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मापन एवं मूल्यांकन का अर्थ एवं परिभाषा तथा शैक्षिक उपयोगिता

मापन एवं मूल्यांकन का अर्थ एवं परिभाषा तथा शैक्षिक उपयोगिता
मापन एवं मूल्यांकन का अर्थ एवं परिभाषा तथा शैक्षिक उपयोगिता

मापन का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Measurement)

मापन से साधारणतया यह अभिप्राय लिया जाता है कि यह प्रदत्तों को मात्रात्मक रूप में परिवर्तित करने वाली प्रक्रिया है ।

मापन की प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं-

(1) रास स्ट्रेंज के अनुसार- “मापन निश्चित स्वीकृत नियमों के अनुसार वस्तुओं को अंक प्रदान करने की प्रक्रिया है।”

(2) गिलफोर्ड के अनुसार- “मापन का अर्थ प्रदत्तों का अंकों के रूप में विवरण देना है, जिसका अर्थ है कि गणितीय चिन्तन और अंकों से कार्य करने पर प्राप्त होने वाले लाभों का अधिकतम फायदा उठाना है।”

(3) एस0 एस0 स्टीवेन्स के अनुसार- “मापन किन्हीं निश्चित नियमों के अनुसार वस्तुओं को अंक प्रदान करने की प्रक्रिया है ।”

(4) हेल्मस्टेडर के अनुसार- “मापन को एक प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें किसी व्यक्ति या पदार्थ में निहित विशेषताओं का आंकिक रूप से वर्णन होता है।”

(5) ब्रेड फील्ड एवं मारडॉक के अनुसार- “मापन की प्रक्रिया में किसी घटना या तथ्य के विभिन्न परिणामों के लिए प्रतीक निश्चित किये जाते हैं ताकि उस घटना या तथ्य के बारे में यथार्थ निश्चय किया जा सके।”

(6) जी० एस० एडम्स के अनुसार- “मापन किसी विशिष्ट मानस के अनुसार किसी निष्पादन की सतर्कतापूर्ण प्रेक्षण है।”

मूल्यांकन का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Evaluation)

मूल्यांकन द्वारा ही सावधानीपूर्वक यह निर्णय लिया जा सकता है कि कोई वस्तु बुरी है या अच्छी है। यह मूल्यांकन व्यक्ति एवं समाज दोनों को अपने में समाहित करता है। हमारी शिक्षा भी इन्हीं दोनों को महत्त्व देती है, शैक्षिक क्षेत्र में किसी बालक का मूल्यांकन करते समय उसके वातावरण तथा सामाजिक पृष्ठभूमि को पूर्ण रूप से समझना आवश्यक ही नहीं बल्कि अनिवार्य भी है। एक बालक को किसी प्रकार की शिक्षा दी जाय इसका निश्चय भी बिना उसकी सामाजिक पृष्ठभूमि को जाने नहीं किया जा सकता है। समाज में विकास का पूरा कार्यक्रम ही मूल्यांकन पर निर्भर करता है।

मूल्यांकन की प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं-

(1) नार्मन ई० ग्रोनलुण्ड के अनुसार- “मूल्यांकन छात्रों के द्वारा प्राप्त किये गये शिक्षा उद्देश्यों की सीमा को ज्ञात करने की क्रमबद्ध प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।”

(2) राइटस्टोन के अनुसार- “मूल्यांकन एक नवीन प्राविधिक पद है जिसका प्रयोग मापन की अवधारणा को परम्परागत जाँचों एवं परीक्षाओं की अपेक्षा अधिक व्यापक रूप से व्यक्त करने के लिए किया गया है।”

(3) टोरगोसन तथा एडम्स के अनुसार- “मूल्यांकन का अर्थ किसी वस्तु या प्रक्रिया का मूल्य निर्धारित करना तथा शैक्षिक मूल्यांकन से तात्पर्य किसी शिक्षण प्रक्रिया या अधिगम अनुभवों की उपयोगिता के सम्बन्ध में मूल्य प्रदान करना है।”

(4) डण्डेकर के अनुसार- “शैक्षिक उद्देश्यों को बालक द्वारा किसी सीमा तक प्राप्त कर लिया गया है, यह ज्ञात करने की व्यवस्थित प्रक्रिया को मूल्यांकन की संज्ञा दी जाती है।”

मापन एवं मूल्यांकन में अन्तर (Difference between Measurement and Evaluation)

मनोविज्ञान एवं शिक्षा दोनों में मापन एवं मूल्यांकन का प्रयोग होता है। कुछ विद्वान दोनों में अन्तर नहीं मानते। उनके अनुसार मापन मूल्यांकन का अंग है। फिर भी दोनों में व्याप्त अन्तर निम्न बातों के विवरण से स्पष्ट किया जा सकता है-

(1) मापन के परिणाम वस्तुनिष्ठ होते हैं जबकि मूल्यांकन के परिणाम विषयगत हैं। उदाहरण के लिए अगर किसी दिन 2 इंच वर्षा होती है तो यह मापन होगा परन्तु किसी यात्री के लिए जिसके पास छाता नहीं है इस वर्षा का मूल्यांकन खराब होगा तथा किसी किसान के लिए जिसका खेत वर्षा के अभाव में सूख रहा है यह वर्षा अच्छी होगी। इस प्रकार मूल्यांकन में लोग अपने-अपने विषयगत विचारों के आधार पर निर्णय देते हैं जबकि मापन में वस्तु या विषय-वस्तु के प्रति निष्ठावान होंगे।

(2) मूल्यांकन का सम्बन्ध गुणों से है जबकि मापन का सम्बन्ध संख्या से है जैसे यदि कोई छात्र किसी विषय में 100 में से 70 अंक प्राप्त करता है तो इस अंक का सम्बन्ध मापन से होगा, परन्तु होगा। यदि यह कहा जाय कि अमुक छात्र ने प्रथम श्रेणी के अंक प्राप्त किये हैं तब यह मूल्यांकन

( 3 ) मापन में किसी विशेष गुण का मापन होता है जबकि मूल्यांकन में व्यक्तित्व के सभी गुणों का।

(4) मूल्यांकन में आत्मगत विधियों (Subjective methods) जैसे साक्षात्कार (Interview) तथा निरीक्षण (Observation) आदि का प्रयोग होता है परन्तु मापन में ऐसे परीक्षणों (Tests) का प्रयोग होता है जो सही परिणाम देते हैं

(5) मापन का सम्बन्ध केवल व्यक्ति विशेष से होता है जबकि मूल्यांकन का सम्बन्ध व्यक्ति एवं समाज दोनों से होता है।

(6) मापन का क्षेत्र सीमित होता है जबकि मूल्यांकन का विस्तृत होता है।

(7) मापन में समय कम लगता है जबकि मूल्यांकन में समय ज्यादा लगता है तभी नुनली (Nunaly) ने कहा है, “मापन का अन्तिम लाभ जिसकी पूर्णतया प्रशंसा नहीं की जाती है वह है कि यह सभी विषयीगत मूल्यांकनों की अपेक्षा मितव्ययी होता है।”

(8) मापन में धन का व्यय मूल्यांकन की तुलना में कम होता है।

(9) मापन का सम्बन्ध विज्ञान से है जबकि मूल्यांकन का दर्शन से ।

(10) मापन के अन्तर्गत मनुष्य की योग्यताओं को अलग-अलग भागों में बाँट करके अध्ययन किया जाता है जबकि मूल्यांकन के अन्तर्गत मनुष्य की योग्यताओं एवं व्यवहार का समग्र रूप में अध्ययन किया जाता है।

उपरोक्त बातों से स्पष्ट होता है कि मापन एवं मूल्यांकन दोनों में अन्तर होता है परन्तु दोनों का उपयोग शिक्षा के क्षेत्र में आवश्यक है इन दोनों के सहयोग से ही किसी कार्यक्रम की क्रियाओं के प्रभाव को निश्चित किया जाता है।

मापन और मूल्यांकन की शैक्षिक उपयोगिता (आवश्यकता) (Education Advantage or Needs of Measurement and Evaluation)

शिक्षा के आदान-प्रदान का एक निश्चित उद्देश्य होता है। शिक्षा में मूल्यांकन के माध्यम से यह ज्ञात हो जाता है कि शिक्षार्थी ने क्या प्राप्त किया और उससे वह कहाँ तक लाभान्वित हुआ है। शिक्षक भी इसी उद्देश्य की जानकारी चाहता है कि शिक्षा के उद्देश्य अथवा प्रयोजन को प्राप्त करने में उससे अपने शिक्षण द्वारा कहाँ तक सफलता प्राप्त हुई। शिक्षा में मूल्यांकन करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए उसके महत्त्व और उपयोगिता के सम्बन्ध में निम्न बातें उल्लेखनीय हैं-

(1) मूल्यांकन के फलस्वरूप छात्रों के वैयक्तिक, शैक्षिक और व्यावसायिक निर्देशन में सहायता प्राप्त होती है।

(2) छात्रों की विशिष्ट योग्यताओं, क्षमताओं अथवा कमजोरियों का ज्ञान प्राप्त होता है।

(3) छात्रों का वर्गीकरण करने में सहायता प्राप्त होती है।

(4) छात्रों को आत्म मूल्यांकन का अवसर प्राप्त होता है।

(5) छात्रों की वैयक्तिक भिन्नता को ध्यान में रखते हुए शिक्षक को पाठ्यक्रम निर्माण और अन्य शैक्षिक कार्यक्रमों के आयोजन में सहायता प्राप्त होती है।

(6) अध्यापन और अधिगम प्रक्रिया के अन्तर्गत मूल्यांकन का विशेष स्थान है।

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