B.Ed. / BTC/ D.EL.ED / M.Ed.

तकनीकी का अर्थ तथा शिक्षा में तकनीकी का प्रयोग | Meaning of technology

तकनीकी का अर्थ तथा शिक्षा में तकनीकी का प्रयोग

तकनीकी का अर्थ तथा शिक्षा में तकनीकी का प्रयोग

तकनीकी का अर्थ

तकनीकी का संबंध केवल मशीन या मशीन सम्बन्धी प्रत्ययों से नहीं है अपितु इनके बिना भी तकनीकी का प्रभावी प्रयोग हो सकता है। तकनीकी को समझने से पहले इसके शाब्दिक आशय को समझाना आवश्यक है। तकनीकी शब्द का उद्भव ग्रीक भाषा के ‘टेकनिकोस'(Technikos) शब्द से हुआ हैं जिसका अर्थ है कला, कलामय या व्यावहारिक। कुछ विद्वान इसकी उत्पति ग्रीक भाषा के दो शब्दों टेकने (techne) तथा लोगोस (logos) से मानते है। टेकने (techne) का अर्थ है-कला, कौशल, क्राफ्ट या निश्चित तरीके या ढंग से जिसके द्वारा कुछ प्राप्त किया जाए है तथा लोगोस (logos) का अर्थ शब्द व निश्चित कथन जिसके माध्यम से अन्तर्निहित विचारों को अभिव्यक्त, व्यक्त या भावाभिव्यक्ति किया जाए है। इस प्रकार तकनीकी शिक्षा से तात्पर्य किसी रीति में शब्द या कथन या भाषण से कुछ प्राप्त करना। तकनीकी शब्द की उत्पति टेकटन’ से भी मानी जाती है जिसका अर्थ है बढ़ई या निर्माता । यह शब्द संस्कृत शब्द ‘तक्ष’ का सजातीय है। इसका पर्याय लैटिन भाषा के शब्द तेक्सेरे(Texere) से भी लिया जाता है, जिसका अभिप्राय बुनने तथा निर्माण करने से होता हैं। तकनीकी का अर्थ है- कुशलता, कुछ करने या बनाने की प्रणाली। सामान्य अर्थ में तकनीकी से आशय है- वैज्ञानिक सिद्धांतों, ज्ञान, विस्थाओं तथा प्रविधियों का व्यवहारिकता में अनुप्रयोग से हैं। इसका तात्पर्य किसी भी प्रयोगात्मक कार्य करने के तरीके से है, जिसमें वैज्ञानिक ज्ञान या सिद्धांतों का अनुप्रयोग किया गया हो। तकनीक में व्यवहारिक उपयोगिता होना नितांत आवश्यक है इसलिए इसे एक कला या विज्ञान का वह स्वरुप माना जाता है जोकि वैज्ञानिक ज्ञान के अनुप्रयोग द्वारा व्यवहारिक समस्याओं का समाधान करती है। इसमें वैज्ञानिक ज्ञान को इस तरीके से नियोजित व व्यवस्थित किया जाता है कि कार्य प्रणाली में सरलता व सुगमता हो जाए।

शिक्षा में तकनीकी का प्रयोग: सिंहावलोकन

मानव विकास के ऐतिहासिक अनुक्रम के प्रारंभिक समय काल में जब लेखन कला का प्रादुर्भाव नहीं हुआ था शैक्षणिक प्रक्रिया का स्वरुप व शिक्षण कार्य मौखिक प्रस्तुतीकरण पर ही पूरी तरह आधारित था। इस समय विद्यार्थी अच्छी तरह सुनने व सुने हुए ज्ञान को कंठस्थ करने एवं उसे पुनः चेतना में लाने व प्रस्तुत करने की अपनी क्षमता को बढ़ाने संबंधी उपायों की उपलब्ध तकनीकी का प्रयोग शिक्षा में करते सर्वत्र देखे जा सकते है। हमारे ऋषियों और मुनियों द्वारा अपने आश्रमों तथा गृहशालाओं में अपनाई गई मौखिक शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में उपलब्ध तकनीकियों के उपयोग के अनेको उदाहरण व विवरण देखने को मिलते है। न केवल भारत देश में अपितु पश्चिमी देशों में भी विभिन्न तकनीकियों का उपयोग शिक्षा प्रक्रिया में किया जाता था। जैसे सुकरात द्वारा प्रतिपादित शिक्षक-शिष्य संवाद प्रणाली आदि। विकासक्रम के इस चक्र में जैसे-जैसे तकनीकी के क्षेत्र में नवीन आविष्कार होते गए और जीवन में इनकी उपादेयता बढ़ती गई वैसे-वैसे ही इन विकसित नवीन तकनीकियों को शैक्षिक प्रक्रिया में वांछित प्रतिफल प्राप्ति हेतु व अधिगम प्रक्रिया सरल, सुबोध व ग्रहणशील बनाने हेतु प्रयोग में लाया जाता रहा। पेड़ो की छाल, पत्तों एवं तनों पर लिखने, पत्थरों व धातु पात्रों पर अक्षर खोदने, विविध लेखन लिपियों व लेखन सामग्रियों के विकास, छापाखाने, मुद्रण मशीनों व मुद्रण तकनीकियों के आविष्कार तथा सूचना व संचार आधारित आधुनिकतम तकनीकी आदि की तकनीकी प्रगति का लाभ व उपयोग शिक्षा प्रक्रिया में होता चला आया है।

शिक्षा के क्षेत्र में व्यवस्थित रूप से तकनीकी का प्रयोग सर्वप्रथम शैक्षिक खिलौनें के विकास में किया गया। आधुनिक तकनीकी का शिक्षा में अनुप्रयोग 1926 ई० में अमेरिका के ओहियो के एक विश्वविद्यालय में सिडनी प्रेसी नामक व्यक्ति की यांत्रिक शिक्षण मशीन से माना जाता है। लम्सडैन, ग्लेजर आदि ने सन 1930-40 मध्य विशिस्ट प्रकार की पुस्तकों, कार्डी तथा बोर्डो का प्रयोग अधिगम में बोधगम्यता व सुग्राहयता लाने हेतु की। नई तकनीकियों का बृहद स्तर पर शैक्षिक क्षेत्र में पहला उपयोग प्रशिक्षण फिल्मों और अन्य मीडिया सामग्री के माध्यम से द्वित्तीय विश्वयुद्ध के अमेरिकी सैनिकों के प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु किया गया था। सन 1950 ई० में बी०एफ० स्किनर ने प्रोग्राम्ड लर्निंग पद्धति का विकास करके शिक्षा में तकनीकी के प्रयोग को नए आयाम पर पंहुचा दिया जिसके फलस्वरूप शिक्षाशास्त्र में एक नई शाखा का विकास हो गया जो शैक्षिक तकनीकी के नाम से जाने लगी। इस शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग ब्राइनमोर ने किया किन्तु यहाँ पर यह समझना आवश्यक है कि शिक्षा की तकनीकी और शिक्षा में तकनीकी में क्या अंतर है।

शिक्षा में तकनीकी एवं शिक्षा की तकनीकी (Technology in Education and Technology of Education)

शिक्षा में तकनीकी

शिक्षा में तकनीकी पद का आशय विज्ञान एवं तकनीकी के क्षेत्र में हुए विकास व प्रगति के फलस्वरूप विकसित नवीन संचार साधनों, उपकरणों, प्रविधियों एवं मशीनों आदि के शिक्षा के क्षेत्र में प्रभावपूर्ण व उपयोगी प्रयोग से है। इसके अंतर्गत सभी प्रकार की द्रश्य-श्रव्य सामग्री व उपकरण, संचार एवं सम्प्रेषण के संसाधन, अभियांत्रिक एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरण व जनसंपर्क माध्यम आदि जैसे –कंप्यूटर,टेलीविजन, प्रोजेक्टर, शिक्षण मशीन, मोबाइल, टैब, फिल्म, रेडियो और कंप्यूटर निर्देशित अनुदेशन आदि समाहित हो सकते है। इन्हें सीखने-सिखाने की व्यक्तिगत व सामूहिक दोनों प्रकार की प्रक्रिया में प्रयुक्त किया जा सकता है। विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में हुई प्रगति का शिक्षा के क्षेत्र में वैसा ही प्रभाव तथा उपयोग रहा जैसा कि कृषि आदि क्षेत्रों में वैज्ञानिक तथा तकनीकी ज्ञान के फलस्वरूप विकसित यंत्रों तथा उपकरणों का रहा अर्थात एक प्रकार की अतिरिक्त सहायता जोकि कार्य संपादन में सहायक तथा उपयोगी हो।

शिक्षा की तकनीकी

शिक्षा की तकनीकी का संप्रत्यय यह इंकित करता है कि शिक्षा में कार्य प्रक्रियों की सफलता व वांछित परिणाम हेतु किसी अतिरिक्त सहायता की आवश्यकता है। यह अतिरिक्त सहायता, तकनीकी प्रगति से सम्बंधित वैसे विभिन्न सूचना एवं संचार के संसाधनों व माध्यमों, मशीनों तथा उपकरणों आदि का बोध कराती है जिनकी शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में उपयोगिता एवं प्रभावकारिता है। शिक्षा की तकनीकी संप्रत्यय में किसी अतिरिक्त सहायता या सेवा का बोध नहीं होता अपितु सभी तकनीकी संशाधनों, उपकरणों व मशीनों आदि को शिक्षा की प्रक्रिया का अभिन्न अंग माना जाता है। स्काटिस शैक्षिक तकनीकी परिषद्(Scottish Council for Educational Technology) ने शैक्षिक तकनीकी को परिभाषित करते हुए कहा कि इससे तात्पर्य एक ऐसे सुव्यवस्थित उपागम से है जिसे अधिगम और शिक्षण विधियों व प्रविधियों का प्रारूप तैयार करने और उनका मूल्यांकन करने के काम में लाया जाता है और साथ ही जिसके द्वारा संचार तकनीकी के माध्यमों और नवीनतम ज्ञान को औपचारिक एवं अनौपचारिक शिक्षा के क्षेत्र में अधिक से अधिक उपयोग में लाने का प्रयत्न किया जाता है।

Important Links

Disclaimer

Disclaimer: Sarkariguider.in does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com

About the author

Sarkari Guider Team

Leave a Comment