B.Ed. / BTC/ D.EL.ED / M.Ed.

परामर्श सेवा दूरवर्ती शिक्षा की एक सहायक प्रणाली है उल्लेख कीजिए?

परामर्श सेवा दूरवर्ती शिक्षा की एक सहायक प्रणाली है उल्लेख कीजिए?
परामर्श सेवा दूरवर्ती शिक्षा की एक सहायक प्रणाली है उल्लेख कीजिए?

दूरवर्ती शिक्षा में छात्र सहायक सेवाएं। दूरवर्ती शिक्षा में छात्रों के लिये सामान्य सेवायें। दूरवर्ती शिक्षा में विशिष्ट सेवायें

परामर्श सेवाओं का वर्णन कीजिए|

परामर्श सेवा– शिक्षा प्रणाली के विकास की सहायक क्रिया परामर्श सेवायें होती है। मासलों के अनुसार परामर्श का अर्थ है- “स्वयं तथा पर्यावरण के मध्य क्रमबद्ध खोज है जिसे परामर्शदाता स्वयं समझकर उसके व्यवहार परिवर्तन के लिए परामर्श देता है। यह निर्णय या परामर्श ज्ञानात्मक तथा भावात्मक पक्षों की समझ के आधार पर होता है।”

सामान्य रूप से परामर्श मनोविज्ञान की एक शखा है। एक डॉक्टर भी बीमार का मनोवैज्ञानिक उपचार करता है। सामान्य बीमारियों का उपचार मनोवैज्ञानिक ढंग से करता है और मरीज ठीक हो जाते हैं। उपचार के सिद्धान्त की प्रकृति मनोवैज्ञानिक तथा भौतिक दोनों ही होती है।

मनोवैज्ञानिक उपचार शब्द का प्रयोग ‘फ्रायड’ ने सर्वप्रथम किया था, जो उसके मनोविश्लेषण सिद्धान्त पर आधारित है। फ्रायड के अनुसार, बीमारियां अचेतन मस्तिष्क के दबाव का ही परिणाम होता है। आवश्कताओं की सन्तुष्टि न होने पर अचेतन में दब जाती हैं। प्रमुख परामर्श सेवायें निम्नलिखित हैं-

टेलीफोन से परामर्श-

आज के समय में टेलीफान द्वारा परामर्श बहुत ही उपयोगी और लोकप्रिय हो रहा है। मोबाइल फोन सभी के पास, सभी समय उपलब्ध होता है, अतः इसके द्वारा छात्र और परामर्शदाता के मध्य सम्पर्क बहुत आसानी से हो जाता है और प्रभावी होता है। विभिन्न जानकारियों, शंकाओं के निवारण के लिये छात्र को लगातार किसी से विचार विमर्श, परामर्श की आवश्यकता होती है।

यह आवश्यक नहीं कि छात्र ही परामर्श हेतु सम्पर्क करे। यदि छात्र प्रत्यक्ष परामर्श सत्रों में लगातार अनुपस्थिति है तो परामर्शदाता को भी ऐसे छात्रों से सम्पर्क फोन पर कर यह जानने का प्रयास करना चाहिये कि वे क्यों परामर्श सत्रों में अनुपस्थिति हैं। यदि अध्यन केन्द्र समूह में परामर्श देने हेतु (Audio Conferencing) की व्यवस्था कर सकें तो और भी अच्छा है। विदेशों में उच्च तकनीक के विकास के कारण फोन पर परामर्श सत्र सफल हो रहे हैं।

रेडियो, टी0वी0 के प्रसारण द्वारा परामर्श (Counselling through Radio and TV)-

यद्यपि यह विधा प्रचलित नही है तथापि रेडियो, टी0वी0 के माध्यम से समूह को परामर्श देना, उनकी समस्याओं का निराकरण करना सम्भव है। यद्यपि इसमें परामर्शदाता और छात्र के मध्य अन्तःक्रिया कराना इसके द्वारा सम्भव नहीं है परन्तु ये जनसंचार के साधन के रूप में बहुत पसन्द किये जाते हैं। अतः यदि इनका उपयोग परामर्श हेतु किया जाये तो सम्भवतः यह अत्यन्त प्रभावी संसाधन सिद्ध होगा। अत्यन्त उच्च तकनीकी संस्थानों द्वारा (teleconferencing) प्रारम्भ की गई है वह भी इसी का एक रूप है।

ई मेल द्वारा परामर्श (Counselling through email)-

ई मेल द्वारा परामर्श देने की परम्परा को अभी तक औपचारिक रूप से प्रारम्भ नहीं किया गया है। वर्तमान समय में अधिकांश छात्र और अध्यापक इण्टरनेट का प्रयोग प्रतिदिन करते हैं। अतः परामर्श देने के लिये इसमें भी अपार सम्भावनायें विद्यमान हैं।

चैट परामर्श (Counselling through email and Internet chat)-

इण्टरनेट के माध्यम से छात्र और अध्यापक के मध्य सम्पर्क कार्यक्रम चलाना सस्ता सरल और प्रभावी होगा। यद्यपि इसके लिये कम्प्यूटर, इण्टरनेट की आवश्यकता होगी और सुदूर ग्रामीण अंचलों में शायद बहुत उपयोगी सिद्ध न हो तथापि इसका प्रयोग दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। शहर और गाँव के विद्यार्थी इसका प्रयोग सीख रहे हैं। अतः निकट भविष्य में यह परामर्श के सशक्त माध्यम के रूप में उभरेगा। Video Conferencing जैसी विधाओं का प्रारम्भ उच्च तकनीकी संस्थाओं में प्रारम्भ हो चुका है।

यद्यपि प्रत्यक्ष परामर्श सत्र को ही अधिकृत रूप से परामर्श सत्र के रूप में प्रयुक्त किया जाता है परन्तु छात्र मोबाइल फोन की सहायता से शैक्षणिक, गैरशैक्षणिक कार्यों में विश्वविद्यालय या मुक्त संस्थान के अधिकारियों, कर्मचारियों, शिक्षकों, परामर्शदाताओं की सहायता लेते रहते हैं। अब आपको स्पष्ट हो गया होगा कि परामर्श देने के विविध प्रकार हैं और जन संचार साधनों के बढ़ते प्रयोग न परामर्श देने के नये नये तरीके विकसित किये हैं।

  1. निर्देशन का अर्थ, परिभाषा, तथा प्रकृति
  2. विद्यालय में निर्देशन सेवाओं के लिए सूचनाओं के प्रकार बताइए|
  3. वर्तमान भारत में निर्देशन सेवाओं की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  4. निर्देशन का क्षेत्र और आवश्यकता
  5. शैक्षिक दृष्टिकोण से निर्देशन का महत्व
  6. व्यक्तिगत निर्देशन (Personal Guidance) क्या हैं? 
  7. व्यावसायिक निर्देशन से आप क्या समझते हैं? व्यावसायिक निर्देशन की परिभाषा दीजिए।
  8. वृत्तिक सम्मेलन का अर्थ स्पष्ट करते हुए उसकी क्रिया विधि का वर्णन कीजिए।
  9. व्यावसायिक निर्देशन की आवश्कता | Needs of Vocational Guidance in Education
  10. शैक्षिक निर्देशन के स्तर | Different Levels of Educational Guidance in Hindi
  11. शैक्षिक निर्देशन के उद्देश्य एवं आवश्यकता | 
  12. शैक्षिक निर्देशन का अर्थ एवं परिभाषा | क्षेत्र के आधार पर निर्देशन के प्रकार
  13. शिक्षण की विधियाँ – Methods of Teaching in Hindi
  14. शिक्षण प्रतिमान क्या है ? What is The Teaching Model in Hindi ?
  15. निरीक्षित अध्ययन विधि | Supervised Study Method in Hindi
  16. स्रोत विधि क्या है ? स्रोत विधि के गुण तथा दोष अथवा सीमाएँ
  17. समाजीकृत अभिव्यक्ति विधि /समाजमिति विधि | Socialized Recitation Method in Hindi
  18. योजना विधि अथवा प्रोजेक्ट विधि | Project Method in Hindi
  19. व्याख्यान विधि अथवा भाषण विधि | Lecture Method of Teaching

इसे भी पढ़े ….

  1. सर्व शिक्षा अभियान के लक्ष्य, उद्देश्य एवं महत्व 
  2. प्राथमिक शिक्षा की समस्यायें | Problems of Primary Education in Hindi
  3. प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण की समस्या के स्वरूप व कारण
  4. प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण की समस्या के समाधान
  5. अपव्यय एवं अवरोधन अर्थ क्या है ? 
  6. शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2010 क्या है?
  7. प्राथमिक शिक्षा का अर्थ, उद्देश्य , महत्व एवं आवश्यकता
  8. आर्थिक विकास का अर्थ, परिभाषाएँ, प्रकृति और विशेषताएँ
  9. शिक्षा के व्यवसायीकरण से आप क्या समझते हैं। शिक्षा के व्यवसायीकरण की आवश्यकता एवं महत्व
  10. बुनियादी शिक्षा के पाठ्यक्रम, विशेषतायें तथा शिक्षक प्रशिक्षण व शिक्षण विधि
  11. कलकत्ता विश्वविद्यालय आयोग के गुण एवं दोष 
  12. सार्जेन्ट योजना 1944 (Sargent Commission in Hindi)
  13. भारतीय शिक्षा आयोग द्वारा प्राथमिक शिक्षा के सम्बन्ध में दिये गये सुझावों का वर्णन कीजिये।
  14. भारतीय शिक्षा आयोग द्वारा माध्यमिक शिक्षा के सम्बन्ध में दिये गये सुझावों का वर्णन कीजिये।
  15. मुस्लिम काल में स्त्री शिक्षा की स्थिति
  16. मुस्लिम शिक्षा के प्रमुख गुण और दोष
  17. मुस्लिम काल की शिक्षा के प्रमुख उद्देश्य
  18. मुस्लिम काल की शिक्षा की प्रमुख विशेषतायें
  19. प्राचीन शिक्षा प्रणाली के गुण और दोष
  20. बौद्ध शिक्षा प्रणाली के गुण और दोष
  21. वैदिक व बौद्ध शिक्षा में समानताएँ एवं असमानताएँ
  22. बौद्ध कालीन शिक्षा की विशेषताएँ 

Disclaimer

Disclaimer: Sarkariguider.in does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com

About the author

Sarkari Guider Team

Leave a Comment