विश्व पुस्तक मेला पर निबंध
प्रस्तावना- देश की राजधानी दिल्ली में समय-समय पर अनेक मेलों का आयोजन होता रहता है जैसे वैशाखी मेला, रामनवमी मेला, दीपावली मेला, गुरुपर्व मेला इत्यादि। ये सब धार्मिक मेलों के अन्तर्गत आते हैं। दिल्ली का प्रगति मैदान धार्मिक मेलों के अतिरिक्त अन्य मेलों का आयोजन भी करता रहता है जैसे-अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेला, कार मेला, कृषि मेला, हस्तशिल्प मेला, खिलौना मेला तथा पुस्तक मेला इत्यादि । प्रगति मैदान में पुस्तक मेला अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ‘विश्व पुस्तक मेला’ के नाम से प्रतिवर्ष फरवरी के महीने में आयोजित किया जाता है। इस मेले में देश-विदेश से अनेक प्रकाशक आकर अपनी नवीनतम प्रकाशित पुस्तकों को प्रदर्शित करते हैं।
अर्थ- पुस्तक मेले का सामान्य अर्थ होता है-पुस्तकों का मेला अर्थात् ऐसा मेला जिसमें अनेक विषयों जैसे विज्ञान, साहित्य, हिन्दी, अंग्रेजी, गणित तथा अन्य सभी विषयों की पुस्तकें व्यक्ति को अपनी रुचिनुसार मिल जाती हैं क्योंकि इसमें न केवल हिन्दी, अपितु अन्य भाषाओं की पुस्तकों का भी नवीनतम एवं विशाल भंडार होता है।
विश्व पुस्तक मेला- पुस्तक मेले आज हर शहर में आयोजित होते रहते हैं क्योंकि आज का नागरिक जागरुक हो चुका है तथा वह स्कूली शिक्षा समाप्त करने के पश्चात् भी अपना ज्ञानवर्धन करना चाहता है। कुछ पुस्तक मेले छोटे स्तर पर आयोजित किए जाते हैं, परन्तु दिल्ली में लगने वाला ‘विश्व पुस्तक मेला’ बहुत बड़े स्तर पर आयोजित किया जाता है। यह प्रायः बड़े हॉलों में लगता है। इसमें कुछ हॉल भारतीय भाषाओं के प्रकाशकों के होते हैं तथा कुछ अंग्रेजी व अन्य विदेशी भाषाओं के स्टॉल होते हैं। इस मेले में सरकारी, गैर-सरकारी प्रकाशक बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। इसके अतिरिक्त देशी एवं विदेशी प्रकाशक भी अपने प्रकाशनों का प्रदर्शन करते हैं। यहाँ बच्चों की पुस्तकें, धार्मिक पुस्तकें, साहित्यिक पुस्तकें आदि बड़ी मात्रा में उपलब्ध रहती हैं। यह मेला ज्ञान-विज्ञान में रुचि रखने वालों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र होता है। इस मेले का आयोजन NBT (नेशनल बुक ट्रस्ट ऑफ इंडिया) द्वारा किया जाता है।
पुस्तक मेले का आँखों देखा हाल- इस वर्ष यह पुस्तक मेला 2 फरवरी से 10 फरवरी तक चला था। मैं अपने कुछ मित्रों के साथ रविवार को विश्व मेला देखने प्रगति मैदान पहुँच गया। हम सभी बस द्वारा लगभग 10-30 बजे वहाँ पहुँचे। मेला खुलने का समय 11 बजे है इसलिए हमने शीघ्र ही अन्दर प्रवेश कर लिया। प्रवेश एकदम निशुल्क था अतः अन्दर जाने में हमें कोई परेशानी नहीं हुई। सर्वप्रथम हम विदेशी पुस्तकों के हॉल में घूमने गए क्योंकि मेले में आधे से भी अधिक पुस्तके विदेशी प्रकाशकों जैसे ऑक्सफोर्ड, फिलिप्स आदि प्रकाशकों से सम्बन्धित थी। अधिकतर पुस्तके अंग्रेजी भाषा में थी। अंग्रेजी के अतिरिक्त फ्रेंच, जर्मन, रूसी, चीनी, जापानी आदि अनेक भाषाओं की पुस्तकों का भी अच्छा संग्रह था। सभी स्टॉलों पर बहुत भीड़ थी क्योंकि इन प्रकाशकों की पुस्तकों का पेपर, कवर, छपाई, जिल्द इत्यादि बहुत खूबसूरत तथा टिकाऊ भी लग रहे थे। अंग्रेजी पुस्तकों का मूल्य भी कम ही था। इन पुस्तकों में नवीनतम जानकारियाँ भी थी इसलिए हर कोई इनमें दिलचस्पी ले रहा था। हमने भी यहाँ से अंग्रेजी सीखने वाली एक पुस्तक खरीदी तथा मेरे मित्र ने दो उपन्यास खरीदे।
वहाँ से निकलकर हम भारतीय भाषाओं वाले हॉल में गए। इस ओर सभी प्रकाशकों ने अपनी पुस्तकों को सुन्दर तरीके से सजा रखा था। पुस्तकों के शीर्षक तथा रंग-बिरंगे कवर देखकर लोग उन्हें देखते और फिर खरीद लेते। वहाँ पर सभी प्रकाशक अपने सूची पत्र मुफ्त में बाँट रहे थे। बच्चों की किताबों वाली स्टॉलों पर भी काफी भीड़ जमा थी क्योंकि बच्चे भी चित्रकारी, कहानियों, कविताओं इत्यादि की खूब पुस्तकें खरीद रहे थे। सर्वाधिक भीड़ ‘चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट’ नामक प्रकाशक की स्टॉल पर थी क्योंकि वहाँ पर प्रत्येक पुस्तक के साथ एक सुन्दर सा पैन मुफ्त में मिल रहा था।
अनेक प्रकाशकों ने मेले में अपने गणमान्य लेखकों को भी आमन्त्रित किया हुआ था। वे लेखक अपनी हस्ताक्षरयुक्त पुस्तकें पाठकों में वितरित कर रहे थे। अनेक प्रकाशकों ने लेखकों व पाठकों के लिए चाय, कॉफी, पानी तथा हल्के नाश्ते का भी प्रबन्ध किया हुआ था। इस प्रकार पुस्तक मेले द्वारा सभी प्रकाशक, पाठक तथा लेखक एक दूसरे के सम्पर्क में आ रहे थे।
मेले के मुख्य आकर्षण- इस वर्ष के पुस्तक मेले का मुख्य आकर्षण : एकांकी इत्यादि बाल साहित्य । इस मेले में कहानी से लेकर उपन्यास, नाटक, सभी विषयों एवं विधाओं की पुस्तकें नवीनतम जानकारी के साथ उपलब्ध थी। इस मेले में सभी प्रकाशक विशेष छूट भी दे रहे थे जिसका लाभ सभी उला रहे थे। कोई दो पुस्तकों के साथ एक कहानी की किताब मुफ्त दे रहा था, तो कोई प्रकाशक दर्शकों को आकर्षित करने के लिए पन्द्रह से बीस प्रतिशत की छूट दे रहा था। यहाँ कई मनोरंजक कार्यक्रम भी रखे गए थे तथा महात्मा गाँधी तथा पं. जवाहरलाल नेहरू पर विस्तृत मल्टीमीडिया सी.डी. हॉल नं. 4 के स्टॉल पर 2 से 10 पर उपलब्ध हो रही थी। इसके अतिरिक्त अन्य महापुरुषों पर भी बड़ी मात्रा में साहित्य उपलब्ध हो रहा था।
विश्व पुस्तक मेलों में हिन्दी पुस्तकों की स्थिति- दुर्भाग्यवश इस मेले में जितनी भीड़ अंग्रेजी विषयों की पुस्तकों की स्टॉलों पर थी, उतनी हिन्दी पुस्तकों की दुकानों पर नहीं थी। कारण साफ है आज हिन्दी का गिरता स्तर तथा हिन्दी विषय पर उचित मात्रा में पुस्तकें उपलब्ध न होना। विज्ञान, फैशन, राजनीति, सौन्दर्य आदि विषयों पर भी अधिकतर पुस्तकें अंग्रेजी भाषा में ही उपलब्ध थी, जबकि हिन्दी प्रकाशक इस ओर ध्यान ही नहीं देते हैं। हिन्दी में आधुनिक विषयों की पुस्तकों का पर्याप्त अभाव है। मजबूरीवश हिन्दी भाषी प्रेमियों को भी नवीनतम जानकारी प्राप्त करने के लिए अंग्रेजी का सहारा लेना पड़ता है।
उपसंहार- पुस्तक मेले में पुस्तकों की आवश्यकता, उपयोग, उन्हें पाठकों तक पहुँचाने, छपाई आदि को सुधारने तथा लोगों में अध्ययन प्रवृत्ति को बढ़ाने के लिए अनेक गोष्ठियाँ भी आयोजित की जाती है। इन गोष्ठियों के माध्यम से विद्वान लेखक तथा चिन्तक अपने बहुमूल्य विचार प्रस्तुत करते हैं तथा श्रेष्ठ साहित्य उपलब्ध कराने के लिए उपाय सुझाते हैं। निःसन्देह पुस्तक मेला विद्वानों प्रकाशकों तथा पाठकों की त्रिवेणी का संगम स्थल होता है।
अन्त में पूरा पुस्तक मेला घूमकर, खरीददारी करके तथा खा-पीकर हम रात आठ बजे घर लौट आए। हम अपने साथ ज्ञान रूपी प्रकाश भी लेकर आए थे।
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