निर्देशन एवं परामर्श केन्द्र (Guidance and Counselling Centres)
निर्देशन एवं परामर्श आत्म-विकास का आधार है। इसीलिए शैक्षिक, व्यावसायिक, सामाजिक एवं भावात्मक विकास के क्षेत्र में निर्देशन एवं परामर्श केन्द्र की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च स्तर की संस्थाओं में छात्रों को पर्याप्त मार्गदर्शन प्रदान करने में निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों का महत्व सर्वोपरि है। छात्रों के लिए शिक्षा की गुणवत्ता को सुलभ बनाने के लिए सीमान्त ग्रामीण क्षेत्रों के मध्य विशेष रूप से केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने लखीमपुर खीरी (उ.प्र.) में हाल ही में निर्देशन एवं परामर्श केन्द्र का शुभारम्भ किया।
निर्देशन एवं परामर्श केन्द्र छात्रों के अतिरिक्त माता-पिता एवं शिक्षकों को भी परामर्श प्रदान करते हैं। किशोरावस्था में बालकों का अभिवृत्ति एवं विकास विशिष्ट प्रकार से होता है। इस अवस्था के बालकों की आवश्यकताएँ एवं समस्याएँ भी विविध प्रकार की होती हैं, जैसे-शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, व्यावसायिक, संवेगात्मक तथा शैक्षिक समस्याएँ । इनकी को पहचान कर प्रभावशाली ढंग से समाधान निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों द्वारा किया जाता है ताकि शिक्षण संस्थाओं में गुणवत्ता लाई जा सके।
निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों की आवश्यकता (Need of Guidance and Counselling Centres)
निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों की आवश्यकता का उल्लेख निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है-
(1) किशोरावस्था आयुवर्ग के बालकों के व्यवहारों एवं गुणों का विकास विशिष्ट प्रकार से होता है तथा उनकी समस्याएँ भी विविध प्रकार की होती हैं। उनकी समस्याओं के समाधान में इन केन्द्रों की विशेष आवश्यकता है। निर्देशन सेवाओं की व्यवस्था नियोजित ढंग से की जाए तो उनके कार्य भी सृजनात्मक तथा सामाजिक उपयोगितापूर्ण हो सकते हैं।
(2) निर्देशन एवं परामर्श केन्द्र तकनीकी विषय के छात्रों को उद्योग सम्बन्धी कार्यप्रणाली का प्रशिक्षण देकर उनके ज्ञान एवं कौशल का विकास करता है। यह तकनीकी विशेषज्ञों में गुणवत्ता लाने का प्रयास करता है। तकनीकी विशेषज्ञों में अपेक्षित गुणों एवं व्यवहारों का विकास किया जाता है।
(3) छात्रों की समस्याओं का समाधान निर्देशन एवं परामर्श के बिना सम्भव नहीं हैं। यदि निर्देशन दिया भी जाता है तो उसके अपेक्षित परिणाम प्राप्त नहीं होते हैं। इसलिए समन्वित रूप से इन केन्द्रों की स्थापना की जानी चाहिए। इन केन्द्रों की सेवाओं से छात्रों के विकास हेतु वास्तविक सहायता प्रदान की जा सकती है।
(4) विद्यालय में छात्र विभिन्न प्रकार की समस्याएँ लेकर आते है। कभी-कभी वे विद्यालय सम्पत्ति एवं साज-सज्जा को भी क्षति पहुँचाते हैं। उनका विकास भी समुचित रूप से नहीं होता है। इसलिए इन निर्देशन केन्द्र की सेवाओं से इनमें अपेक्षित गुणों का विकास किया जा सकता है। इन केन्द्रों द्वारा छात्रों की समस्याओं के समाधान हेतु प्रयास किया जाता है।
(5) विद्यालयी जीवन से निर्देशन एवं परामर्श सेवाओं को अलग नहीं किया जा सकता है। छात्रों के विकास एवं समस्याओं के समाधान की दृष्टि से निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों की सेवाओं का सहयोग एवं सहायता आवश्यक है।
निर्देशन केन्द्रों के उद्देश्य (Objectives of Guidance Centres)
निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों की स्थापना के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-
(1) शैक्षिक निर्देशन देना (Provide Educational Guidance)
(2) व्यावसायिक निर्देशन (Provide Vocational Guidance)
(3) व्यक्तिगत एवं सामाजिक निर्देशन एवं परामर्श देना (Provide Individual and Social Guidance and Counselling)
इन सामान्य उद्देश्यों का विशिष्ट स्वरूप इस प्रकार हैं-
(1) शैक्षिक निर्देशन देना (Provide Educational Guidance)- शैक्षिक निर्देशन उद्देश्यों को पाँच विशिष्ट रूपों में वर्गीकृत किया गया है-
(i) विशिष्ट बालकों प्रतिभाशाली बालकों तथा सृजनात्मक बालकों की पहचान करना एवं उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप विकास करना।
(ii) अधिगम असमर्थी बालकों की समस्याओं का निदान करना, उपचारात्मक अनुदेशन देना तथा साधनो की व्यवस्था करना।
(iii) अध्ययनरत छात्रों की शैक्षिक प्रगति की देख-रेख करना।
(iv) आगामी शिक्षा एवं प्रशिक्षण के सम्बन्ध में छात्रों को सूचना देना तथा सहायता प्राप्त करना।
(v) छात्रों की अधिगम कठिनाइयों एवं उनकी क्षमताओं का सूक्ष्म निरीक्षण एवं विकास करना ।
(2) व्यावसायिक निर्देशन देना (Provide Vocational Guidance)–व्यावसायिक निर्देशन उद्देश्यों को तीन विशिष्ट रूपों में प्रस्तुत किया जा सकता है-
(i) रोजगार सम्बन्धी सूचनाओं एवं अवसरों को एकत्रित करना।
(ii) रोजगार सूचनाओं का विश्लेषण एवं विकास करना तथा समुचित रोजगार या व्यवसाय का चयन करने में सहायता करना।
(iii) स्वयं रोजगार प्राप्त करने हेतु छात्रों को सूचनाएँ प्रदान करना।
(3) व्यक्तिगत एवं सामाजिक निर्देशन एवं परामर्श देना (Provide Individual and Social Guidance and Counselling) – व्यक्तिगत एवं सामाजिक निर्देशन एवं परामर्श प्रदान करने के विशिष्ट पाँच उद्देश्य हैं-
(i) छात्र के समायोजन सम्बन्धी समस्याओं को पहचानना तथा उसके समाधान में सहायता प्रदान करना।
(ii) इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों में अच्छे मूल्यों, आदतों एवं अभिवृत्तियों का समुचित विकास करना।
(iii) पारस्परिक रूप से छात्रों में अच्छे सम्बन्धों का विकास करना।
(iv) छात्रों में खाली समय का सदुपयोग करने की प्रवृत्ति का विकास करना ।
(v) मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायता करना ।
निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों के कार्य (Functions of Guidance and Counselling Centres)
निर्देशन एवं परामर्श केन्द्र को अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित कार्य करने होते हैं-
(1) भौतिक सुविधाओं का विकास करना,
(2) निर्देशन व परामर्श क्रियाओं की व्यवस्था करना,
(3) केन्द्र का अन्य संस्थाओं से सम्पर्क स्थापित करना,
4) केन्द्र के कार्यक्रमों के संचालन एवं प्रभाव का आंकलन करना।
(1) भौतिक सुविधाओं का विकास करना- भौतिक सुविधाओं के विकास सम्बन्धी कार्य इस प्रकार हैं-
(i) आवश्यक संसाधन, साज-सज्जा, मेज-कुर्सी तथा उपयोगी सामग्री की व्यवस्था करना।
(ii) भौतिक सुविधाओं के विकास के लिए आवश्यक परीक्षण रजिस्टर तथा उपकरणों को पहचानना, उनकी व्यवस्था तथा उपयोग करना।
(iii) कार्यकर्त्ता के लिए आवश्यक विशिष्ट प्रशिक्षण की व्यवस्था करना।
(2) निर्देशन व परामर्श क्रियाओं की व्यवस्था करना- निर्देशन एवं परामर्श केन्द्र क्रियाओं की व्यवस्था सम्बन्धी कार्य निम्नलिखित हैं-
(i) छात्र सम्बन्धी सूचनाओं एवं प्रदत्तों का रख-रखाव करना।
(ii) रोजगार व व्यावसायिक अवसरों व सूचनाओं को एकत्रित करना तथा उनका प्रसार करना।
(iii) कैरियर सम्मेलनों एवं एकल अध्ययनों का आयोजन करना।
(iv) सामूहिक निर्देशन कार्यक्रमों की व्यवस्था करना।
(v) प्रत्येक सप्ताह मुक्त गृहकार्यों का आयोजन करना।
(vi) सामाजिक एवं संवेगात्मक समस्याओं के समाधान हेतु परामर्श सत्रों की व्यवस्था करना।
(vii) छात्र संघ तथा माता-पिता की क्रियाओं का निरीक्षण करना।
(viii) केन्द्र की कार्यप्रणाली के स्वरूप में उपरोक्त कार्यों का संचालन करना।
(ix) कैरियर केन्द्रों की स्थापना करना।
(x) छात्रों की समस्याओं का विश्लेषण करके समाधान हेतु आव्यूह का चयन करना।
(3) केन्द्र का अन्य संस्थाओं से सम्पर्क स्थापित करना- निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों का अन्य संस्थाओं से सम्पर्क स्थापित करने के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-
(i) उद्योगों, मनोवैज्ञानिकों, नियोक्ताओं, रोजगार केन्द्रों, डाक्टरों, माता-पिता, अभिभावकों तथा पुराने छात्रों के संघों से समुचित सम्पर्क करना।
(ii) विद्यालय संस्थाओं तथा केन्द्रों से सम्पर्क स्थापित करना।
(4) केन्द्र के कार्यक्रमों के संचालन एवं प्रभाव का आंकलन करना- निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों का प्रमुख कार्य केन्द्र के कार्यक्रमों का संचालन एवं उसके प्रभाव का आंकलन करना है जो निम्नलिखित प्रकार से होता है-
(i) निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों की कार्यप्रणाली की समय-समय पर समीक्षा की जाए तथा वार्षिक आलेख तैयार किया जाना चाहिए।
(ii) निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों के मूल्यांकन हेतु समितियाँ बनाई जाए।
(iii) सामयिक आलेख हेतु एक प्रारूप विकसित करना जिससे छात्रों का विकासात्मक बोध किया जा सके।
(iv) आलेख तैयार करते समय इन केन्द्रों की प्रभावशीलता का आंकलन शिक्षण अधिगम प्रक्रिया, रोजगार में स्थापन तथा पाठ्यक्रमों के चयन में बालकों के विकासात्मक प्रभाव का उल्लेख किया जाए।
निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों पर भौतिक स्रोतों की सुविधाएँ (Facilities of Physical Sources at Guidance and Counselling Centres)
निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों पर इन भौतिक स्रोतों को दो वर्णों में विभाजित किया जाता है-
(1) केन्द्र पर विविध प्रकार के परिक्षणों की व्यवस्था एवं
(2) साज-सज्जा, फर्नीचर तथा संग्रहालय की व्यवस्था।
इसके अतिरिक्त निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों पर शैक्षिक, मनोवैज्ञानिक एवं व्यावसायिक परीक्षणों की व्यवस्था, छात्र सम्बन्धी आलेख तथा आवश्यक प्रपत्रों की व्यवस्था होनी चाहिए। फर्नीचर का रख-रखाव कक्षा-कक्ष, कार्यालय, भवन तथा स्थान भी सुविधापूर्ण हो।
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