विद्यालय निर्देशन के लिए अनुवर्ती सेवा से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
अनुवर्ती सेवा से आपका क्या अभिप्राय है? | Follow-up Services in Hindi
अनुवर्ती सेवा (Follow-up Services)– अनुवर्ती सेवाएँ विद्यालय के निर्देशन क्षेत्र को स्पष्ट करते हैं। का कार्यक्रम के लिए अपरिहार्य हैं। परन्तु इसे मूल्यांकन सेवा नहीं माना जा सकता है।
छात्रों की भविष्य सम्बन्धी योजनाओं के निर्माण एवं विद्यालय में संतोषजनक ढंग से समायोजित होने में सहायता प्रदान करना निर्देशन का ही कार्य है। इन लक्ष्यों की उपलब्धि कराने में विद्यालय के अनेक व्यक्ति जैसे अध्यापक, आचार्य या परामर्शदाता निरन्तर प्रयत्नशील रहते हैं। किन्तु छात्रों की अपने लक्ष्यों की ओर प्रगति की जाँच करने की समस्या सदैव बनी रहती है। इस दृष्टि से हम देख सकते हैं कि निर्देशन का एक व्यापक क्षेत्र है। परामर्शदाता को केवल परामर्श या निर्देशन सहायता प्रदान करके ही सन्तोष नहीं कर लेना चाहिये बल्कि उसे निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर ढूँढ़ने का भी प्रयास करना चाहिये। क्या छात्र उसको अपने लक्ष्यों के परिवर्तन के लिये पुनः सहायता की आवश्यकता है? क्या परामर्श प्रभावशाली रहा? क्या विद्यालय छात्रों को उत्तम शिक्षा अनुभव प्रदान करने में सफल रहा? ये कुछ प्रश्न हैं जो अनुगामी सेवा के महत्त्व एवं क्षेत्र को स्पष्ट करते है।
अनुवर्ती सेवा का गठन छात्रों को विद्यालय, व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम या जीविका में उत्तम समायोजन में सहायता प्रदान करने के लिये आवश्यक सूचनाएँ देने की दृष्टि से किया जाता है। अनुवर्ती प्रक्रिया ही विद्यालय कार्यक्रम को सुधारने के लिये सूचनाएँ प्रदान करती हैं। इस सेवा के माध्यम से ही विद्यालय अपने पुराने छात्रों के साथ सम्पर्क स्थापित करने में सफल होता है। उनके द्वारा अनुभव की जाने वाली समस्याओं के बारे में सूचनाएँ एकत्रित कर पाता है। इसके साथ ही परामर्शदाता अपने द्वारा दी गयी परामर्श सहायता का मूल्यांकन करने में सफल होता है। इस प्रकार अनुवर्ती सेवा द्वारा एकत्रित की गयी सूचनाओं के आधार पर विद्यालय अपने कार्यक्रम में आवश्यकतानुसार परिवर्तन कर सकता है।
नियुक्ति सेवा के मूल्यांकन में अनुवर्ती सेवा महत्त्वपूर्ण योगदान प्रदान करती है। शैक्षिक, व्यावसायिक या कृत्य नियुक्ति में छात्रों को सहायता प्रदान करना विद्यालय का एक उत्तरदायित्व है। छात्र अपने अनुभवों के आधार पर अवसरों का जो बुद्धिमत्तापूर्ण चयन करते हैं, वह कहाँ तक प्रभावशाली है इसका पता लगाना भी आवश्यक होता है। यदि छात्र ने अपने निर्णय में त्रुटि की है तो शीघ्र ही उस त्रुटि का पता लगाने तथा छात्र के लिये उत्पन्न भयानक स्थिति को शुद्ध करने के लिये कदम उठाना परामर्शदाता का उत्तरदायित्व है। अनुवर्ती सेवा अबुद्धिमत्तापूर्ण चुनाव का पता लगाने में सहायक होता है और इस प्रकार छात्रों के द्वारा किये गये गलत चुनाव को सुधारने के कदम उठाये जा सकते हैं और इस सेवा के द्वारा अर्जित अनुभव एवं सूझ के आधार पर परामर्शदाता ऐसी त्रुटियाँ न करने में छात्रों की सहायता कर सकता है।
अनुवर्ती सेवा को निर्देशन कार्यक्रम में जो महत्त्वपूर्ण स्थान मिलना चाहिये वह नहीं मिल पा रहा है। यहाँ तक कि संयुक्त राज्य अमरीका में भी अनुवर्ती सेवा का गठन बहुत क विद्यालयों में किया गया है जो कि निर्देशन कार्यक्रम का जन्म-स्थल माना जाता है और जहाँ निर्देशन कार्य बड़े व्यापक स्तर पर चलता है। जार्ज ई. मायर्स ने भी अपने एक लेख में अनुवर्ती क्रिया को निर्देशन परिवार का सौतेला पुत्र कहा है.(Follow up the step child of the guidance family). भारत में शायद ही किसी विद्यालय में इस क्रिया को प्रारम्भ करने के प्रयत्न किये गये हों, जबकि भारत जैसे देश के लिये इस सेवा का अधिक महत्त्व है क्योंकि यहाँ शिक्षा के क्षेत्र में अनेक नवीन प्रयोग चल रहे हैं। कभी शिक्षा संगठन के रूप में परिवर्तन होता है तो कभी पाठ्यक्रम का रूप बदला जाता है। अनेक नवीन पाठ्य-विषय पाठ्यक्रम में सम्मिलित किये जा रहे हैं। दूसरी ओर व्यवसायों के प्रकार एवं रूपों में औद्योगिक एवं आर्थिक विकास के परिणामस्वरूप विविधता आती जा रही है। हमारे देश में इस बात की ओर तो कोई ध्यान नहीं देता है कि विद्यालय से शिक्षा पूर्ण करने के बाद छात्र कहाँ जाता है, किस व्यवसाय में कार्य करता है, नवीन विद्यालय या व्यवसाय में उसका समायोजन कैसा है? यदि अनुवर्ती अध्ययन सेवा को यहाँ प्रारम्भ किया जाये तो यह तो पता चले कि शिक्षा में नवीन प्रयोग कहाँ तक सफल रहे और उनमें कहाँ तक परिवर्तन की आवश्यकता है।
अनुवर्ती सेवा के उद्देश्य (Objectives of Follow-Up-Service)
अनुवर्ती सेवा के मुख्य उद्देश्य छात्रों के व्यक्तिगत समायोजन तथा आनन्दप्रद व्यावसायिक अनुभवों के अर्जन में सहायता प्रदान करना है। अनुवर्ती सेवा के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-
1. विभिन्न कक्षाओं, पाठ्य-विषयों एवं पाठ्य-सहगामी क्रियाओं में छात्रों की प्रगति एवं स्तर निश्चित करना।
2. सूचनाएँ प्राप्त करना जिनका उपयोग ऐसे छात्रों की सहायता करने में किया जा सकता है जो भविष्य के बारे में योजना का निर्माण करते हैं।
3. कुछ छात्र अतिरिक्त समय में किसी जीविका में नियुक्ति प्राप्त कर लेते हैं। अनुवर्ती सेवा का यह भी उद्देश्य है कि इस बात का पता लगाया जाये कि छात्र उस जीविका में सन्तोषप्रद ढंग से कार्यरत हैं या नहीं।
4. विद्यालय त्यागने के बाद किसी जीविका में प्रवेश प्राप्त करने वाले छात्रों के जीविका-स्तर एवं प्रगति को निश्चित करना। यदि कुछ वर्षों तक छात्रों का अनुगमन किया जाये तो छात्र उनके व्यावसायिक लक्ष्यों के सम्भावित परिवर्तन और सुधार दिये जा सकते हैं।
5. इस सेवा का एक उद्देश्य उन छात्रों की प्रगति का पता लगाना भी है जो कॉलेज या व्यावसायिक प्रशिक्षण में अध्ययन करते हैं। इनसे प्राप्त सूचनाओं के आधार पर निर्देशन कार्यक्रम की सफलता का मूल्यांकन किया जा सकता है।
6. अनुवर्ती अध्ययन से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर स्कूल कार्यक्रम की कमियों को ज्ञात किया जा सकता है।
7. अनुवर्ती सेवा द्वारा शिक्षक पता लगा सकते हैं कि शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति में उनको कितनी सफलता उपलब्ध हुई है।
8. यह विद्यालय बीच में ही छोड़ने वाले छात्रों का और छोड़ने के कारणों का पता लगाने में सहायक है। इससे अपव्यय को रोका जा सकता है।
9. समाज की तात्कालिक आवश्यकताओं के अनुरूप पाठ्यक्रम में सुधार करने में यह सहायक है।
10. छात्रों की व्यावसायिक रुचियों में परिवर्तन का पता लगाने में यह सेवा सहायक है।
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