम्न सूत्र का प्रचलन किया।
उक्त सूत्र के अनुसार यदि किसी बालक का मानसिक आयु और वास्तविक आयु समान है तो उसकी बुद्धि-लब्धि का मान 100 होगा। ऐसे बालक को सामान्य बुद्धि का माना जायेगा यदि इसकी मानसिक आयु वास्तविक आयु से अधिक है तो उसकी बुद्धि-लब्धि का मान 100 से अधिक होगा। इसके विपरीत यदि मानसिक आयु वास्तविक आयु से कम है तो बुद्धि लब्धि का मान 100 से कम होगा। इस प्रकार 100 से कम बुद्धि लब्धि वाले बालक को मन्द बुद्धि कहा जायेगा।
बुद्धि-लब्धि की व्याख्या
बुद्धि-लब्धि प्रतिभा का सूचकांक है। प्रतिभा की यह मात्रा या मानसिक अभिवृद्धि टरमैन द्वारा बनायी गयी एवं डॉ. मैरिलक द्वारा स्वीकृत की गयी तालिका द्वारा प्रदर्शित की गयी है-
बुद्धि-लब्धि | प्रतिभा |
---|---|
140-169 | अति प्रतिभाशाली |
120-139 | प्रतिभाशाली |
110-119 | अति उत्कृष्ट |
90-109 | उत्कृष्ट |
80-89 | सामान्य |
70-79 | मंद |
60-69 | निर्बल बुद्धि |
50-59 | हीन बुद्धि |
25-49 | मूर्ख |
0-24 | जड़ |
बर्ट ने अपनी पुस्तक ‘मानसिक तथा शिक्षा-लब्धि परीक्षण‘ में बुद्धि के आधार पर वर्गीकरण तथा शिक्षा की आयु एवं शिक्षा-लब्धि को स्पष्ट किया। इसे विभिन्न बुद्धि परीक्षणों से मापा जाता है।
बुद्धि का विभाजन
Intelligence Dividations
‘टरमैन’ तथा ‘मैरिल’ने बुद्धि का विभाजन अपने एक सर्वेक्षण के आधार पर किया। आपने 3184 छात्रों पर प्रयोग करके बुद्धि विभाजन निम्नलिखित रूप से प्रस्तुत किया-
बुद्धि-लब्धि प्रसार | विवरण | प्रतिशत |
---|---|---|
140 से ऊपर | प्रतिभावान् (Genius) | 0.5 |
130-139 | बहुत अच्छे (Very superior) | 3.0 |
120-129 | अच्छे (Superior) | 7.0 |
110-119 | प्रखर (Bright) | 14.0 |
100-109 | उच्च सामान्य (High normal) | 25.0 |
90-99 | निम्न सामान्य (Low normal) | 25.0 |
80-89 | मन्द बुद्धि (Dull) | 14.5 |
70-79 | हीन (Inferior) | 7.0 |
60-60 से नीचे | जड़ (Feeble minded) | 0.5 |
भारतीय परिस्थितियों एवं पर्यावरण के अन्तर्गत विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि परीक्षणों पर कार्य किये। डॉ. कामथ ने बुद्धि का विवरण निम्नलिखित प्रकार से प्रस्तुत किया है-
वर्ग (Class) | बुद्धि-लब्धि (1.Q.) | प्रतिशत |
---|---|---|
प्रतिभाशाली | 140 से ऊपर | 0.5 |
असामान्य | 130 से 139.5 | 3.5 |
अत्यन्त उच्च | 120 से 129.5 | 9.0 |
उच्च | 110 से 119.5 | 15.0 |
सामान्य | 90 से 109.5 | 42.0 |
पिछड़े | 80 से 99.5 | 15.0 |
अत्यन्त पिछड़े | 70 से 79.5 | 9.0 |
सीमा पर | 60 से 69.5 | 3.5 |
मूर्ख | 50 से 59.5 | 1.5 |
मन्द बुद्धि | 40 से 39.5 | 0.5 |
जड़ बुद्धि | 30 से नीचे | 0 |
बुद्धि का मापन
बुद्धि का क्षेत्र इतना विस्तृत, व्यापक और जटिल है कि सहज ही उसके मापन का कोई निश्चित पैमाना बनाना यदि असंभव नहीं तो दुष्कर अवश्य है। किसी भी व्यक्ति के व्यवहार को देखकर यह कह पाना बहुत मुश्किल है कि वह व्यक्ति बुद्धिमान है अथवा मूर्ख। हमारे सामने सुकरात, रूसो, टैगोर, कालिदास, मार्क्स आदि ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जिनके कृतित्त्व का प्रारम्भ से तिरस्कार किया गया था। आगे चलकर और कभी-कभी तो मृत्यु के बाद लोगों ने ऐसे महान बुद्धिमान महापुरुषों का लोहा माना था। आम तौर पर बुद्धि परीक्षण के द्वारा प्राप्त बुद्धि लब्धि (I.Q.) के आधार पर ही हम किसी व्यक्ति की बुद्धि का मापन करते हैं, किन्तु यह विधि भी पूर्णतया विश्वसनीय नहीं कही जा सकती। सामान्य तौर पर 100 बुद्धि-लब्धि (I.Q.) वाले व्यक्ति को औसत बुद्धि का तथा 100 से कम वाले को क्षीण बुद्धि का और 100 से अधिक वाले को तीव्र बुद्धि का माना जाता है। किन्तु यह मापन वास्तविकता की कसौटी पर खरा नहीं उतरता है। आज यदि हम किसी की बुद्धि का मापन करके उसे मूर्ख की कोटि में खड़ा कर देते हैं, तो कल वही समाज के लिए कोई ऐसा कार्य कर सकता है, जो महान बुद्धि का परिचायक बन जाये। इसी प्रकार यदि किसी की बुद्धि-लब्धि 80 है और किसी की 160 तो यह कहना बहुत कठिन है कि बाद वाले की बुद्धि पहले वाले की अपेक्षा दोगुनी है। बुद्धि के मापन को लेकर यह जटिलता प्रारम्भ से ही एक प्रश्न खड़ा करती आ रही है कि क्या बुद्धि का मापन किया जा सकता है? इस प्रश्न का उत्तर देने में मनोविज्ञान ने हार नहीं मानी है। विज्ञान का यह नियम है कि किसी रहस्य को जानने के लिए वह प्रयोग करता है और प्रयोगों द्वारा प्राप्त निष्कर्ष को तब तक अंतिम मानता है जब तक कोई अन्य निष्कर्ष सामने न आ जाये। मनोविज्ञान ने भी इसी नियम का सहारा लिया और स्पष्ट रूप से यह कहा कि बुद्धि का मापन किया जा सकता है।
आई०क्यू० स्थायी नहीं होता वरन् यह परिवर्तनशील होता है। उम्र के साथ-साथ आई०क्यू० में परिवर्तन आता रहता है। बाल्यावस्था एवं किशोरावस्था में आई०क्यू० की शक्ति तीव्र होती है जबकि प्रौढ़ावस्था में कुछ कम और वृद्धावस्था में आई०क्यू० बिल्कुल कम हो जाती है। फिर भी भिन्न-भिन्न व्यक्तियों में आई०क्यू० की स्थिति भी भिन्न होती है।
आई०क्यू० को मनोवैज्ञानिकों ने वंशानुगत अर्थात् पितृगत माना है। इस बात को अनेक मनोवैज्ञानिकों ने अपने प्रयोग में सिद्ध भी किया है। परन्तु यह प्रत्येक मामले में पूर्णतः सत्य हो सम्भव नहीं है।
बिने के बुद्धि-लब्धि परीक्षा प्रश्न
(Intelligence Test Questions of Binet)
3 वर्ष की आयु के लिये प्रश्न
- तुम्हारी नाक, आँख और मुँह कहाँ है?
- अंकों से बनी संख्या को दोहराना।
- 6 शब्दों से बने वाक्य को दोहराना।
- अपना अन्तिम नाम बताइये।
4 वर्ष की आयु के लिये प्रश्न
- तुम लड़की हो या लड़का।
- तीन अंकों की संख्याओं को दोहरायें।
- कुन्जी, चाकू और सिक्का दिखाकर, ये क्या है?
5 वर्ष की आयु के लिये प्रश्न
- विभिन्न भार के बक्सों की तुलना करना।
- वर्ग को दिखाकर उसे खिंचवाना।
- धैर्य से खेल-खेलने को कहना।
- चार सिक्कों को गिनवाना।
- 11 शब्द-खण्डों वाले वाक्य को दोहराना।
8 वर्ष की आयु के लिये प्रश्न
- 20 से 0 तक पीछे की ओर गिनने को कहना।
- दिन और तारीखों के नाम पूछना।
- 5 अंकों की बनी संख्या को दोहराना।
- 9 सिक्कों को गिनवाना।
- 4 रंगों के नाम बताना।
- किसी गद्य-खण्ड को पढ़वाना और दो बातों को याद रखने को कहना।
11 वर्ष की आयु के लिये प्रश्न
- निरर्थक कथनों की आलोचना करवाना।
- किसी वाक्य में तीन शब्द प्रयुक्त करवाना।
- 3 मिनट में 60 शब्द कहलवाना।
- अमूर्त वस्तुओं की परिभाषा करवाना।
- किसी वाक्य के अव्यवस्थित शब्दों को व्यवस्थित करवाना।
15 वर्ष की आयु के लिये प्रश्न
- 7 अंकों को दोहराना ।
- एक मिनट में दिये हुए शब्द से 3 प्रकार की लय निकलवाना !
- 26 शब्दों से बने वाक्य को दोहराना।
अन्य आयु-स्तर के बालों के लिये (6,7,9,10,12,13,14) भी प्रश्न निर्धारित किये। सन् 1916 में 3 वर्ष तथा 6 वर्ष के लिये टरमैन ने ‘सेण्डफोर्ड-बिने बद्धि परीक्षा प्रश्न‘ तैयार किये।
सेण्डफोर्ड-बिने बद्धि परीक्षा प्रश्न
3 वर्ष की आयु के लिये प्रश्न
- कुछ वस्तुओं को पहचाने और नाम बतायें; जैसे-(घड़ी, कलम, पेन्सिल तथा चाकू)।
- तुम्हारी नाक कहाँ है? तुम्हारे कान कहाँ हैं?
- तुम चित्र में क्या देखते हो?
- तुम लड़की हो या लड़का? आदि।
6 वर्ष की आयु के लिये प्रश्न
- अपना बायाँ हाथ हिलाओ। अपनी दाहिनी आँख दिखाओ।
- इस चित्र को देखो इसमें क्या अधूरा है?
- 13 सिक्कों को मेज पर रखकर बालकों को जोर-जोर से गिनने को कहें।
- चार-पाँच प्रकार के सिक्के पूछे, ये क्या हैं?
सन् 1937 में ‘सेण्टफार्ड रिवीजन‘ में टरमैन और मैरिल ने कुछ संशोधन कर अंकगणित के प्रश्न रख दिये।
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