अपकृत्य विधि (Law of Tort)

स्वीकृति से उठाई गई क्षति | सम्मीप्त | volenti non fit injuria in hindi

स्वीकृति से उठाई गई क्षति
स्वीकृति से उठाई गई क्षति

स्वीकृति से उठाई गई क्षति | सम्मीप्त | volenti non fit injuria in hindi

स्वीकृति से उठाई गई क्षति | सहमति एवं अनुज्ञप्ति का सिद्धान्त | वोलेन्टी नान फिट इंजूरिया का सिद्धान्त | Volenti non fit injuria in hindi- दुष्कृति विधि में विधिक क्षति के लिए ही क्षतिपूर्ति दिलायी जाती है। विधिक क्षति से अभिप्राय विधिक अधिकार के हनन से है। यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से क्षतिग्रस्त होने की जोखिम उठाता है तो यह माना जाता है कि उसे पहुँची क्षति के लिए उसने सहमति दे दी थी। इस प्रकार सहमति या स्वेच्छापूर्वक उठायी गयी क्षति को विधिक क्षति नहीं माना जाता और इस प्रकार की क्षति के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। इस सिद्धान्त को सहमति एवं अनुज्ञप्ति का सिद्धान्त अथवा वोलेन्टी नान फिट इंजूरिया (Volenti non fit injuria) का सिद्धान्त कहा जाता है। इस सिद्धान्त का अर्थ है कि “जहाँ कोई व्यक्ति स्वयं अपकृत्य के लिये इच्छुक पक्षकार रहा है वहाँ विधिक अधिकार का हनन नहीं माना जायेगा।” अथवा “कोई व्यक्ति उस अधिकार को लागू नहीं करा सकता है जिसका उसने स्वेच्छा से परित्याग कर दिया हो।’ यद्यपि इस सिद्धान्त का प्रयोग प्रायः शारीरिक क्षति के लिए ही अधिक होता है और सम्पत्ति सम्बन्धी हानि के सम्बन्ध में इसका प्रयोग अत्यन्त सीमित है। परन्तु यहाँ यह ज्ञातव्य है कि प्रतिवादी को इस सिद्धान्त का लाभ उठाने के लिए वादी को जोखिम का ज्ञान एवं सहमति दोनों को प्रमाणित करना चाहिये।

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