भारतीय अर्थव्यवस्था में उत्पादन
सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर सरकार राशनिंग के माध्यम से नियंत्रण करती है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अन्तर्गत सरकार सस्ते मूल्य की दुकानें खोलती है, ताकि आवश्यक वस्तुओं का समाज के सभी वर्गों को उचित मूल्य पर उपलब्ध कराया जा सके। इस प्रणाली के द्वारा खोली गयी दुकानों के माध्यम से सरकार रियायती कीमत पर खाद्यान्न एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं का समानता के आधार पर वितरण करती है। इस प्रणाली से रियायती वस्तुओं का वितरण करने के लिए सरकार इन वस्तुओं की खरीद के माध्यम से स्टॉक बनाती है और एक निश्चित अवधि पर उचित मात्रा में लोगों के बीच रियायती कीमत पर इन वस्तुओं का एकसमान वितरण सुनिश्चित करती है।
भारत में अमीर-गरीब के बीच आय की खाई अधिक है, जिससे उनके बीच आय की असमानताएँ पायी जाती हैं। अगर सरकार आवश्यक वस्तुओं की पूर्ति को अनियन्त्रित छोड़ दे, तो अमीर वर्ग ऊँची कीमत द्वारा इन वस्तुओं को खरीद लेगा और गरीब वर्ग इन वस्तुओं से वंचित रह जायेगा, जिसके लिए सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली और राशनिंग का सहारा लिया है। राशनिंग व्यवस्था के अन्तर्गत सीमित आपूर्ति वाली वस्तुओं का आर्थिक समानता के आधार पर समाज के सभी वर्गों के बीच वितरण किया जाता है। भारत में बढ़ती हुई आबादी की माँग को पूरा करने के लिए उत्पादन पीछे रह जाता है, जिससे माँग एवं पूर्ति का उत्पन्न होने वाला असन्तुलन आवश्यक एवं अनिवार्य बस्तुओं की कीमत बढ़ा देता है। ये बढ़ी कीमतें गरीब और पिछड़े वर्ग के लिए समस्याएँ उत्पन्न करती हैं। इसलिए देश के उत्पादन में सभी वर्गों की एक समान हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए, अर्थव्यवस्था में सामाजिक न्याय स्थापित करने के लिए सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली एवं राशनिंग का सहारा लेती है। सार्वजनिक वितरण-प्रणाली में सरकार द्वारा उठाये गये कदम निम्नलिखित हैं-
1. खाद्यान्न के प्राथमिक उत्पादकों को उनकी उपज की उचित कीमत दी जाय, ताकि वे पर्याप्त मात्रा में उत्पादन करते रहें और उत्पादन के प्रति हतोत्साहित न हों। इसलिए सरकार प्रतिवर्ष खड़ी फसलों पर ही समर्थन मूल्य तय कर देती है। सरकार इस मूल्य पर करोड़ों टन अनाज खरीद कर उसका भण्डारण करती
2. सरकार द्वारा भण्डारण किये खाद्यान्नों के कारण बाजार की कीमतों में स्थिरता बनी रहती है, जो सट्टेजाबों और जमाखोरों द्वारा अनाज की कृत्रिम कमी उत्पन्न करने से रोकती है।
3. सारे देश में सरकारी नियंत्रण वाले वितरण केन्द्रों तथा उचित मूल्यों की दुकानों द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली को प्रभावी बनाया जाता है।
4. भारत में अनाज, चीनी, चावल आदि का सार्वजनिक वितरण की राशन प्रणाली द्वारा उचित मूल्य पर निर्धन एवं मध्यम वर्ग की जनता को वितरित किया जाता है। नियंत्रित वस्तुओं की बिक्री उपभोक्ता सहकारी भण्डारों के माध्यम से करती है। उपभोक्ताओं के लिए विभिन्न वस्तुओं का प्रति व्यक्ति कोटा पूर्व निर्धारित कर दिया जाता है।
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