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विद्यालय पुस्तकालय के प्रकार एवं आवश्यकता Types of Library And Importance in Hindi

विद्यालय पुस्तकालय के प्रकार एवं आवश्यकता
विद्यालय पुस्तकालय के प्रकार एवं आवश्यकता

विद्यालय पुस्तकालय के प्रकार एवं आवश्यकता Types of Library And Importance in Hindi

विद्यालय पुस्तकालय के प्रकार (Types of Library)-

पुस्तकालय के दो प्रकार प्रचलित हैं- (अ) कक्षा पुस्तकालय, (ब) विषय पुस्तकालय।

(अ) कक्षा पुस्तकालय (Class Library)-

कक्षा पुस्तकालय में एक विशिष्ट कक्षा के लिए विभिन्न विषयों से सम्बन्धित उपयोगी सामग्री रखी जाती है और उसके संचालन का दायित्व कक्षाध्यापक पर होता है। (Class library contains useful material for a partucular class in different subjects and the class teacher is responsible for the adminis-Tration of that library.) कक्षा अध्यापक विद्यार्थियों की आवश्यकताओं, रुचियों तथा बौद्धिक स्तर के अनुकूल केन्द्रीय पुस्तकालय से पुस्तकें लेकर कक्षा पुस्तकालय में रखता है। कक्षा पुस्तकालय
के निम्नलिखित लाभ हैं-

1.आसान संचालन- इसका गठन एवं संचालन आसान है। थोड़ी-सी रुचि रखने वाला अध्यापक भी यह कार्य कर सकता है।

2. आसान लेन-देन-विद्यार्थी आसानी से और सुविधापूर्वक पुस्तकों का लेन-देन कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें केन्द्रीय पुस्तकालय जाने की आवश्यकता नहीं होती।

3. आसान निर्देशन-अध्यापक सुविधापूर्वक विद्यार्थियों का निरीक्षण, निर्देशन एवं प्रोत्साहन कर सकता है।

4. अत्यन्त पहचान-कक्षा पुस्तकालय अध्यापकों को प्रतिभाशाली एवं पिछड़े हुए विद्यार्थी पहचानने में सहायता प्रदान करता है।

5.अध्ययन आदत- कक्षा पुस्तकालय विद्यार्थियों को पढ़ने की आदत को प्रोत्साहित करता है क्योंकि उन्हें अपने रुचि की पुस्तकें पढ़ने के पर्याप्त अवसर मिलते हैं।

कक्षा पुस्तकालय की उपयोगिताओं पर बल देते हुए सेकेण्डरी शिक्षा आयोग (Secondary Education Commission) ने कहा है, “कक्षा पुस्तकालय केन्द्रीय पुस्तकालय का एक महत्वपूर्ण एवं आवश्यक अनुबन्ध है। इसका आसानी से गठन किया जा सकता है और यह अपनी तमाम सीमाओं के बावजूद एक कल्पनाशील अध्यापक के हाथों केन्द्री पुस्तकालय के समान अच्छा कार्य कर सकता है।”

“The class library is an important and essential adjunct to the central
school library. It is easily organised and in the hands of a teacher of imagina- tion it can do within its own limitations as much good work as the central library.”

(ब) विषय पुस्तकालय (Subject Library)-

विषय पुस्तकालय में किसी एक विषय से सम्बन्धित पाठ्य-पुस्तकें, सन्दर्भ पुस्तकें, विशिष्ट पुस्तकें तथा अन्य सम्बन्धित विषयों की पुस्तकें संग्रहीत होती हैं। यह छोटा-सा पुस्तकालय विषय कक्ष में स्थापित किया जाता है और वरिष्ट विषय अध्यापक के नियंत्रण एवं निर्देशन में संचालित होता है।

(Subject library is a small collection of subject books including text- books, reference books, specialised books, books on related subjects and allied fields, located in the subject room under the direction and control of senior subject teacher. Thus the subject library has treasure of its own type.

पुस्तकालय की आवश्यकता :-

पुस्तकालय की आवश्यकता निम्न कार्यों के लिए होती है,

1. शैक्षिक कौशल,

2. शैक्षिक दक्षता,

3. स्वतन्त्र चिन्तन,

4. शैक्षिक लक्ष्य की प्राप्ति,

5. अतिरिक्त अध्ययन,

6. सामान्य ज्ञान,

7. विभिन्न प्रकार की पुस्तकें,

8. सामाजिक सांस्कृतिक जानकारी,

9. मौन अभ्यास,

10. वैयक्तिक अध्ययन,

11. समय का सदुपयोग,

12. पाठ्य उत्तर अध्ययन,

13. प्रगतिशील शिक्षण विधियों में सहायक,

14.निर्धन/मेधावी छात्रों की सहायता,

15. अतिरिक्त अध्ययन में मितव्ययता।

डॉ.एस. आर. रंगनाथन (Rangnathan) ने नई शिक्षा नीति के अन्तर्गत पुस्तकालय का महत्व/आवश्यकता बताया है कि-

1. व्यक्तिगत विभिन्नता तथा विकलांग छात्रों के सहयोग के लिए,

2. डाल्टन शिक्षण पद्धति, प्रोजेक्ट कार्य के लिए,

3. गृहकार्य तथा एसाइनमेंट के लिए,

4. वस्तुनिष्ठ तथा उद्देश्यनिष्ठ अध्ययन के लिए,

5. त्रुटिपूर्ण ज्ञान एवं संकल्पना को सही समझने के लिए,

6. चित्रमय एवं मनोरंजन रूप से अध्ययन के लिए,

7. लघु शोध लिखने एवं परिमार्जन के लिए,

8. विश्व शान्ति की अवस्थापन हेतु,

9. व्यावहारिक तथा तथ्यात्मक ज्ञान में उपयोग होना।

प्रो. फारगो के अनुसार विद्यालय पुस्तकालय के उद्देश्य निम्न हैं-

1. छात्रों तथा उनके पाठ्यक्रम (Curriculum) की जरूरत के अनुरूप ही पुस्तके तथा अन्य दूसरी सामग्री प्राप्त करना तथा उनका ठीक प्रकार से सम्बन्ध करना।

2, छात्रों को पुस्तकों एवं अन्य शैक्षणिक सामग्री एवं चयन हेतु पथ प्रदर्शन करना।

3. आवश्यक रुचियों को जन्नत करने में छात्रों की सहायता करना।

4. आजीवन शिक्षा को प्रोत्साहन देना।

5. सामाजिक रुझानों एवं कार्यो को प्रोत्साहित करना तथा सामाजिक एवं प्रजातान्त्रिक जीवन के अनुभव देना।

6.विद्यालयी स्तर पर सहकारिता का विकास करना |

हरिश्चन्द्र व्यास के अनुसार पुस्तकालय की आवश्यकता एवं महत्व निम्न प्रकार हैं-

1. छात्रों में अध्ययनशीलता का विकास,

2. विभिन्न रुचियों एवं माँगों की आपूर्ति,

3. सामान्य ज्ञान की संवृद्धि करना,

4. सहायक पुस्तकों के अभाव की पूर्ति,

5. विद्वान, लेखकों के विचारों से सम्पर्क,

6. कक्षा शिक्षण की आपूर्ति को पूरा करना,

7. अवकाश के समय का सदुपयोग,

8. अध्यापकों के बौद्धिक विकास में सहायक,

9. मौन पाठ का अभ्यास,

10. आधुनिकतम ज्ञान प्राप्ति का साधन,

11. नई शिक्षण विधियों द्वारा अध्ययन, शंकाओं का निवारण।

12. बालकों के चरित्र गठन में सहायक,

13. छात्र एवं शिक्षकों को अधिकतम सहभागिता एवं भागीदारी।

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