बुद्धि का अर्थ, परिभाषा, बुद्धि के प्रकार और बुद्धि के सिद्धांत तथा उनके प्रतिपादक
बुद्धि का अर्थ (Meaning of Intelligence)– वास्तव में व्यक्ति में विभिन्नता के बजाय समानता अधिक है क्योंकि किसी व्यक्ति में छः कार्यों में से किसी एक कार्य को करने की योग्यता है, तो उसमें अन्य कार्यों को करने की योग्यता होती है। अतः मनोवैज्ञानिकों का मत है-“बुद्धि व्यक्ति की जन्मजात शक्ति है और उसकी सब मानसिक योग्यताओं का योग एवं अभिन्न अंग है।” आधुनिक शिक्षा-जगत में “बुद्धि” का यही अर्थ सर्वमान्य है। इसकी पुष्टि में दो परिभाषाएँ प्रस्तुत की जा रही हैं, यथा-
1. कोलेसनिक- “बुद्धि कोई एक शक्ति या क्षमता या योग्यता नहीं है, जो सब परिस्थितियों में समान रूप से कार्य करती है, वरन् अनेक विभिन्न योग्यताओं का योग है।”
2. रैक्स व नाइट- “बुद्धि वह तत्व है, जो सब मानसिक योग्यताओं में सामान्य रूप से सम्मिलित रहता है। यह परिभाषा इस शताब्दी की एक सबसे महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक खोज का प्रतिष्ठापन करती है।”
बुद्धि के विषय में अब एक नया मत यह विकसित हो रहा है कि बुद्धि नामक कोई भी तथ्य नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति की अपनी क्षमता होती है। किसी कार्य को करने की, क्षमता की भिन्नता ही विभेद करती है। एक व्यक्ति, एक क्षेत्र में अपनी योग्यता तथा क्षमता का लाभ उठाता है तो दूसरा व्यक्ति दूसरे क्षेत्र में लाभ उठाता है। स्टोडर्ड ने इसीलिये बुद्धि के अस्तित्व को स्वीकार करते हुए कहा है- बुद्धि वह योग्यता है जिसमें कठिनाई, जटिलता, अमूर्तता, मितव्ययिता, उद्देश्य के प्रति अनुकूलता, सामाजिक मूल्य, मौलिकता की आवश्यकताओं की विशेषताएँ हों तथा भावात्मक व्यक्तियों के प्रति सहनशील हों।
बुद्धि क्या है? इस सम्बन्ध में मनोवैज्ञानिकों में सदैव मतभेद रहा है। इस मतभेद का अन्त करने के लिए प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक अनेक अवसरों पर एकत्र हो चुके हैं। 1910 में अंग्रेज मनोवैज्ञानिक की सभा और 1921 में अमरीकी मनोवैज्ञानिकों की सभा हुई। 1923 में विश्व के मनोवैज्ञानिकों की ‘अन्तर्राष्ट्रीय परिषद्’ (International Congress) हुई। पर जैक्सा कि रॉस (Ross) ने लिखा है- “वे यह निश्चित नहीं कर सके कि बुद्धि में स्मृति या कल्पना, या भाषा, या अवधान, या गामक (Motor) योग्यता, या संवेदना सम्मिलित है या नहीं।”
बुद्धि की परिभाषा-
1. प्रो० बिने, “अच्छी तरह निर्णय करने, अच्छी तरह बोध करने और अच्छी तरह तर्क करने की योग्यता बुद्धि है।”
प्रो० बर्ट ने भी इस परिभाषा का समर्थन किया है।
2. प्रो० स्टर्न, “बुद्धि एक सामान्य क्षमता है जो व्यक्ति को चैतन्य रूप से अपनी विचार प्रक्रिया को नवीन आवश्यकताओं से समायोजित करने में सहायता करती है।”
3. प्रो० स्पीयरमैन, “बुद्धि मनुष्य की सामान्य एवं विशेष कारकों से युक्त योग्यता है।”
4. प्रो० वेक्सलर, “उद्देश्यपूर्ण कार्य करने, तर्कयुक्त चिन्तन करने और अपने वातावरण के साथ प्रभावपूर्ण ढंग से व्यवहार करने की सम्पूर्ण या सार्वभौम क्षमता बुद्धि है।”
5. प्रो० स्टाडॉर्ड- बुद्धि वह योग्यता है जिससे (1) कठिनाई, (2) जटिलता, (3) अमूर्त्तता, (4) मितव्ययता, (5) उद्देश्य के प्रति अनुकूलता, (6) सामाजिक मूल्य, (7) मौलिकताओं के उद्गमन की विशेषताओं साथ क्रिया करना होता है तथा उन दशाओं के अन्तर्गत ऐसी क्रियाओं को करना जारी रखना होता है जो शक्ति के केन्द्रीकरण तथा शक्तियों के प्रतिरोध की माँग करती है।
6. डीयरबान- “बुद्धि सीखने या अनुभव से लाभ उठाने की क्षमता है।”
7. हेनमॉन- “बुद्धि में दो तत्व होते हैं- ज्ञान की क्षमता और निहित ज्ञान।”
8. बिने- “बुद्धि इन चार शब्दों में निहित है- ज्ञान, आविष्कार, निर्देश और आलोचना।”
9. थार्नडाइक- “सत्य या तथ्य के दृष्टिकोण से उत्तम प्रतिक्रियाओं की शक्ति ही बुद्धि है।”
10. पिन्टर- “जीवन की अपेक्षाकृत नवीन परिस्थितियों से अपना सामंजस्य करने की व्यक्ति की योग्यता ही बुद्धि है।”
11. कॉलविन- “यदि व्यक्ति ने अपने वातावरण से सामंजस्य करना सीख लिया है या सीख सकता है, तो उसमें बुद्धि है।”
12. रायबर्न- “बुद्धि वह शक्ति है, जो हमको समस्याओं का समाधान करने और उद्देश्यों को प्राप्त करने की क्षमता देती है।”
बुद्धि से सम्बन्धित ये सभी उद्धरण महत्वकपूर्ण हैं, क्योंकि वे विभिन्न दृष्टिकोणों से बुद्धि के स्वरूप पर प्रकाश डालते हैं और उसकी किसी-न-किसी रूप में व्याख्या करते हैं। इनके अतिरिक्त, बुद्धि के सम्बन्ध में और भी अनेक अन्य लेखकों की परिभाषाएँ उद्धृत की जा सकती हैं। मोटे तौर पर इन परिभाषाओं के अनुसार, बुद्धि निम्न प्रकार की योग्यता है-
1. सीखने की योग्यता (Ability to learn)
2. अमूर्त चिन्तन की योग्यता (Ability to think abstractly)
3. समस्या का समाधान करने की योग्यता (Ability to solve problems)
4. अनुभव से लाभ उठाने की योग्यता (Ability to profit by experience)
5. सम्बन्धों को समझने की योग्यता (Ability to perceive relationships)
6. अपने वातावरण से सामंजस्य करने की योग्यता (Ability to adjust to one’s)
बुद्धि के प्रकार-
बुद्धि के प्रकार पर कई ढंग से विचार किया जा सकता है। प्रो० टरमन ने बुद्धि-लब्धि का संकेत किया है और उसके अनुसार (1) प्रतिभाशाली, (2) उत्कृष्ट, (3) सामान्य, (4) मन्द, (5) न्यून, (6) मूढ़, (7) जड़ बुद्धि आदि बतायी गयी हैं। इस प्रकार बुद्धि की मात्रा के आधार पर यह वर्गीकरण होता है। इसके अलावा निम्न प्रकार की बुद्धि बतायी गयी है-
1. अमूर्त्त बुद्धि या सूक्ष्म बुद्धि- सूक्ष्म प्रश्नों और जटिल समस्याओं को हल करने में अमूर्त बुद्धि पायी जाती है। वैज्ञानिक, गणितज्ञ, कवि, दार्शनिक की बुद्धि सूक्ष्म कहलाती है। अंक, शब्द, प्रतीक, संकेत आदि की सहायता से यह प्रकट होती है। अधिगम विचाराभिव्यक्ति, समस्या, हल, कला में हम अमूर्त बुद्धि से काम लेते हैं। विद्यालयीय शिक्षण मे अध्यापक इसी की सहायता से ज्ञान देने में समर्थ होता है।
2. मूर्त्त बुद्धि- कौशल, यन्त्र, निर्माण के कार्यों में मूर्त बुद्धि पायी जाती है। बढ़ई, लुहार, मिस्त्री, राजगीर आदि इसी बुद्धि से काम करते हैं। मूर्त वस्तुओं की सहायता से काम करना इसी के कारण सम्भव होता है। इसमें कर्मेन्द्रियों की सहायता ली जाती है यद्यपि चिन्तन की क्रिया भी पायी जाती है। निष्पादन एवं हस्तकौशल इसी बुद्धि के आधार पर होता है।
3. सामाजिक बुद्धि- यह व्यक्ति की उस योग्यता को संकेत करती है जिससे मनुष्य अन्य मनुष्यों के साथ समायोजन करने, सम्बन्ध बनाये रखने, आपसी व्यवहार करने और सुख- दुःख में भाग लेने में समर्थ होता है। दैनिक एवं सामूहिक जीवन में सफलता पाने के लिए यह बुद्धि आवश्यक होती है। सामाजिक बुद्धि अमूर्त बुद्धि और मूर्त्त बुद्धि में पूर्ण सहयोग रखती है। कक्षा में विद्यार्थी परस्पर मेल-जोल रखता है, दूसरों से सीखता है, अध्यापक वर्ग से सम्पर्क
स्थापित करता है क्योंकि उसमें सामाजिक बुद्धि पायी जाती है। नेता, सामाजिक कार्यकर्ता, दुकानदार, दफ्तर के क्लर्क, सड़क पर चलने वाले सभी में यह बुद्धि कम-अधिक मात्रा में पायी जाती है।
4. व्यावहारिक बुद्धि- चरित्र और आचरण से व्यावहारिक बुद्धि पायी जाती है। किसके साथ कैसा व्यवहार मनुष्य को करना चाहिए यह व्यावहारिक बुद्धि बताती है। पिता का पुत्र के साथ, अध्यापक का छात्र के साथ, प्रशासक का नियोक्ता के साथ और इसके व्यक्तिक्रम रूप में भी व्यावहारिक बुद्धि होती है। दैनिक लेन-देन के लिए यह अत्यन्त आवश्यक है। घर और घर के बाहर इसी का प्रयोग किया जाता है।
5. यान्त्रिक बुद्धि- यन्त्र के साथ और यन्त्र की तरह काम करने में यान्त्रिक बुद्धि पायी जाती है। मोटर चालक, इंजन चालक, अन्य सवारियों के चालक इसी बुद्धि से काम करते पाये जाते हैं और उनमें यन्त्र की तरह काम करने की आदत भी पायी जाती है। अतएव यहाँ हम यान्त्रिक बुद्धि ही पाते हैं। रटन्त क्रिया भी यान्त्रिक बुद्धि से सम्बन्धित होती है। क्रमबद्ध रूप में कार्य करने में भी यान्त्रिक बुद्धि होती है जैसे दफ्तर में 10 बजे से 4 बजे तक काम करना,
विद्यालय में 10 बजे से 4 बजे तक पढ़ाई में लगे रहना भी यान्त्रिक बुद्धि को बताता है। दैनिक समय सारिणी का अनुगमन यान्त्रिक बुद्धि को बताता है।
बुद्धि-लब्धि | बुद्धि के प्रकार |
140 से अधिक | प्रतिभाशाली (Genius) |
120 से 140 | अतिश्रेष्ठ (Very Superior) |
110-120 | श्रेष्ठ बुद्धि (Superior) |
90-110 | सामान्य बुद्धि में भिन्नता। |
80-90 | मन्द बुद्धि (Dullness) |
70-80 | क्षीण बुद्धि (Feek-minded) ) |
70 से कम | निश्चित क्षीण बुद्धि (Fixed Feede-minded) |
50-70 | अल्प बुद्धि (Murons) |
25-50 | मूर्ख (Imbecile) |
25 से कम | महामूर्ख (Idiot) |
बुद्धि के सिद्धांत तथा उनके प्रतिपादक
बुद्धि के सिद्धांत | प्रतिपादक |
एक कारक सिद्धांत | बिने,टरमेन तथा स्टर्न |
द्विकारक सिद्धांत | स्पीयरमैन |
त्रिकारक सिद्धांत | स्पीयरमैन |
बहुकारक सिद्धांत | थार्नडाइक |
समूहकारक सिद्धांत | थर्स्टन |
बुद्धि संरचना सिद्धांत | जे0पी0 गिलफोर्ड |
तरल ठोस बुद्धि सिद्धांत | आर0 वी0 कैटल |
बहुबुद्धि संरचनासिद्धांत | होर्बर्ड गार्डनर |
पदानुक्रमित सिद्धांत | फिलिप वर्नन |
- बुद्धि के प्रमुख सिद्धान्त|Theories of Intelligence in Hindi
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