मानवीय मूल्यों का वर्गीकरण
Classification of Human Values
मानवीय मूल्यों को स्थूल रूप से निम्नलिखित दो श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता।
1. परिवर्तनमान मूल्य (Changing values)– इन्हें ‘युग धर्म’ भी कहा जाता युग धर्म के अन्तर्गत कुल धर्म, देश धर्म, जाति धर्म, वर्ण धर्म, लिंग धर्म, पुत्र धर्म, पत्नी धर्म धर्म, गुरु धर्म आदि अनेक प्रकार के धर्मों या कर्त्तव्यों का समावेश होता है । युग परिवर्तनशील होते हैं । अतः समयानुसार उन्हें परिवर्तित किया जा सकता है ।
2. शाश्वत मूल्य (Internal values)- इन्हें ‘सनातन धर्म’ कहा जा सकता है । सनातन या सामान्य धर्म जाति, वर्ण, अवस्था तथा देश-काल आदि से निरपेक्ष होते हैं। इनका सभी के द्वारा समान भाव से पालन किया जाता है । मन, वचन तथा कर्म से सनातन धर्म के पालन करने की एक नागरिक से अपेक्षा की जाती है । सनातन धर्म शाश्वत होते हैं । युग धर्म तथा सनातन धर्म में निश्चित विभाजन रेखा खींचना कठिन है क्योंकि ये दोनों ही शब्द सापेक्ष हैं।
शिक्षण की दृष्टि से मानवीय मूल्यों को निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत विभक्त किया जा सकता है-
1.शैक्षिक मूल्य (Educational values)- शैक्षिक मूल्य शिक्षा में उपयोगिता, अभिप्राय तथा उपयुक्तता (Usefulness) का निरूपण करते हैं, जो शिक्षक तथा छात्र को आत्मानुभूति या शिक्षार्थी को उपयुक्त अभिवृद्धि के लिये अध्ययन-कार्य में संलग्न करने हेतु प्रेरित करते हैं।
2. नैतिक तथा आध्यात्मिक मूल्य (Moral and spritual values)- इनके अन्तर्गत ईमानदारी, त्याग, निष्ठा, करुणा, दया, उत्तरदायित्व की भावना तथा नम्रता आदि मानवीय मूल्य आते हैं । देश-काल एवं अन्य परिस्थितियों में ये मूल्य कभी-कभी विवादास्पद भी हो जाते हैं।
3. सामाजिक एवं राजनैतिक मूल्य (Social and political values)- किसी भी समाज या देश को सामाजिक एवं राजनीतिक प्रणाली के परिलक्षण, परिष्कार एवं सम्वर्द्धन के लिये इन मानवीय मूल्यों का अधिक महत्त्व होता है । व्यक्ति समाज की इकाई है। व्यक्तियों से समाज का और समाज से व्यक्तियों का अस्तित्व अक्षुण्ण रहता है। व्यक्तियों के नैतिक मूल्यों का समवाय ही सामाजिक मूल्यों की संरचना में होता है।
4. वैश्विक मूल्य (Global values)— जो मानवीय मूल्य सम्पूर्ण विश्व की प्रगति एवं भलाई से सम्बन्धित होते हैं, वे वैश्विक मूल्य कहलाते हैं । इन मूल्यों का किसी जाति, समूह या देश-विदेश से सम्बन्ध नहीं होता । इनमें प्राणिमात्र के लिये स्वतन्त्रता, न्याय एवं अवसर की समानता, सभी प्रकार की दासताओं का उन्मूलन आदि मूल्यों का समावेश किया जा सकता हैं ।
5. वैज्ञानिक मूल्य (Scientific values)— ये मानवीय मूल्य एक ओर हमारी ज्ञान एवं कौशल की विचारधाराओं को सद् विवेक एवं बुद्धि द्वारा जागृत करके हमारी अनेक भ्रान्तियों एवं अन्ध-विश्वासों को दूर करते हैं तो वहीं दूसरी ओर यदि इन्हें विवेक बुद्धि के साथ समायोजित न किया तो यह मनुष्य में अनास्था तथा आत्मवाद को जन्म देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका प्रस्तुत करते हैं ।
6. सांस्कृतिक मूल्य (Cultural values)— इन मूल्यों के अन्तर्गत वे सभी मानवीय मूल्य आते हैं, जो सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्ण रखने एवं उसके विकास के द्वारा राष्ट्र में सांस्कृतिक एकता का वातावरण बनाये रखने में सहायक होते हैं ।
7. पर्यावरणीय मूल्य (Environmental values)— इनके अन्तर्गत पेड़-पौधों के प्रति संवेदनशीलता, पर्यावरण-संरक्षण, पर्यावरण की शुद्धि के प्रति जागरूकता, वृक्षारोपण एवं वृक्षसंरक्षण आदि पर्यावरणीय मूल्य आते हैं।
8. भौतिक मूल्य (Physical value)— इन मूल्यों में मानव के भौतिक संसाधन आते हैं। प्रत्येक जीवधारी की विभिन्न आवश्यकताएँ होती है । इन भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये व्यक्ति अपनी सोच में इसी प्रकार के मूल्यों को स्थिर करता है तथा इन्हें प्राप्त करने का प्रयास करता है।
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